आईआईटी बाबा के बाद एमटेक बाबा की चर्चा : जीएम पद त्याग कर बने सन्यासी में लीन, सैलेरी सुन उड़ जाएंगे आपके होश

जीएम पद त्याग कर बने सन्यासी में लीन, सैलेरी सुन उड़ जाएंगे आपके होश
UPT | एमटेक बाबा

Jan 20, 2025 15:51

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ में देश-विदेश से अनेकों साधु-संत पहुंच रहे हैं। अब तक आपने आईआईटी वाले बाबा की चर्चा सुनी होगी, लेकिन अब हम आपको मिलने जा रहे हैं एमटेक बाबा से।

Jan 20, 2025 15:51

Prayagraj News : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में विविधता से भरे अनेक साधु-संत देखे जा रहे हैं, जो अलग-अलग रूप में दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इनमें से कुछ बाबा तो ऐसे हैं, जो महाकुंभ समाप्त होने के बाद फिर से अदृश्य हो जाएंगे। हाल ही में एक विशेष बाबा मीडिया में सुर्खियाँ बने थे, जिनका संबंध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से है। अब हम आपको एक और अनोखे बाबा से मिलवाने जा रहे हैं, जो अपनी पेशेवर सफलता को छोड़कर साधु जीवन में आए हैं।

कौन हैं एमटेक बाबा?
संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ में देश-विदेश से अनेकों साधु-संत पहुंच रहे हैं। अब तक आपने आईआईटी वाले बाबा की चर्चा सुनी होगी, लेकिन अब हम आपको मिलने जा रहे हैं एमटेक बाबा से। इनका नाम दिगंबर कृष्ण गिरी है, जिन्होंने अपने सालाना 40 लाख रुपये के पैकेज को छोड़कर साधु बनना चुना है। पहले उनकी महीने की तनख्वाह तीन लाख रुपये से भी अधिक थी, लेकिन उन्होंने पारिवारिक और सामाजिक मोह को छोड़कर निरंजनी अखाड़े में शामिल होकर नागा संन्यासी बनने का निर्णय लिया।

बाबा की प्राथमिक जानकारी
दिगंबर कृष्ण गिरी का जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की और अपनी कड़ी मेहनत के बूते पर कई प्रतिष्ठित कंपनियों में काम किया। वे एसीसी बिड़ला, डालमिया और कजारिया जैसी नामी कंपनियों में अपने पदों पर कार्यरत रहे। 2010 में वे दिल्ली स्थित एक कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत थे, जहाँ उन्होंने करीब 450 लोगों की टीम को प्रबंधित किया। 

कैसे चुना संन्यास का रास्ता?
दिगंबर की संन्यास यात्रा की शुरूआत तब हुई जब वे अपने दोस्तों के साथ हरिद्वार की यात्रा पर गए थे। वहाँ उन्होंने नागा साधुओं को देखा, जो उनकी सादगी और आध्यात्मिकता में गहराई से प्रभावित हुए। उसके बाद उन्होंने अपने जीवन के सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को तोड़ने का निर्णय लिया और पूर्ण रूप से साधु जीवन को अपनाने का मन बनाया।

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