छले वर्षों में बिजली कर्मचारियों के प्रयासों से एग्रीगेट ट्रांसमिशन एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी) 2016-17 में 41 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 17 प्रतिशत रह गया है। यह बिजली वितरण में सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।
UPPCL PPP Model : कंसल्टेंट पर पुराने फैसले से सबक नहीं ले रहा प्रबंधन, कर्मचारियों ने दी चेतावनी-तीन चरणों में आंदोलन
Jan 09, 2025 09:17
Jan 09, 2025 09:17
77 करोड़ का घाटा 1.10 लाख करोड़ के पार पहुंचा
उपभोक्ता परिषद इस लड़ाई को अपने स्तर पर आगे बढ़ा रहा है। संगठन ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के समक्ष भी इसे लेकर नियमों के विरुद्ध फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही वह लगातार नए नए खुलासे कर चुका है। यूपीपीसीएल पहले भी ट्रांजैक्शन एडवाइजर के चयन के बाद बड़ा धोखा खा चुका है। आज तक इस फैसले के कारण वह भारी भरकम घाटा उठाने को मजबूर है। ऐसे में फिर इसी राह पर चलने के कारण उस पर सवाल उठ रहे हैं। वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद को विघटित करने बाद 77 करोड़ का घाटा 1.10 लाख करोड़ पहुंच चुका है। अफसरों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। जिस उड़ीसा मॉडल पर अफसरों को बेहद भरोसा है, वह खुद सवालों के घेरे में है। वहां पॉवर सेक्टर में सुधार के लिए कमेटी खुद आम सहमति के आधार पर निर्णय करने की सिफारिश कर चुकी है। ऐसे में इन तमाम पहलुओं को जानने के बाद भी प्रबंधन पर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने के मकसद से उनके हित में जल्दबाजी में निर्णय करने के आरोप लग रहे हैं।
अखिलेश सरकार भी आ चुकी है बैकफुट पर
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के अनुसार अखिलेश यादव सरकार भी भारी भरकम विरोध के बाद मानने को मजबूर हुई थी कि पीपीपी मॉडल से प्रदेश के उपभोक्ताओं का लाभ नहीं होने वाला है। इस वजह से पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हर बार ये साबित हुआ कि पीपीपी मॉडल उपभोक्ताओं और प्रदेश के बिजली सेक्टर के हित में नहीं है।
पूरे प्रदेश में आंदोलन करेंगे बिजलीकर्मी
इसके बाद भी प्रदेश में एक बार फिर पीपीपी मॉडल पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसे लेकर प्रदेश के विद्युत कर्मचारियों ने कड़ा विरोध जताया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आंदोलन को और धार देने की रणनीति बनाई है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। संघर्ष समिति ने कहा है कि चुनिंदा पूजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जल्दबाजी में अगर बिजली के निजीकरण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई तो पूरे प्रदेश के विद्युत कर्मी आंदोलन चलाने के लिए बाध्य होंगे।
आंदोलन का स्वरूप और योजनाएं
समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, तो आंदोलन तीन चरणों में होगा। इसमें पहले चरण में कंसल्टेंट नियुक्त करने के निर्णय के बाद कार्यालय समय के बाद सभी बिजली कर्मी विरोध सभाएं करेंगे। प्रक्रिया शुरू होने पर दूसरे चरण में तीन दिनों तक सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और शाम को राजधानी लखनऊ समेत हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेंगे। वहीं तीसरे चरण में इसके अगले चार दिनों तक कर्मचारी उपवास करेंगे, काली पट्टी बांधेंगे और जनपदों में सभाओं का आयोजन करेंगे।
विद्युत कर्मचारियों ने लक्ष्य हासिल करने का किया दावा
समिति ने बताया कि पिछले वर्षों में बिजली कर्मचारियों के प्रयासों से एग्रीगेट ट्रांसमिशन एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी) 2016-17 में 41 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 17 प्रतिशत रह गया है। यह बिजली वितरण में सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। समिति ने भरोसा दिलाया है कि राष्ट्रीय मानक (15 प्रतिशत) से कम हानि लाने का लक्ष्य जल्द हासिल किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री से हस्तक्षेप की अपील
समिति के अनुसार, बीती 5 जनवरी 2025 को प्रयागराज में हुई बिजली पंचायत में कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने महाकुंभ के दौरान श्रेष्ठ बिजली व्यवस्था बनाए रखने की शपथ ली। उन्होंने कहा कि निजीकरण से इस संकल्प को खतरा हो सकता है। समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। समिति ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से अपील की है कि बिजली कर्मचारी पूरी निष्ठा से सुधार कार्यों में जुटे हुए हैं और उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए, न कि निजीकरण जैसी बाधाएं।
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