UPPCL Privatisation : कंसल्टेंट के प्रस्ताव को नियम विरुद्ध मंजूरी के खिलाफ नियामक आयोग में याचिका, दोषी अफसरों को दंडित करने की मांग

कंसल्टेंट के प्रस्ताव को नियम विरुद्ध मंजूरी के खिलाफ नियामक आयोग में याचिका, दोषी अफसरों को दंडित करने की मांग
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Jan 10, 2025 15:50

जिस प्रकार से पावर कारपोरेशन जल्दबाजी में रोज नया प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में मंजूर करा लेता है, उसे शायद रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का ज्ञान नहीं है। पारदर्शी तरीके से लाइसेंस में बदलाव या वितरण लाइसेंस में किसी भी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के पहले उसे विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी लेना जरूरी है।

Jan 10, 2025 15:50

Lucknow News : उत्तर प्रदेश एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को पीपीपी मॉडल में दिए जाने के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) का चयन करने को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) की मंजूरी के बाद विरोध और तेज हो गया है। इस मामले में शुक्रवार को उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के अध्यक्ष अरविंद कुमार से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जनहित में लोक महत्व याचिका दाखिल करते हुए पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की।

पूरी प्रक्रिया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के खिलाफ, आयोग की नहीं ली गई मंजूरी
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के पूरी तरह अंसवैधानिक है क्योंकि विद्युत नियामक आयोग के बनाए गए वितरण लाइसेंस रेगुलेशन 2004 की धारा 10 का खुला उल्लंघन है। बिना विद्युत नियामक आयोग के पूर्व अनुमति के यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जा सकती। किसी भी परिसंपत्ति के मामले में बदलाव की पूरी प्रक्रिया पर पहले विद्युत नियामक आयोग से अनुमति लेना जरूरी है। इस मामले में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पहले ही घोषणा कर चुका है कि पीपीपी मॉडल में 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों का होगा और 49 प्रतिशत शेयर सरकार के पास रहेगा। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग की बिना अनुमति लिए बिना पावर कारपोरेशन का एनर्जी टास्क फोर्स से अनुमोदन प्राप्त करना आयोग के बनाए गए कानून का उल्लंघन है।



आयोग की मंजूरी के बगैर पहले भी प्रस्ताव किया जा रहा पास, षड्यंत्र की आशंका
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आयोग के सामने यह भी मुद्दा उठाया कि विगत 5 दिसंबर को बिना आयोग की अनुमति लिए पावर कारपोरेशन ने एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में बिजली कंपनियों का निजीकरण किए जाने के लिए पीपीपी मॉडल में एक मसौदे को मंजूरी दी, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय व तकनीकी कमियां सामने आईं। ये साबित करती हैं कि आने वाले समय में बड़ा घोटाला हो सकता है। इसलिए विद्युत नियामक आयोग का नैतिक दायित्व है कि वह पूरे मामले की छानबीन कर जांच करे कि बिजली कंपनियों की परिसंपत्तियों के साथ इस प्रकार का खेल क्यों किया जा रहा है। कहीं इसमें देश के उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोई बड़ा षड्यंत्र तो नहीं है।

नियामक आयोग से बार-बार बचने की यूपीपीसीएल प्रबंधन की कोशिश
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से पावर कारपोरेशन जल्दबाजी में रोज नया प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में मंजूर करा लेता है, उसे शायद रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का ज्ञान नहीं है। पारदर्शी तरीके से लाइसेंस में बदलाव या वितरण लाइसेंस में किसी भी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के पहले उसे विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी लेना जरूरी है। जाहिर है कि अगर यूपीपीसीएल प्रबंधन विद्युत नियामक आयोग के सामने जाने से भाग रहा है, तो निश्चित तौर पर कहीं बड़ा गोलमाल है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद के रहते उद्योगपतियों के पक्ष में कोई भी निर्णय नहीं होने दिया जाएगा, उसके लिए चाहे जो भी संवैधानिक लड़ाई लड़नी पड़े, उपभोक्ता परिषद लड़ेगा और उपभोक्ता परिषद को पूरा यकीन है की लड़ाई वही जीतेगा।
 

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