नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के लगाए गए मीटर व आरडीएसएस स्कीम के तहत लगाई जा रहे मीटर के अनेक पैरामीटर पर अब हर महीने उसे रिपोर्ट सौंपनी होगी।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर बुरा फंसा पावर कारपोरेशन : नियामक आयोग ने 15 दिन में तलब की स्टेटस रिपोर्ट, उठाए सवाल
Sep 04, 2024 19:14
Sep 04, 2024 19:14
बिल भुगतान के दो घंटे के अंदर बिजली सप्लाई का है नियम
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) ने पावर कारपोरेशन को निर्देश दिए हैं कि आयोग के बनाए गए कानून के तहत स्मार्ट मीटर रिमोटली कनेक्ट व डिस्कनेक्ट होने चाहिए। ऐसे में प्रदेश में स्मार्ट मीटर मैनुअली काम क्यों कर रहे हैं। जो मीटर केंद्र सरकार की योजना आरडीएसएस (संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) के तहत लगाए जा रहे हैं उनकी बिलिंग एकीकृत रेवन्यू मैनेजमेंट सिस्टम (आरएमएस) पोर्टल से इंटीग्रेटेड होने में दिक्कत क्यों हो रही है। आयोग ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग के बनाए गए कानून के तहत अगर उपभोक्ता के वहां स्मार्ट मीटर लगा हुआ है तो बकाए के कारण कनेक्शन कटने पर यदि उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान कर देता है तो उसके दो घंटे के अंदर कनेकशन अनिवार्य रूप से जुड़ जाना चाहिए। इसके बाद भी कई घंटे तक बिजली चालू नहीं होने के कारण उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। स्मार्ट मीटर होने के बावजूद ऐसा होना गंभीर मामला है। ऐसे में अधिकारियों को अब सभी सवालों का हर हाल में नियामक आयोग को जवाब देना होगा।
जवाब तैयार करने के लिए अफसर करते रहे बैठक
नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के लगाए गए मीटर व आरडीएसएस स्कीम के तहत लगाई जा रहे मीटर के अनेक पैरामीटर पर अब हर महीने उसे रिपोर्ट सौंपनी होगी। आयोग के इस आदेश के बाद बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया है। इसके बाद से पूरे दिन पावर कारपोरेशन में बैठकों का दौर जारी रहा।
उपभोक्ता परिषद ने इन बिंदुओं पर उठाए सवाल
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया है। इसके बाद से पावर कारपोरेशन के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। उपभोक्ता परिषद के मुताबिक लखनऊ सहित पूरे प्रदेश के अनेक जनपदों में पुरानी तकनीक के लगभग 12 लाख 2 जी 3जी स्मार्ट मीटर परेशानी का सबब बन चुके हैं। इनकी वजह से उपभोक्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है। इसलिए इस पर तत्काल रोक लगाना बेहद जरूरी है। लखनऊ में करीब तीन लाख स्मार्ट मीटर हैं। लेकिन, टूजी तकनीकी के कारण मैनुअल तरीके से काम होता है। ईईएसएल कंपनी ने पुरानी तकनीकी के मीटर लगाकर उपभोक्ताओं का उत्पीड़न करने का काम किया है। अवधेश वर्मा ने कहा कि वर्तमान में जो 27000 करोड़ की योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं, वह भी सब प्रीपेड मोड में न लगाकर पोस्टपेड मोड में लगाए जा रहे हैं। यानी अभी तक बिलिंग सर्वर से नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे में इसका भी हाल पिछली योजना की तरह होना तय है।
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