हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को लगाई फटकार : गर्भवती महिला को मुआवजा देने का दिया आदेश, जानें पूरा मामला

गर्भवती महिला को मुआवजा देने का दिया आदेश, जानें पूरा मामला
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ

Dec 01, 2024 10:13

हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ राज्य प्राधिकारियों को आदेश दिया कि गर्भवती महिला को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा अदा करें। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। 

Dec 01, 2024 10:13

Lucknow News : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शनिवार को यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। एक गर्भवती महिला और उसके दो साल के बच्चे को अपहरण के एक मामले में बयान दर्ज करने के लिए छह घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले में कोर्ट ने नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने इसे शक्ति का दुरुपयोग और यातना करार दिया। वहीं, राज्य सरकार को महिलाओं के मामलों को सावधानी से संभालने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। 

गर्भवती महिला को दें मुआवजा
हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ राज्य प्राधिकारियों को आदेश दिया कि गर्भवती महिला को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा अदा करें। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। 

क्या है पूरा मामला
पीड़ित महिला की याचिका के मुताबिक उसके परिवार ने आगरा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि अगस्त 2021 में परीक्षा देने जाते समय उसे अगवा कर लिया गया था। इसकी प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मामले की जांच में अधिक प्रगति नहीं हुई। महिला की ओर से पेश दलील में अपहरण के आरोप का खंडन कर कहा गया कि उसकी शादी हो चुकी है और वह लखनऊ में पति के साथ रह रही है। इस मामले में याची के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि आगरा पुलिस के दरोगा अनुराग कुमार ने आठ माह की गर्भवती महिला को उसके दो साल के बच्चे के साथ अपहरण मामले में बयान दर्ज करने के लिए बीते 29 नवंबर को हिरासत में लिया था। कहा कि चिनहट थाने में महिला को छह घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखने के पूर्व उसकी उम्र की जांच तक नहीं की गई।

कोर्ट ने दिया यह आदेश
इस पर कोर्ट ने पीड़िता के अधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जताते हुए कहा कि जांच अधिकारी प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों पर गौर करने में नाकाम रहे। यह भी कहा कि पुलिस ने जिस तरह अपने कर्तव्य का पालन किया, वह कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक नहीं था। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पीड़िता को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि पीड़िता को लखनऊ ले जाकर उसके पति को सौंप दिया जाए। कोर्ट ने डीजीपी को भी संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करके तीन माह के अंदर अदालत को इसकी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि महिला गर्भावस्था के अंतिम चरण में है, उसके साथ उसका बच्चा भी है, ऐसे में उसे कभी भी पुलिस हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए था। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने इस फैसले के पालन को लेकर राज्य सरकार को 10 दिन में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। 

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