बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि इस समायोजन की प्रक्रिया से पूरे प्रदेश में लगभग 50000 से अधिक शिक्षकों को लाभ होगा। इसके अन्तर्गत ग्रामीण परिवेश के शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र में और नगर क्षेत्र के शिक्षक नगर क्षेत्र में समायोजित किए जाएंगे।
परिषदीय शिक्षकों के विरोध का असर : समायोजन को लेकर अब दो सितंबर तक ली जाएंगी आपत्तियां, ऐसे होंगे तबादले
Aug 30, 2024 17:24
Aug 30, 2024 17:24
- बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से 50 हजार शिक्षकों को लाभ मिलने का दावा
- प्रदेश में करीब साढे़ चार लाख से अधिक शिक्षक बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कई विद्यालय
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या के मामले में काफी अंतर है। इसके मद्देनजर जून में सरप्लस शिक्षकों को कम शिक्षकों वाले विद्यालयों में समायोजित करने का निर्देश दिया गया था। इसके लिए दलील दी गई किक कई परिषदीय विद्यालयों पर शिक्षकों की बेहद कमी है। किसी विद्यालय पर एक या दो शिक्षक हैं। ऐसे में वहां कक्षा एक से पांच और छह से आठ तक के बच्चों का क्लास लेना मुश्किल हो जाता है। महज खानापूर्ति हो पाती है, जबकि कई जगह शिक्षकों की संख्या अधिक है। इसलिए विद्यालयों की आवश्यकता के आधार पर शिक्षकों का समायोजन करने पर जोर दिया गया।
प्रेरणा एप से जुटाया गया शिक्षकों का डाटा
परिषदीय स्कूलों में शासन के आदेश पर शिक्षकों का समायोजन करने का निर्णय किया गया है। पहले यह समायोजन प्राथमिक व उच्च प्राथमिक में होता मगर अब केवल प्राथमिक स्कूलों में इसे किया जा रहा र्है, क्योंकि इनमें सरप्लस शिक्षकों की संख्या ज्यादा है। स्कूलों में छात्र संख्या के आधार पर विभाग ने शिक्षकों को समायोजित करने का निर्णय किया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रेरणा एप से सभी शिक्षकों का डाटा उठाकर छात्र संख्या के आधार पर सरप्लस शिक्षकों को निकाला है।
समायोजन की सूची जारी होने के बाद आपत्तियों को लेकर हुआ विवाद
ये प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं की जा सकी है। काफी इंतजार के बाद 28 अगस्त को विभिन्न जनपदों में शिक्षकों के समायोजन की सूची जारी कर दी गई। आरोप है कि इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से मनमानी करते हुए गोरखपुर में 29 से 31 अगस्त तक आपत्ति मांगी गई। शाहजहांपुर में महज एक दिन 29 अगस्त तक आपत्ति दर्ज कराने को कहा गया। इसी तरह बरेली और कन्नौज में 31 अगस्त की तारीख दी गई है। वहीं लखनऊ और बाराबंकी में कोई तारीख ही नहीं जारी की गई है।
शिक्षक संगठनों के विरोध दर्ज कराने के बाद बढ़ाई गई तारीख
इसे लेकर शिक्षकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने बेसिक शिक्षा विभाग में विरोध जताया और आपत्ति दर्ज कराई। मामले को तूल पकड़ता देख बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी ने इसके बाद सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया कि शिक्षकों की सूची नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाए, जिससे किसी को दिक्कत नहीं हो। वहीं इस पर दो सितंबर तक शिक्षकों की आपत्ति लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से नामित समिति की ओर से निस्तारित करने को कहा गया। इसके बाद तीन और चार सितंबर को आपत्तियों का निस्तारण कर मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों का डाटा अपडेट किया जाएगा।
कई जनपदों में स्कूल विस्तारित नगर सीमा में
शिक्षकों का कहना है कि लखनऊ, गोरखपुर समेत कई जनपदों में काफी स्कूल विस्तारित नगर सीमा में आ गए हैं। इसके बाद भी ऐसे स्कूलों को मानव संपदा पोर्टल पर ग्रामीण क्षेत्र में दिखाकर समायोजन किया जा रहा है। ये पूरी तरह से गलत है। वहीं उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह और उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने इसे विभाग की मनमानी करार दिया है। उनका कहना है कि इसी तरह सरप्लस प्रधानाचार्य को भी प्राइमरी विद्यालयों की जगह जूनियर विद्यालयों में समायोजित करने की तैयारी है।
शहरी क्षेत्र में छात्र कम-शिक्षक ज्यादा, ग्रामीण इलाकों में उलट स्थिति
उधर बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि इस समायोजन की प्रक्रिया से पूरे प्रदेश में लगभग 50000 से अधिक शिक्षकों को लाभ होगा। इसके अन्तर्गत ग्रामीण परिवेश के शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र में और नगर क्षेत्र के शिक्षक नगर क्षेत्र में समायोजित किए जाएंगे। मानव संपदा पोर्टल के डाटा के मुताबिक शहरी क्षेत्र से जुड़े विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम है। यहां शिक्षकों की संख्या अधिक है। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में छात्रों की संख्या के मुकाबले शिक्षकों की संख्या बेहद कम है। प्रदेश में करीब साढे़ चार लाख से अधिक शिक्षक बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात हैं।
शिक्षक और छात्रों के अनुपात को लेकर नियम
नियम के अनुसार प्राथमिक विद्यालय में 35 छात्रों पर एक शिक्षक, 70 छात्रों पर दो शिक्षक और 70 से 115 छात्रों पर तीन शिक्षक होने चाहिए। उच्च प्राइमरी विद्यालयों में 40 छात्रों पर एक शिक्षक, 80 पर दो शिक्षक और 80 से लेकर 120 छात्रों पर तीन शिक्षक, प्लस डेढ़ सौ छात्र होने पर एक प्रधानाध्यापक का पद होना जरूरी है।
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