विधान परिषद में लाल बिहारी यादव पहले से सपा दल के नेता हैं। लेकिन, उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए सपा के पास सदस्यों की संख्या नहीं थी। बीते दिनों रिक्त हुए 13 सीटों पर चुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया था। इनमें सत्तारूढ़ दल और विपक्ष ने अपने संख्याबल के हिसाब से ही प्रत्याशी मैदान में उतारें इस वजह से सभी 13 प्रत्याशी 14 मार्च को निर्विरोध निर्वाचित हुए।
यूपी विधान परिषद में लाल बिहारी यादव संभालेंगे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी : विधानसभा में ये होंगे चेहरा
Jul 22, 2024 18:23
Jul 22, 2024 18:23
- उच्च सदन में किरनपाल कश्यप होंगे मुख्य सचेतक
- आशुतोष सिन्हा सचेतक और जासमीर अंसारी संभालेंगे उप नेता का जिम्मा
उच्च सदन में सपा के ये नेता संभालेंगे अन्य जिम्मेदारी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान परिषद सभापति को लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने के लिए पत्र भेजा है। साथ ही किरनपाल कश्यप को मुख्य सचेतक, आशुतोष सिन्हा को सचेतक और जासमीर अंसारी को उप नेता नामित-नियुक्ति करने की अपील की है।
विधान परिषद में पहले से सपा दल के नेता की जिम्मेदारी संभाल रहे लाल बिहारी
विधान परिषद में लाल बिहारी यादव पहले से सपा दल के नेता हैं। लेकिन, उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए सपा के पास सदस्यों की संख्या नहीं थी। बीते दिनों रिक्त हुए 13 सीटों पर चुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया था। इनमें सत्तारूढ़ दल और विपक्ष ने अपने संख्याबल के हिसाब से ही प्रत्याशी मैदान में उतारें इस वजह से सभी 13 प्रत्याशी 14 मार्च को निर्विरोध निर्वाचित हुए। विधान परिषद में नए सदस्यों के निर्वाचित होने के बाद सदन की तस्वीर बदल गई। समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या में इजाफा हुआ और इनकी संख्या 8 से बढ़कर 10 हो गई है। इसके साथ ही अब समाजवादी पार्टी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी की हकदार हो गई। लाल बिहारी यादव पहले से सपा दल के नेता थे और उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा पाने के लिए वे कोर्ट में भी गए थे। इसलिए पार्टी ने उन्हें ही यह जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया।
सपा से सबसे अधिक अहमद हसन रहे नेता प्रतिपक्ष
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले लाल बिहारी चौथे सपा नेता होंगे। वह दूसरी बार इस जिम्मेदारी को संभालेंगे। उच्च सदन में सबसे पहले रमा शंकर कौशिक ने सपा नेता के तौर पर इस जिम्मेदारी को संभाला। वह 03 जून 1995 से 06 मार्च 1996 तक इस पद पर रहे। इसके बाद अहमद हसन 23 जनवरी 1998 से 29 अगस्त 2003 तक नेता प्रतिपक्ष रहे। फिर अहमद हसन ने 19 मई 2007 से 16 मार्च 2012 तक इस जिम्मेदारी को संभाला। इसके बाद अहमद हसन 28 मार्च 2017 से 20 फरवरी, 2022 तक नेता प्रतिपक्ष बने रहे। वहीं डॉ. संजय लाठर ने 28 मार्च 2022 से 26 मई 2022 तक नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला। फिर लाल बिहारी यादव 27 मई 2022 से 06 जुलाई 2022 तक विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष रहे।
विधानसभा को लेकर जल्द फैसला करेंगे अखिलेश यादव
उधर, विधानसभा में इस पद को लेकर पार्टी अभी फैसला नहीं कर सकी है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव चाचा शिवपाल यादव की जगह किसी और नेता को ये जिम्मेदारी सौंप सकते है। विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद साफ हो गया कि अब शिवपाल यादव को ये जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी, क्योंकि दोनों सदनों में यादव नेता को अखिलेश यादव ये पद नहीं सौंपेंगे। यूपी विधानसभा चुनाव 2027 के मद्देनजर सपा पीडीए फॉर्मूले पर काम कर रही है। अखिलेश यादव गैर यादव ओबीसी या एससी जाति के सदस्य को यह जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। ऐसे में रामअचल राजभर और इंद्रजीत सरोज के नाम की चर्चा है। वहीं पीडीए फॉर्मूले में आने के कारण कमाल अख्तर का नाम भी इस रेस में बताया जा रहा है। सपा अध्यक्ष ने जल्द ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम तय किए जाने की बात कही है। अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद बनने के बाद करहल विधान सभा सीट से अपना इस्तीफा दे दिया है।
उच्च सदन में बसपा और कांग्रेस की संख्या शून्य, भाजपा को एक सीट की और मिलेगी बढ़त
विधान परिषद में नए सदस्यों के निर्वाचित होने के बाद कांग्रेस के बाद बसपा का भी कोई सदस्य अब उच्च सदन में नहीं बचा है। बसपा के एक मात्र सदस्य डॉ. भीमराव आंबेडकर का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो गया है। वहीं विधान परिषद में भाजपा के सदस्यों की संख्या घटकर 82 से 80 हो गई है। समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। इसके साथ ही रालोद और सुभासपा के सदस्य अब विधान परिषद में नजर आएंगे। अपना दल सोनेलाल के सदस्य की संख्या एक बनी हुई है। स्वामी प्रसाद मौर्य की रिक्त सीट पर बीते दिनों भाजपा के राम बहोरन मौर्य निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। वहीं हाल में ही पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के पीलीभीत से सांसद चुने जाने के बाद उनकी सीट रिक्त है। वह नामित कोटे में विधान परिषद के सदस्य थे। इसलिए सरकार की संस्तुति पर राज्यपाल की ओर से इस पर भाजपा समर्थित सदस्य का पहुंचना तय है।
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