UPPCL : स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की कानूनी वैधता नहीं, 42 जिलों का निजीकरण असंवैधानिक, सीएम से हस्तक्षेप की मांग

स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की कानूनी वैधता नहीं, 42 जिलों का निजीकरण असंवैधानिक, सीएम से हस्तक्षेप की मांग
UPT | UPPCL

Jan 21, 2025 19:03

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट के मामले में निर्णय सुनाया था कि कोई भी ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट का कोई लीगल स्टेटस नहीं होता। ऐसे में उत्तर प्रदेश में एक ड्राफ्ट एसबीडी को लीगल स्टेटस मानकर इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों की जा रही है, जो अपने आप में बड़ा सवाल है।

Jan 21, 2025 19:03

Lucknow News : प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण का मामला लगातार सवालों में उलझता जा रहा है। इसे लेकर अब तक कई कानूनी खामियां सामने आई हैं। वहीं ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) को लेकर भी कई सवाल उठे हैं। अब उपभोक्ता परिषद ने स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की कानूनी वैधता नहीं होने के कारण उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अफसरों को कटघरे में खड़ा किया है। संगठन ने मुख्यमंत्री से तत्काल निजीकरण की प्रक्रिया रोकने की मांग की है।

एनर्जी टास्क फोर्स का आदेश और विवाद
एनर्जी टास्क फोर्स ने विगत 9 जनवरी को ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) नियुक्त करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय के जारी स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट्स फॉर प्राइवेटाइजेशन ऑफ डिसटीब्यूशन लाइसेंसी (एसबीडी) के तहत कारवाई करने का स्पष्ट निर्देश जारी किया है। वहीं उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने ट्रांजैक्शन एडवाइजर का जो विज्ञापन निकाला है, वह प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर निकाला, क्योंकि ऊर्जा मंत्रालय ने आज तक 2020 में जो बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन जारी की गई थी उसे फाइनल ही नहीं किया गया। वहीं इस प्रस्तावित गाइडलाइन में यह भी लिखा गया कि इससे भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय का कोई लेना देना नहीं है। केवल यह आम विचार के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।



ट्रांजैक्शन एडवाइजर की प्रक्रिया पूरी तरह असंवैधानिक
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक निजीकरण के लिए ऊर्जा मंत्रालय का जारी डॉक्यूमेंट फाइनल नहीं हो जाता, उसकी कोई भी लीगल वैधता नहीं है। ऐसे में इसके आधार पर प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर की प्रक्रिया पूरी तरह असंवैधानिक है और 23 जनवरी को जो ट्रांजैक्शन एडवाइजर के लिए प्री बिड कांफ्रेंस बुलाई गई है वह भी सरासर कानून विरोधी और गलत है।

प्रस्तावित डॉक्यूमेंट की इस वजह से कानूनी मान्यता नहीं
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा किसी भी प्रस्तावित डॉक्यूमेंट को तब तक लीगल डॉक्यूमेंट नहीं माना जा सकता जब तक उसे आधिकारिक डॉक्यूमेंट के रूप में स्वीकृत नहीं किया गया हो। यहां तो ऊर्जा मंत्रालय खुद कह रहा है कि इस प्रस्तावित डॉक्यूमेंट से उसका कोई मतलब नहीं है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि इसका प्रमाणीकरण किसी सक्षम स्तर से किया गया है और यदि नहीं किया गया है तो उत्तर प्रदेश में इसे लीगल क्यों माना जा रहा है ? और उसी आधार पर इससे उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण के लिए लीगल डॉक्यूमेंट क्यों माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने एक ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट के मामले में  निर्णय सुनाया था कि कोई भी ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट का कोई लीगल स्टेटस नहीं होता। ऐसे में उत्तर प्रदेश में एक ड्राफ्ट एसबीडी को लीगल स्टेटस मानकर इतनी बड़ी कार्रवाई क्यों की जा रही है, जो अपने आप में बड़ा सवाल है। राज्य में इस प्रकार की कार्रवाई पर तत्काल प्रदेश सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस पूरी प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए और जब तक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को कानूनी वैधता नहीं प्राप्त हो जाए तब तक उसके आधार पर कार्रवाई नहीं की जाए।

Also Read

मोहनलालगंज में अवैध प्लाटिंग पर चला बुलडोजर, चिनहट में निर्माणाधीन 12 रो-हाउस भवन सील

21 Jan 2025 09:24 PM

लखनऊ Lucknow News : मोहनलालगंज में अवैध प्लाटिंग पर चला बुलडोजर, चिनहट में निर्माणाधीन 12 रो-हाउस भवन सील

राजधानी में शहर से लेकर गांव तक अवैध निर्माण के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) का अ​भियान जारी है। इसी क्रम में मंगलवार को अवैध निर्माण और प्लाटिंग के खिलाफ प्रवर्तन टीम ने कार्रवाई की। और पढ़ें