यूपी एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी कभी खुद को कभी ईडी तो कभी सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करते थे। ये लोग अब तक कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। गिरोह के सदस्यों ने लोगों को झांसा देकर उनकी रकम हड़पी है। इनसे पूछताछ की जा रही है।
SGPGI की डॉक्टर से करोड़ों की ठगी में महिला सरगना सहित तीन STF के हत्थे चढ़े : चंद सेकेंड में रकम ऐसे लगाते थे ठिकाने
Sep 05, 2024 17:22
Sep 05, 2024 17:22
उड़ीसा की रहने वाली है महिला सरगना
गिरोह के सदस्यों ने एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर लगभग 2.81 करोड़ रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। बाद में एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से पुलिस को मामले की जानकारी दी गई। इसके बाद पुलिस ने तत्काल कदम उठाते हुए 27.88 लाख रुपए फ्रीज करा लिए थे, जिससे साइबर ठग उसका इस्तेमाल नहीं कर पाए। वहीं मामला दर्ज कर अभियुक्तों की तलाश की जा रही थी। इसी कड़ी में गुरुवार को उड़ीसा की हरिप्रिया प्रधान, प्रयागराज के जितेंद्र कुमार यादव और गाजीपुर के हितेश उर्फ ज्ञानचंद्र को गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपी महिला के इशारे पर काम करते थे। महिला से कौन-कौन लोग जुड़े हैं, इसका जानकारी जुटाई जा रही है।
ईडी और सीबीआई अफसर बनकर करते थे ठगी
यूपी एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी कभी खुद को कभी प्रवर्तन निदेशालय (ED) तो कभी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करते थे। ये लोग अब तक कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। गिरोह के सदस्यों ने लोगों को झांसा देकर उनकी रकम हड़पी है। इनसे पूछताछ की जा रही है। एसटीएफ गिरफ्तार हुए आरोपियों की बैंक खाते समेत वॉलेट की जानकारी जुटा रही है। एसटीएफ की टीम गिरोह के तीनों सदस्यों को लखनऊ से अरेस्ट कर स्थानीय थाना को सुपुर्द किया है।
इस तरह की थी करोड़ों की ठगी
इससे पहले कृष्णानगर के मानसनगर स्थित चाणक्यपुरी में रहने वाली एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर जालसाजों ने उनसे 2.81 करोड़ रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए थे। इन शातिरों ने सीबीआई अधिकारी बनकर मनी लॉन्ड्रिंग और चाइल्ड ट्रैफिकिंग में जेल भेजने का डर दिखाकर उनसे रकम ऐंठ ली। बाद में डॉ. रुचिका टंडन ने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने जालसाजों के दो खातों को फ्रीज करवा दिए, जिसमें पीड़िता के 27.88 लाख रुपये मौजूद थे।
इस तरह ट्रांसफर की जाती है ठगी की रकम
यूपी एसटीएफ इस ठगी में शामिल छह अभियुक्तों को आदिल, दीपक शर्मा, आयुष यादव, फैजीबेग, मोहम्मद ओसामा और मनीष कुमार को बीते दिनों शहीद पथ से गिरफ्तार कर चुकी है। इन लोगों के पास से विभिन्न बैंक खातों में लगभग 30 लाख रुपए फ्रीज कराए गए। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि ये सभी सोशल मीडिया के जरिये एक ग्रुप से जुड़े हैं। इसी ग्रुप में ये उस महिला सरगना के संपर्क में आए, जिसने इनको बैंक खाते उपलब्ध कराने को कहा। इन्हीं बैंक खातों में गिरोह ठगी की रकम ट्रांसफर करता था। इसको क्रिप्टो में कन्वर्ट कर महिला को भेजा जाता था। इसका कमीशन उनको मिलता था। इसके बाद से ही एसटीएफ इस शातिर महिला की तलाश कर रही थी।
गरीबों को लालच देकर उनके दस्तावेज पर खुलवाते थे बैंक अकाउंट
बताया जा रहा है कि आरोपी बायनेंस एप के जरिए करेंसी को कन्वर्ट करते थे। तय कमीशन को काटकर बाकी रकम महिला सरगना के दिए गए बैंक खातों में ऑनलाइन भेज देते थे। कई आरोपी कुर्सी रोड पर स्थित प्राइवेट यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं। वहीं पर मिलने के बाद गिरोह बनाकर ठगी का खेल शुरू किया। खास बात है कि आरोपियों के खातों में रकम पहुंचते ही उसे क्रिप्टो में कन्वर्ट कर ट्रांसफर कर दिया जाता था। ये बात सामने आई है कि आरोपी गरीब मजबूर लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेजों पर बैंक खाते खुलवाते थे। ठगी की रकम उन खातों में ट्रांसफर करवाते थे। ऐसा इसलिए करते ताकि वे पकड़ में नहीं आएं।
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