समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा का आयोजन होगा। जिसमें उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के कलाकार शामिल होंगे। इसके बाद प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जनजातीय नृत्य और लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन होगा।
यूपी में 15 से 20 नवंबर तक जनजाति भागीदारी उत्सव : देश-विदेश की संस्कृतियों का होगा संगम
Nov 13, 2024 16:44
Nov 13, 2024 16:44
जनजातीय नृत्य लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा का आयोजन होगा। जिसमें उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के कलाकार शामिल होंगे। इसके बाद प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जनजातीय नृत्य और लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन होगा। इस दौरान पोथी घर में जनजातीय साहित्य पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी होगी।
22 राज्यों के 38 लोकनृत्यों का संगम
उत्सव के दौरान, 22 राज्यों के 38 लोकनृत्यों का अद्वितीय संगम देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनजातीय नृत्यों के साथ-साथ बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और अन्य राज्यों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इनमें डोमकच, झीझी, चंगेली, उरांव, भगौरिया, और नटुआ जैसे प्रसिद्ध नृत्य शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान पोथी घर में जनजातीय साहित्य से संबंधित पुस्तकों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें देशभर के जनजातीय समाज की संस्कृति, रहन-सहन, खानपान, और कला से जुड़ी सामग्री उपलब्ध होगी।
विमर्श सत्र भी होंगे
16 से 20 नवंबर तक विभिन्न विषयों पर विमर्श भी आयोजित किए जाएंगे। इन विषयों में क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, जनजाति शिक्षा और स्वास्थ्य, लोकल से ग्लोबल तक जनजातियों में उद्यमिता विकास, जनजाति विरासत संरक्षण और संवर्धन, और जनजाति विकास में गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका शामिल हैं।
जनजातीय लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन
19 और 20 नवंबर को मध्य प्रदेश की टीम द्वारा बिरसा मुंडा पर आधारित नाटक का मंचन किया जाएगा। इसके अलावा, जनजातीय लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन भी होगा। देसी व्यंजनों का स्वाद भी इस आयोजन का एक आकर्षण होगा, जो सभी दर्शकों को लुभाएगा।
देशभर के कलाकार करेंगे प्रदर्शन
इस आयोजन में सिक्किम, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रसिद्ध कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इन कलाकारों में जिग्मी भुतिया, छभीलदास गवली, पूजा कामड़, सुरेंद्र सोरी, मौजीलाल, और कई अन्य कलाकार शामिल हैं। यह उत्सव जनजातीय संस्कृति और उनके योगदान को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा, जिसमें विभिन्न कला रूपों, लोकगीतों और नृत्यों के जरिए जनजातीय समाज की समृद्ध विरासत को उजागर किया जाएगा।
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