दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के फैसले को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ऊर्जा संगठनों के निशाने पर है।
UPPCL Privatisation : पांच बिजली कंपनियां 1000 करोड़ का कर्ज कम करने में सफल, फिर निजीकरण क्यों?
Dec 24, 2024 18:58
Dec 24, 2024 18:58
दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अस्तित्व पर संकट
वर्ष 1959 में बने राज्य विद्युत परिषद से ताल्लुक रखने वाली बिजली कंपनियां दक्षिणांचल व पूर्वांचल पर वर्तमान में निजीकरण का संकट चल रहा है और इनके अस्तित्व पर बड़ा खतरा है। उपभोक्ता परिषद के मुताबिक ऐसा नहीं है कि बिना पीपीपी मॉडल बिजली सेक्टर में सुधार संभव है। आंकड़े खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं।
अपने दम पर कर्ज में कमी करने में मिली सफलता
भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने मार्च 2024 में देश की सभी बिजली कंपनियों की 12वीं वार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कई वित्तीय पैरामीटर का खुलासा किया गया था। इसके मुताबिक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वित्तीय पैरामीटर है कि बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति के चलते कर्ज लेना पड़ रहा है। लेकिन, यह जानकार आश्चर्य होगा कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच देश की जो पांच बिजली कंपनियां चिह्नित की गईं, उन्होंने अपने कर्ज को 1000 करोड़ रुपये से अधिक कम किया। इसमें दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम सहित केरला स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी शामिल हैं। इससे साफ है कि जब लगातार कर्ज कम कर रहे हैं, तो इसका मतलब आने वाले समय में व्यापक सुधार होना है। फिर ऐसे में इन दोनों बिजली कंपनियों के निजीकरण पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाए हैं।
सुधार को पारदर्शी नीति की दरकार
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां में सुधार की भारी गुंजाइश है। निजीकरण करने की कोई आवश्यकता नहीं है। केवल पारदर्शी नीति बनाकर सुधार की योजना को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
यूपी की बिजली कंपनियों ने सबसे अधिक इक्विटी की हासिल
एक और सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां की बिजली कंपनियों ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक सबसे अधिक इक्विटी 6500 करोड़ रुपये प्राप्त किया, जो एक बहुत अच्छी वित्तीय पैरामीटर की शुरुआत है। हालांकि दिक्कत की बात है कि पीपीपी मॉडल में एनर्जी टास्क फोर्स में जिस मसौदे को मंजूरी दी गई, उसमें अनुमोदित किया गया की नेगेटिव इक्विटी वैल्यूएशन है, जो अपने आप में बेहद गंभीर और जांच का विषय भी है। दरअसल किसी भी कंपनी की इक्विटी एक तरह से उसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी यानी अंश पूंजी होती है।
आसानी से दूर हो सकता है वित्तीय संकट
इस तरह अगर उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की वित्तीय स्थिति में सुधार परलिक्षित हो रहा है, तो यह पूरी तरह स्पष्ट है कि बिजली कंपनियों को वित्तीय संकट से बहुत आसानी से निकाला जा सकता है। इसी वित्तीय वर्ष में जो एटीएनडीसी लॉस में कमी आई है, उसमें जो देश की प्रमुख बिजली कंपनियां हैं, उनमें 5 प्रतिशत तक इंप्रूवमेंट हुआ है। इसमें दक्षिणांचल मध्यांचल व पूर्वाचल भी शामिल है।
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