यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि पूरी योजना की सफलता अंतिम दिनों में सामने आती है प्रदेश के उपभोक्ताओं को जागरूक करने में ही एक सप्ताह से ज्यादा का समय लगा जाता है। ऐसे में जल्दबाजी में अभियंता कार्मिकों पर कार्रवाई उचित नहीं है।
UPPCL : अभियंताओं की कमी के बावजूद धड़ाधड़ निलंबन, 938 करोड़ का राजस्व देने के बावजूद कार्रवाई पर सवाल
Dec 28, 2024 20:11
Dec 28, 2024 20:11
ऊर्जा मंत्री और यूपीपीसीएल का परस्पर विरोधी रवैया
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने शनिवार को जानकारी दी कि अब तक प्रदेश में लगभग 12.60 लाख उपभोक्ता ओटीएस स्कीम का लाभ ले चुके हैं। इससे महकमे को 938 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। ऊर्जा मंत्री इसे बड़ी उपलब्धि बताकर लगातार उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या का जिक्र कर रहे हैं। इससे जाहिर हो रहा है कि यूपी में ओटीएस स्कीम के तहत बेहतर काम किया जा रहा है। दूसरी ओर पावर कारपोरेशन के आलाधिकारी मामले में लापरवाही की बातकर अभियंताओं के खिलाफ एक्शन लेने में जुटे हैं। इससे अभियंता नाराज और हताश हैं।
योजना की समीक्षा शुरुआत में ही करना गलत, अभियंताओं पर कार्रवाई में जल्दबाजी
यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि पूरी योजना की सफलता अंतिम दिनों में सामने आती है प्रदेश के उपभोक्ताओं को जागरूक करने में ही एक सप्ताह से ज्यादा का समय लगा जाता है। ऐसे में जल्दबाजी में अभियंता कार्मिकों पर कार्रवाई उचित नहीं है। वर्तमान में सभी बिजली कंपनियों में अब तक की सबसे ज्यादा निलंबन की कार्रवाई लंबित है। सभी बिजली कंपनियों की लिस्ट बनाई जाए तो वर्तमान में बड़ी संख्या में अभियंता निलंबित हैं, जबकि वर्तमान में उन्हें फील्ड में तैनाती देकर उनसे अच्छा रिजल्ट हासिल किया जा सकता है। पावर कारपोरेशन पहले से ही अभियंताओं की कमी से जूझ रहा है। इस पर भी निलंबन कार्रवाई प्रबंधन की विरोधाभासी नीति को दर्शाता है।
यूपीपीसीएल प्रबंधन सुधारवादी योजना चलाने में ज्यादा पक्षधर नहीं
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपीकेन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, ट्रांसमिशन अध्यक्ष सुशील कुमार वर्मा, एके प्रभाकर ने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन को बिजली अभियंताओं की समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा। एक तरफ पावर कारपोरेशन प्रबंधन दो बिजली निगमों का पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण की घोषणा कर देता है, दूसरी तरफ एकमुश्त समाधान योजना की अल्प अवधि में ही निलंबन जैसी कार्रवाई को आगे आगे बढ़ाया जाता है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि यूपीपीसीएल प्रबंधन सुधारवादी योजना चलाने में ज्यादा पक्षधर नहीं है। बल्कि उसे अपने तरीके से अभियंता कार्मिकों का मनोबल तोड़ना है। किसी भी विभाग के लिए यह सबसे ज्यादा नुकसानदायक स्थिति होती है, जब उसके कार्मिकों का मनोबल ही टूट जाए। इसलिए यूपीपीसीएल मैनेजमेंट को बिजली कंपनियों को यह निर्देश जारी करना चाहिए कि सभी अभियंताओं के निलंबन वापस लिया जाए।
निजीकरण के विरोध में विशाल बिजली पंचायत
इस बीच प्रदेश में ऊर्जा संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी कड़ी में गोरखपुर में बिजली निजीकरण के विरोध में विद्युत अभियंताओं, कर्मचारियों व संविदा कर्मचारियों ने एकजुट होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और यूपीपीसीएल प्रबंधन को चेतावनी दी। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने शनिवार को कहा कि प्रदेश में चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किए जा रहे बिजली के निजीकरण से विद्युत उपभोक्ताओं, किसानों व कर्मचारियों का भारी नुकसान नुकसान होगा। संगठन ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि व्यापक जनहित में बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाए।
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