UPPCL Privatisation : उपभोक्ता परिषद ने पढ़ाया कानून का पाठ, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धारा 14 का दिया हवाला

उपभोक्ता परिषद ने पढ़ाया कानून का पाठ, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धारा 14 का दिया हवाला
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Jan 20, 2025 11:41

विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 राज्य सरकारों द्वारा विद्युत नियामक आयोग को लोकमहत्व के मामले में कोई भी निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करती है। इस पूरे मामले में पावर कारपोरेशन और विद्युत नियामक आयोग का ये मजबूत पक्ष माना जा रहा है। अधिकारियों को लगता है कि जब कोई मामला फंसेगा तो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से धारा 108 का प्रयोग कर निजीकरण जैसे मामलों में निर्देश जारी कराया जा सकता है।

Jan 20, 2025 11:41

Lucknow News :  प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण की प्रकिया चरणवार तरीके से आगे बढ़ाई जा रही है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) इस बार कानूनी पचड़ों से बचने की पुरजोर कोशिश में लगा है। हालांकि उपभोक्ता परिषद ने उसकी रणनीति को फेल करते हुए कई सवाल उठाए हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) को भी अदालत जाने की चेतावनी दी है।

विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 बनी चर्चा का केंद्र
दक्षिणांचल और पूर्वांचल के पीपीपी मॉडल को लेकर प्रदेश सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) का विज्ञापन निकाल दिया है। वहीं दूसरी तरफ नियामक आयोग की तरफ से विद्युत वितरण टैरिफ रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट भी जारी किया जा चुका है। दोनों पर पत्रों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 को जोर-जोर से प्रचारित किया जा रहा है। 



उपभोक्ता परिषद को लेकर अफसरों ने बनाई ये रणनीति
दरअसल विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 राज्य सरकारों द्वारा विद्युत नियामक आयोग को लोकमहत्व के मामले में कोई भी निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करती है। इस पूरे मामले में पावर कारपोरेशन और विद्युत नियामक आयोग का ये मजबूत पक्ष माना जा रहा है। अधिकारियों को लगता है कि जब कोई मामला फंसेगा तो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से धारा 108 का प्रयोग कर निजीकरण जैसे मामलों में निर्देश जारी कराया जा सकता है। ऐसे में बिना नियामक आयोग के अनुमति के निजीकरण को आगे बढ़ाया जा सकता है, जिसमें विद्युत उपभोक्ता परिषद की जो याचिकाएं दाखिल हैं, वह भी अवरोध के रूप में सामने नहीं आ आएंगी।

नियामक आयोग सरकार के निर्देशों पर बाध्य नहीं
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन और विद्युत नियामक आयोग को शायद पता होगा कि केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट महत्वपूर्ण फैसला सुना चुका है। इसमें कहा गया कि नियामक आयोग बिजली अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत जारी राज्य और केंद्र सरकार के निर्देशों से बाध्य नहीं है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश  डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के इस निर्णय के बाद विद्युत नियामक आयोग और पावर कारपोरेशन को यह समझना होगा कि विद्युत अधिनियम की धारा 108 के तहत उसे कोई ऐसा अधिकार नहीं मिल गया है, जो वह स्वतंत्र हो जाए। 

न्यायिक विवेक पर अतिक्रमण नहीं
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रदेश सरकार नीति निर्देश जारी करते समय धारा 108 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग अधिनियम के तहत किसी प्राधिकारी में निहित न्यायिक विवेक पर अतिक्रमण करके नहीं कर सकती। यह प्रावधान किसी भी तरह से राज्य सरकार के जारी निर्देशों के आधार पर आयोग की अर्धन्याययिक शक्ति के प्रयोग को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं करता है।

उपभोक्ता परिषद ने कोर्ट की चेतावनी
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 निजीकरण के मामले में निर्णय करने का अधिकार देती है। ऐसे में यदि उस पर लोग महत्व का विषय बनते हुए धारा 108 का प्रयोग किया जाएगा, तो वह संवैधानिक नहीं होगा। निजीकरण के हर मामले में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 का पालन करना पड़ेगा। इसके लिए जरूरी है कि विद्युत नियामक आयोग की इजाजत के आधार पर ही कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाए। विद्युत नियामक आयोग को भी स्वतंत्र होकर पारदर्शी तरीके से निर्णय करना होगा। ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता परिषद अपने सभी संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए विद्युत अधिनियम 2003 के उल्लंघन पर सक्षम न्यायालय का सहारा लेगी।

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