उपभोक्ता परिषद ने कहा कि टैरिफ आदेश में सभी मामले दर्ज हैं। इसे कोई भी देख सकता है। इसके बाद वर्तमान वर्ष में नोएडा पावर कंपनी लगभग 1082 करोड के सरप्लस में है। इसलिए 10 प्रतिशत कमी आगे चल रही है। प्रदेश की बिजली कंपनियों के ऊपर विद्युत उपभोक्ताओं का भी सरप्लस निकल रहा है। वर्तमान में लगभग 33122 करोड़ सरप्लस है। लेकिन, सरकार के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने पांचों बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी नहीं होने दी।
UPPCL Privatisation : टोरेंट पावर 2200 करोड़ वसूलने के बाद कुंडली मारकर बैठा, एनपीसीएल की बिजली दर कम होने का सच उजागर
Dec 18, 2024 17:32
Dec 18, 2024 17:32
नोएडा पावर कंपनी बिजली दर कम करने को इसलिए हुआ मजबूर
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विधानसभा में प्रदेश में निजीकरण के दोनों प्रयोग नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) व टोरेंट पावर की तारीफ करते हुए कुछ बिंदु रखे थे। उपभोक्ता परिषद ने इसे सही नहीं ठहराया है। संगठन ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने कहा कि नोएडा पावर कंपनी बिना सब्सिडी के 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करके चल रही है। जबकि हकीकत में इसके लिए उपभोक्ता परिषद ने लड़ाई लड़ी है। इसके बाद ये संभव हो सका है। वर्ष 2022-23 में पहली बार इसकी शुरुआत इसलिए हो पाई क्योंकि उपभोक्ता परिषद ने नोएडा पावर कंपनी के कारनामों की पोल खोलते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सामने यह मुद्दा उठा दिया था। इसमें कहा गया कि नोएडा पावर कंपनी अपना लाभ छुपाने के लिए अपने प्रबंध निदेशक को 55 लाख रुपये प्रतिमाह सैलरी देती है और औसत बिजली खरीद से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूली करती है। इसके साथ ही संगठन ने ऐसे अनेक मामले उठाए, जिसकी वजह से उस वर्ष जो नोएडा पावर कंपनी 427 करोड़ के सरप्लस में थी, उसके एवज में 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी की गई।
उपभोक्ताओं का सरप्लस होने के बावजूद सरकार के दबाव में कम नहीं हुईं बिजली दरें
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि टैरिफ आदेश में सभी मामले दर्ज हैं। इसे कोई भी देख सकता है। इसके बाद वर्तमान वर्ष में नोएडा पावर कंपनी लगभग 1082 करोड के सरप्लस में है। इसलिए 10 प्रतिशत कमी आगे चल रही है। प्रदेश की बिजली कंपनियों के ऊपर विद्युत उपभोक्ताओं का भी सरप्लस निकल रहा है। वर्तमान में लगभग 33122 करोड़ सरप्लस है। लेकिन, सरकार के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने पांचों बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी नहीं होने दी। उपभोक्ता परिषद ने आयोग में याचिका भी दाखिल की और कहा कि इस रकम को बराबर करने के लिए एक साथ 40 प्रतिशत या अगले पांच वर्षों तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करके हिसाब बराबर किया जा सकता है। इसके लिए उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री सहित प्रदेश सरकार से भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत दरों में कमी करने का अनुरोध किया था।
बिजली दरों में कमी के लिए नैतिक दायित्व ऊर्जा मंत्री का
संगठन ने कहा कि नोएडा पावर कंपनी की तरह पूर्वांचल, दक्षिणांचल, मध्यांचल, पश्मिांचल और केस्को में बिजली दरों में कमी इसलिए नहीं हो पाई, क्योंकि सरकार ने कमी होने नहीं दी। प्रदेश सरकार को पता ही होगा कि वर्ष 2024-25 में भी विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 1944 करोड़ सरप्लस निकला। इसके बावजूद भी बिजली दरों में कमी नहीं की गई। वास्तव में उपभोक्ता परिषद की लडा़ई नोएडा पावर कंपनी में बिजली दरों में कमी का मुख्य आधार है। प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में बिजली दरों में कमी के लिए सबसे बड़ा नैतिक दायित्व ऊर्जा मंत्री का है। उनसे मुलाकात के दौरान उपभोक्ता परिषद ने इसके लिए कई बार अनुरोध भी किया। लेकिन, कोई कदम नहीं उठाया गया। अब विधानसभा में वह इस तरह की बात रख रहे हैं।
नोएडा पावर कंपनी के एमडी को दी जा चुकी है नोटिस
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा ऊर्जा मंत्री को शायद पता नहीं होगा भाजपा की सरकार बनते ही प्रदेश सरकार की तरफ से वर्ष 2018 में नोएडा पावर कंपनी के एमडी को नोटिस दी गई थी। इसमें कहा गया कि ग्रेटर नोएडा के गांव में नोएडा पावर कंपनी रोस्टर से भी कम बिजली दे रहा है, क्योंकि उसे पता है कि गांव के उपभोक्ता की बिजली दर कम है। यह बात उपभोक्ता परिषद लंबे समय से कहता चला आ रहा है कि नोएडा पावर कंपनी गांव और किसानों को रोस्टर से भी कम बिजली देता है।
टोरेंट पावर के बकाये की पत्रावली दबाने पर सवाल
उपभोक्ता परिषद ने टोरेंट पावर के मामले पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि वर्ष 2020 में उपभोक्ता परिषद की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन कैबिनेट ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने नोएडा पावर कंपनी टोरेंट पावर की जांच कराई, जिसमें टोरेंट पावर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ कि कंपनी ने लगभग 2200 करोड़ का पिछला बकाया वसूलने के बावजूद आज तक पावर कारपोरेशन को नहीं दिया। इसके साथ ही जो 10 साल में 15 प्रतिशत लाइन लाॅस उसे कम करना था, वह कम करने के बावजूद दिखाया नहीं जा रहा है। इस तरह कंपनी ज्यादा लाभ कमाने में जुटी है। इसका खुलासा सीएजी रिपोर्ट में भी हो चुका है। इसी प्रकार इन दोनों कंपनियों के खिलाफ तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की जांच में कमेटी ने रिकमेंडेशन दी कि नोएडा पावर कंपनी के लाइसेंसधारी होने के कारण सरकार इसकी गहन जांच कराए। लेकिन, मामले की पत्रावली को सरकार में दबा लिया गया।
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