UP New Governor : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लेकर तेज हुई अटकलें, राम नाईक ने गवर्नर का पद छोड़ते ही किया था ये काम

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लेकर तेज हुई अटकलें, राम नाईक ने गवर्नर का पद छोड़ते ही किया था ये काम
UPT | राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ।

Jul 26, 2024 00:31

आनंदीबेन पटेल ने 29 जुलाई 2019 को राम नाईक के बाद प्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार संभाला था। आनंदीबेन पटेल अपनी स्पष्ट कार्यशैली के कारण जानी जाती हैं। हाल ही में सीतापुर में पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान खोदे गए गड्ढों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी।

Jul 26, 2024 00:31

Short Highlights
  • गवर्नर आनंदीबेन पटेल का कार्यकाल 29 जुलाई को हो रहा समाप्त
  • आनंदीबेन पटेल को दोबारा जिम्मेदारी सौंपने से लेकर नए गवर्नर को लेकर चर्चा तेज
Lucknow News : उत्तर प्रदेश के सियासी घटनाक्रम की इन दिनों बेहद चर्चा है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सरकार में असंतुष्ट होने से लेकर नई दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जाती रहीं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का मानसून ऑफर भी सुर्खियों में रहा। इस बीच 29 जुलाई की तारीख को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इस दिन से प्रदेश में विधानमंडल सत्र की शुरुआत हो रही है तो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का कार्यकाल भी इसी दिन समाप्त हो रहा है। ऐसे में उन्हें दोबारा प्रदेश का जिम्मा सौंपने से लेकर नए राज्यपाल की नियुक्ति को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

आनंदीबेन पटेल ने 2019 में संभाला था यूपी के राज्यपाल का कार्यभार
आनंदीबेन पटेल ने 29 जुलाई 2019 को राम नाईक के बाद प्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार संभाला था। वह प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल हैं। इससे पहले सरोजिनी नायडू 15 अगस्त 1947 से 02 मार्च 1949 तक संयुक्त प्रांत के तौर पर यहां की राज्यपाल रह चुकी हैं। आनंदीबेन पटेल अपनी स्पष्ट कार्यशैली के कारण जानी जाती हैं। हाल ही में सीतापुर में पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान खोदे गए गड्ढों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी। उन्होंने खुले मंच से यहां तक कह दिया कि मुझे पता होता तो आती ही नहीं। साथ ही कहा कि मैं आपको माफ नहीं कर पाऊंगी। इसके बाद बुधवार को राजभवन में प्रदेश के वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार ने उनसे मुलाकात भी की।

यूपी सहित तीन राज्यों की राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कई अन्य जिम्मेदारियों को निभाया
आनंदीबेन पटेल इससे पहले आनंदीबेन पटेल 15 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक छत्तीसगढ़ और 23 जनवरी 2018 से 28 जुलाई 2019 तक मध्य प्रदेश की राज्यपाल रह चुकी हैं। वह 22 मई 2014 से 7 अगस्त 2016 तक गुजरात राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रहीं। इसके अलावा 1994 से 1998 तक राज्य सभा सदस्य रहीं। वह 1987 में राजनीति से जुड़ी। इसके बाद गुजरात में भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा अध्‍यक्ष, प्रदेश इकाई की भाजपा उपाध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी सदस्‍य जैसे महत्‍वपूर्ण पद पर रही। 1992 में भाजपा की ओर से आयोजित कन्‍याकुमारी से श्रीनगर तक की एकता यात्रा में शामिल होने वाली गुजरात की एक मात्र महिला रहीं। वह कश्‍मीर में तिरंगा नहीं लहरा देने की आतंकवादियों की धमकी के बावजूद 26 जनवरी 1992 में श्रीनगर के लालचौक में राष्‍ट्रध्‍वज फहराने में शामिल थीं।

गवर्नर का पद दोबारा संभालने पर बनेगा इतिहास
उत्तर प्रदेश में राज्यपाल के अभी तक के कार्यकाल पर नजर डालें तो किसी को भी दोबारा राज्य की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। ऐसे में अगर आनंदीबेन पटेल को दोबारा उत्तर प्रदेश का गवर्नर बनाया जाता है, तो ऐसा करने वाली वह पहली राज्यपाल होंगी। वहीं उनके बाद अगर किसी नए व्यक्ति को ये जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो इसे लेकर फिलहाल कोई नाम सामने नहीं आया है। ऐसे में आनंदीबेन पटेल को दोबारा ये पद दिए जाने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि आनंदीबेन पटेल इस वर्ष 21 नवंबर को 83 साल की हो जाएंगी। ऐसे में ये भी मुमकिन है कि उनकी उम्र को देखते हुए किसी नए चेहरे को यूपी के गवर्नर की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल की शुरुआत मध्य प्रदेश में 23 जनवरी 2018 को हुई थी, इस तरह देखा जाए तो पांच साल से अधिक समय उन्हें इस पद पर हो चुका है। इस दौरान उन्होंने तीन राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली है। मोदी सरकार में किसी अन्य राज्यपाल को इतना लंबा कार्यकाल नहीं मिला है। 

