यूपी में बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव : उपभोक्ता परिषद ​विरोध में पहुंचा नियामक आयोग, DVVNL-PuVVNL के निजीकरण पर पेच

उपभोक्ता परिषद ​विरोध में पहुंचा नियामक आयोग, DVVNL-PuVVNL के निजीकरण पर पेच
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Dec 03, 2024 18:55

इसके साथ ही बिजली कंपनी दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण पर बड़ा पेंच फंसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद ने कहा जब दक्षिणांचल और पूर्वांचल की तरफ से भी वर्ष 2025-26 का बिजली दर प्रस्ताव दाखिल हो गया है, तो अब इस वित्तीय वर्ष में इस बिजली कंपनी को निजी हाथों में नहीं दिया जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों का होगा।

Dec 03, 2024 18:55

Lucknow News : प्रदेश में बिजली दरों में इजाफे की कोशिश के विरोध में उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल किया। संगठन ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) पर गुपचुप तरीके से मसौदा दाखिल करने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया है। 

चोर दरवाजे से 20 प्रतिशत तक वृद्धि की कोशिश
संगठन ने कहा कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL), मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL), पश्मिाचंल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) और कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड- केस्को (KESCo) की तरफ से लगभग 12800 करोड़ का गैप दिखाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ताओं की बिजली दरों में चोर दरवाजे 15 से 20 प्रतिशत वृद्धि करने के प्रस्ताव पर उसकी इस सतर्कता से फिलहाल ग्रहण लग गया है।  



यूपीपीसीएल की ओर से दाखिल एआरआर कानून सही नहीं
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर उनके समक्ष लोक महत्व विरोध प्रस्ताव दाखिल किया है। संगठन ने कहा कि बिजली कंपनियों के तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) कानून के तहत सही नहीं है। जब प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, तो ऐसे में बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव दाखिल होना चाहिए था। इसलिए इसे संशोधित कराया जाए।

दक्षिणांचल-पूर्वांचल का इस वजह से नहीं हो सकता निजीकरण
इसके साथ ही बिजली कंपनी दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण पर बड़ा पेंच फंसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद ने कहा जब दक्षिणांचल और पूर्वांचल की तरफ से भी वर्ष 2025-26 का बिजली दर प्रस्ताव दाखिल हो गया है, तो अब इस वित्तीय वर्ष में इस बिजली कंपनी को निजी हाथों में नहीं दिया जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों का होगा। लेकिन, जो बिजली दर प्रस्ताव दाखिल किया गया है, वह दक्षिणांचल और पूर्वांचल का है। ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में अब उसके शहरों में कोई भी बदलाव नहीं हो सकता।

रिवोक्ड लाइसेंस का आवेदन जरूरी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने एक बड़ा लीगल सवाल उठाते हुए कहा कि यूपीपीसीएल की कोई लीगल आइडेंटिटी नहीं है। उसके द्वारा संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर दक्षिणांचल व पूर्वांचल को निजी हाथों में पीपीपी मॉडल के तहत सौंपने का एलान किया गया। वास्तव में यूपीपीसीएल को कानून का ज्ञान नहीं है। उसे सबसे पहले विद्युत अधिनियम 2003 पढ़ना चाहिए। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19(3) में स्पष्ट रूप से प्रावधानित है। इसके अनुसार, सबसे पहले पूर्वांचल और दक्षिणांचल को अगर पीपीपी मॉडल में दिया जाना था, तो सबसे पहले दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत कंपनी को कारण बताते हुए रिवोक्ड लाइसेंस का आवेदन देना था। विद्युत अधिनियम 2003 यह कहता है कि कम से कम तीन महीने की नोटिस के बाद ही लाइसेंस रिवोक्ड होगा। ऐसे में अब बिजली कंपनियां रिवोक्ड लाइसेंस के लिए आवेदन भी नियामक आयोग को नहीं दे सकती हैं, क्योंकि उनके द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया है। इसका मतलब इस वित्तीय वर्ष में दक्षिणांचल और पूर्वांचल ही उपभोक्ताओं को सेवाएं देगी। 

उपभोक्ताओं का एग्रीमेंट बिजली कंपनियों के साथ, विश्वास में लेना जरूरी
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने यूपीपीसीएल की लीगल आइडेंटिटी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उसके द्वारा किसके दबाव में असंवैधानिक परिपाटी का निर्वहन करते हुए दोनों बिजली कंपनी को निजी क्षेत्र में देने की बात की जा रही है। यह बहुत गंभीर मामला है। सबसे पहले नियामक आयोग इस प्रक्रिया को तत्काल रोके और पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को बर्खास्त करे, क्योंकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का एग्रीमेंट इन दोनों बिजली कंपनियों के साथ है। इन दोनों बिजली कंपनियों को किसी के हाथ में बेचना बिना उपभोक्ताओं को विश्वास में लिए उचित नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं की सभी बिजली कंपनियों पर लगभग 5000 करोड़ से ज्यादा की सिक्योरिटी राशि जमा है। इन दोनों बिजली कंपनियों पर भी लगभग 2500 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी है। ऐसे में उसके साथ खिलवाड़ करना सही नहीं है।

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