दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को पांच भागों में बांटकर इसका निजीकरण किए जाने के लिए पांच नई बिजली कंपनियां बनाई जानी हैं। एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में इनका आरक्षित मूल्य 7490 करोड़ रुपये तय किया गया है।
DVVNL-PuVVNL : प्लांट मशीनरी-लाइन केबल नेटवर्क ही 23164 करोड़ का, टास्क फोर्स ने महज 7490 करोड़ रिजर्व प्राइज पर लगाई मुहर
Dec 26, 2024 18:04
Dec 26, 2024 18:04
दक्षिणांचल और पूर्वांचल को बांटकर बनाई जानी हैं पांच नई कंपनियां
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को पांच भागों में बांटकर इसका निजीकरण किए जाने के लिए पांच नई बिजली कंपनियां बनाई जानी हैं। एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में इनका आरक्षित मूल्य 7490 करोड़ रुपये तय किया गया है। इनमें आगरा मथुरा विद्युत वितरण निगम का रिजर्व प्राइज 1600 करोड़, काशी विद्युत वितरण निगम का 1630 करोड़, गोरखपुर विद्युत वितरण निगम का 1010 करोड़, झांसी कानपुर विद्युत वितरण निगम का 1600 करोड़ और प्रयागराज विद्युत वितरण निगम का 1630 करोड़ तय किया गया। रिजर्व प्राइज तय होते ही बवाल शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि बेशकीमती संपत्ति कौड़ियों के मूल्य में दी जाने की साजिश रची जा रही है।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की 11077 करोड़ की संपत्ति
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आंकड़ों के जरिए इस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल के अधीन केवल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लाइन केबल और नेटवर्क का जो कुल फिक्स्ड एसेट में वर्ष 2025-26 के लिए निर्धारित मूल्य 6466 करोड़ है। वहीं प्लांट व मशीनरी का कुल फिक्स्ड एसेट में 4611 करोड़ का मूल्य निर्धारित है। इस तरह पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लाइन केबल व प्लांट मशीनरी का आकलित मूल्य ही लगभग 11077 करोड़ है।
बड़ी अनियमितता की ओर इशारा
इसी प्रकार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत लाइन केबल नेटवर्क का कुल फिक्स एसेट में 8991 करोड़ मूल्य आकलित किया गया है। वहीं प्लांट व मशीनरी का आकलित मूल्य 3096 करोड़ है। इस तरह पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत लाइन केबल मशीनरी का कुल मूल्य लगभग 12087 करोड़ रुपये है। दोनों बिजली कंपनियों का कुल आकलित मूल्य निकाल लिया जाए तो 23164 करोड़ है। ऐसे में 51 प्रतिशत शेयर के आधार पर रिजर्व प्राइज 7490 करोड़ अपने आप में बड़ी अनियमितता की ओर इशारा करता है।
12000 करोड़ से कम तो नहीं सकता रिजर्व प्राइज
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि 51 प्रतिशत शेयर के आधार पर रिजर्व प्राइज किसी भी हाल में 12000 करोड़ से कम तो हो ही नहीं सकता, जिसमें बिल्डिंग, जमीन अन्य किसी का मूल्य शामिल नहीं है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इसक साथ ही प्रदेश की बिजली कंपनियों में जमीन, बिल्डिंग, दफ्तर सामग्री व उसमें लगे उपकरण का मूल्य कितना होगा, इसका स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है।
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