उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद प्रदेश सरकार और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सभी से यह मांग करता है कि निजीकरण उपभोक्ताओं, कार्मिकों के हित में है या नहीं, इस पर सार्वजनिक चर्चा का आयोजन कराया जाए।
UPPCL Privatisation : बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 3000-4000 करोड़ सरप्लस! ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से सार्वजनिक चर्चा की मांग
Jan 20, 2025 19:26
Jan 20, 2025 19:26
बिजली उपभोक्ताओं के हित पर खतरा
दक्षिणांचल और पूर्वांचल के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के बीच प्रदेश के 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के बीच भी कई सवाल उठ रहे हैं। वह जानना चाह रहे हैं कि इससे उन्हें क्या लाभ मिलेगा। जिस प्रकार से प्रदेश के 42 जनपद निजीकरण के दायरे में आ गए हैं, उसमें संवैधानिक परिपाटी का पालन नहीं करने का आरोप लग रहा है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर जब पहली बार लखनऊ में आए, इसके बाद निजीकरण की प्रक्रिया चालू हो गई अब जब दूसरी बार दो दिन से उत्तर प्रदेश में कुंभ मेला में भ्रमण कर रहे हैं तो उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि सबसे पहले वह प्रदेश में निजीकरण पर अपनी राय को सार्वजनिक करें और बताएं कैसे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का हित संरक्षित रहेगा।
मनोहर लाल खट्टर पर केंद्रित आरोप
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद प्रदेश सरकार और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सभी से यह मांग करता है कि निजीकरण उपभोक्ताओं, कार्मिकों के हित में है या नहीं, इस पर सार्वजनिक चर्चा का आयोजन कराया जाए। संगठन सार्वजनिक तौर पर आंकड़ों के आधार पर यह साबित करने को तैयार है कि इससे केवल उद्योगपतियों का ही फायदा होने वाला है। उपभोक्ता परिषद ने इस पर पूरा अध्ययन कर लिया है। इस अध्ययन के आधार पर पूरी तरीके से संकल्पित है कि निजीकरण से केवल आने वाले समय में देश व प्रदेश के उद्योगपति जिनको बिजली कंपनियों का दायित्व मिलेगा वही मालामाल होंगे।
मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन का मुद्दा
उपभोक्ता परिषद ने कहा जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 का प्रस्तावित ड्राफ्ट सार्वजनिक किया, उस मानक पर यदि आज वर्तमान में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) 2025-26 का आकलन कर लिया जाए तो प्रदेश की बिजली कंपनियों का प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर लगभग 3000 से 4000 करोड़ सरप्लस निकल आएगा। वहीं यदि पुराना टैरिफ रेगुलेशन जो 2019 से 2024 के बीच में लागू था, उसके आधार पर मानक पर आकलन किया जाए तो लगभग 4000 करोड़ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सरप्लस निकालेगा।
उपभोक्ताओं के सरप्लस के साथ छल
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार से जो प्रस्तावित व्यवस्था में उपभोक्ताओं के साथ छल करने की कोशिश की गई है, उसे संगठन कामयाब नहीं होने देगा। इसके लिए प्रदेश सरकार और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को जवाब देना चाहिए कि क्या केवल मानक उपभोक्ताओं की बिजली दर में बढ़ोतरी करने के लिए बनवाया गया है? क्या उनकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ न्याय की पहल करें।
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