सीएम योगी से मधुर रहे रिश्ते, सरकार के काम को लेकर की तारीफ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके रिश्ते बेहद अच्छे रहे हैं। वह विभिन्न मौकों पर सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा भी कर चुकी हैं। इसी तरह सीएम योगी भी उनका बेहद सम्मान करते हैं। हाल ही में उन्होंने राजभवन जाकर आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की थी। इसे लेकर भी काफी चर्चा हो रही थी। हालांकि इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया गया। माना जा रहा है कि 29 जुलाई से पहले केंद्र सरकार की ओर से यूपी के गवर्नर को लेकर तस्वीर साफ कर दी जाएगी। 

राम नाईक ने ली थी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता
आनंदीबेन पटेल से पहले राम नाईक भी अपनी कार्यशैली के कारण काफी चर्चा में रहे। वह कई मौकों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सलाह देते नजर आए थे। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न विषयों पर खुलकर आलोचना भी की और सवाल उठाए। राम नाईक ने ही तत्कालीन सरकार को उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस मनाने को कहा था। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और योगी आदित्यनाथ के पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में इसकी शुरुआत हुई। वहीं यूपी के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद राम नाईक मुंबई लौट गए थे और उन्होंने तत्काल फिर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली ​थी। इसके बाद कुछ अवसरों पर वह लखनऊ आ चुके हैं। 

संयुक्त प्रांत से लेकर यूपी के बनने पर अब तक रहे राज्यपाल का कार्यकाल

संयुक्त प्रांत के राज्यपाल
सर हरकोर्ट (स्पेंसर) बटलर- संयुक्त प्रांत के प्रथम राज्यपाल 03 जनवरी 1921 से 21 दिसंबर 1922 तक
सर विलियम एस मारिस- 21 दिसंबर 1922 से 13 अगस्त 1928 तक
सर अलेक्जेन्डर फिलिप्स मडीमैन- 15 जनवरी 1928 से 17 जून 1928 तक
सर विलियम मैल्कम हेली- 10 अगस्त 1928 से 05 दिसंबर 1934 तक
सर हैरी ग्राहम हैग- 6 दिसंबर 1934 से 6 दिसंबर 1939 तक
सर मौरिस गार्नियर हैलेट- 07 दिसंबर 1939 से 6 दिसंबर 1945 तक
सर फ्रान्सिस वर्नर वाईली- 07 दिसंबर 1945 से 14 अगस्त 1947 तक
सरोजिनी नायडू- 15 अगस्त 1947 से 02 मार्च 1949 तक
न्यायमूर्ति बी.बी. मलिक- 03 मार्च 1949 से 01 मई 1949 तक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल
एच.पी. मोदी- 02 मई 1949 से 01 जून 1952 तक
डॉ. कन्हैया लाल मानिक लाल मुन्शी- 02 जून 1952 से 09 जून 1957 तक
वराह गिरि वेंकट गिरि- 10 जून 1957 से 30 जून 1960 तक
डॉ. बी. रामाकृष्णा राव- 01 जुलाई 1960 से 15 अप्रैल 1962 तक
विश्वनाथ दास- 16 अप्रैल 1962 से 30 अप्रैल 1967 तक
डॉ. बेजवाडा गोपाला रेड्डी- 01 मई 1967 से 30 मई 1972 तक
न्यायमूर्ति शशी कान्त वर्मा- 1 जुलाई 1972 से 13 नवंबर 1972 तक
अकबर अली खान- 14 नवंबर 1972 से 24 अक्टूबर 1974 तक
डॉ. मारी चेन्ना रेड्डी- 25 अक्टूबर 1974 से 01 अक्टूबर 1977 तक
गनपत राव देवजी तपासे- 02 अक्टूबर 1977 से 27 फरवरी 1980 तक
चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह- 28 फरवरी 1980 से 31 मार्च 1985 तक
मो. उस्मान आरिफ- 31 मार्च 1985 से 11 फरवरी 1990 तक
बी. सत्यनारायण रेड्डी- 12 फरवरी 1990 से 25 मई 1993 तक
मोती लाल वोरा- 26 मई 1993 से 03 मई 1996 तक
मोहम्मद शफी कुरैशी- 03 मई 1996 से 19 जुलाई 1996 तक
रोमेश भंडारी- 19 जुलाई 1996 से 17 मार्च 1998 तक
मोहम्मद शफी कुरैशी- 17 मार्च 1998 से 19 अप्रैल 1998 तक
सूरज भान- 20 अप्रैल 1998 से 23 नवंबर 2000 तक
विष्णुकांत शास्त्री- 24 नवंबर 2000 से 2 जुलाई 2004 तक 
सुदर्शन अग्रवाल- 03 जुलाई 2004 से 07 जुलाई 2004 तक
टीवी राजेस्वर- 08 जुलाई 2004 से 28 जुलाई 2009 तक
बीएल जोशी- 28 जुलाई 2009 से 23 जून 2014 तक
डॉ. अजीज कुरैशी- 23 जून 2014 से 22 जुलाई 2014 तक
राम नाईक- 22 जुलाई 2014 से 28 जुलाई 2019 तक

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