स्पॉन्सरशिप योजना : यूपी में साल के अंत तक 20 हजार बच्चों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य

यूपी में साल के अंत तक 20 हजार बच्चों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य
UPT | स्पॉन्सरशिप योजना।

Oct 05, 2024 16:27

यूपी में स्पॉन्सरशिप योजना योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 20 हजार बच्चों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना के तहत वंचित, बेसहारा और दिव्यांग बच्चों को प्रति माह चार हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है।

Oct 05, 2024 16:27

Short Highlights
  • प्रदेश भर में दिव्यांग बच्चों की पहचान कर रही सरकार
  • आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मिल रही चार हजार की आर्थिक मदद
Lucknow News : यूपी में स्पॉन्सरशिप योजना योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 20 हजार बच्चों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना के तहत वंचित, बेसहारा और दिव्यांग बच्चों को प्रति माह चार हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। अब तक 1,423.20 लाख रुपए की सहायता राशि वितरित की जा चुकी है। एक अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग एक अभियान के तहत दिसंबर माह तक दिव्यांग बच्चों की पहचान कर योजना की पात्रता पूरी करने वाले बच्चों की आर्थिक सहायता करेगी। 

केंद्र की मिशन वात्सल्य पहल का हिस्सा
यह योजना केंद्र सरकार की मिशन वात्सल्य पहल का हिस्सा है। इसका उद्देश्य ऐसे बच्चों को सहायता प्रदान करना है। जो कठिन परिस्थितियों में अपने विस्तारित परिवारों के साथ रह रहे हैं। प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्पॉन्सरशिप योजना के तहत 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपए की सहायता राशि वितरित की है। इसके माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कठिन परिस्थितियों में जी रहे किसी भी बच्चे को सहायता से वंचित न रहना पड़े।



दिव्यांग बच्चों की पहचान कर रही सरकार
प्रदेश में भर में एक विशेष अभियान के तहत दिव्यांग बच्चों की पहचान की जा रही है। दिसंबर महीने तक चलने वाले इस अभियान के तहत जनपद स्तर पर योजनबद्ध तरीके से दिव्यांग बच्चों को चिन्हित कर सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इन बच्चों में से जो बच्चे स्पॉन्सरशिप योजना की पात्रता पूरी कर रहे हैं उन्हें तत्काल समयबद्ध तरीके से योजना में शामिल किया जाएगा।

योजना का लाभ पाने के लिए पात्रता
स्पॉन्सरशिप योजना के तहत दी गई वित्तीय सहायता से इन बच्चों की उचित देखभाल, शिक्षा और अन्य आवश्यक जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। योजना की पात्रता मापदंड इस प्रकार तय किए गए हैं कि सबसे ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को इसका लाभ मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा 72 हजार रुपए और शहरी क्षेत्रों में 96 हजार रुपए तय की गई है। ऐसे मामलों में जहां दोनों अभिभावकों या कानूनी संरक्षकों का निधन हो चुका है, आय सीमा की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।

ये दस्तावेज जरुरी
योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अभिभावकों को आवश्यक दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, उम्र प्रमाण पत्र, अभिभावकों के निधन का प्रमाण पत्र, और बच्चे का शैक्षणिक संस्थान में पंजीकरण प्रमाण, जिला बाल संरक्षण इकाई या जिला प्रोबेशन अधिकारी के कार्यालय में जमा करना होगा।

योजना का दायरा बढ़ा 
योजना के अंतर्गत सहायता राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र और 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यूपी कैबिनेट से 17 जुलाई 2022 को स्वीकृत स्पॉन्सरशिप योजना ने अपने दायरे का काफी विस्तार किया है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 7,018 बच्चों को 910.07 लाख रुपये वितरित किए गए थे। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपये की सहायता दी जा चुकी है। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चा स्कूल जाए और एक पूर्ण जीवन जी सके। इस वित्तीय वर्ष में लाभार्थियों और फंडिंग, दोनों में ही उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस साल के अंत तक 20 हजार बच्चों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य है।

इनके लिए वरदान से कम नहीं योजना
यह विशेष पहल उन बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए है, जो विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। योजना के तहत उन बच्चों को सहायता दी जाती है, जिनकी मां विधवा, तलाकशुदा या परित्यक्त हैं, जिनके माता-पिता गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, या जो बेघर, अनाथ, विस्थापित परिवारों से हैं। साथ ही यह योजना उन बच्चों की मदद करती है जो बाल तस्करी, बाल विवाह, बाल श्रम या भीख मांगने से बचाए गए हैं। प्राकृतिक आपदाओं, विकलांगता या अन्य किसी आपदा के कारण प्रभावित हुए हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के पुनर्वास में मददगार
योजना का लाभ उन बच्चों को भी दिया जाता है, जिनके माता-पिता जेल में हैं। जो एचआईवी-एड्स से प्रभावित हैं या जिनके अभिभावक उनकी देखभाल करने में शारीरिक, मानसिक या आर्थिक रूप से असमर्थ हैं। इसके अलावा, सड़क पर रहने वाले बच्चों या उत्पीड़न, शोषण का शिकार हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए भी यह योजना मददगार साबित होती है।

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