UPPCL : 1.15 लाख करोड़ बकाया वसूलकर 5825 करोड़ का हो सकता है मुनाफा, निजीकरण की जरूरत नहीं

1.15 लाख करोड़ बकाया वसूलकर 5825 करोड़ का हो सकता है मुनाफा, निजीकरण की जरूरत नहीं
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Nov 28, 2024 18:37

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण की आवश्यकता तब होती है, जब कंपनियां आर्थिक रूप से अक्षम हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि यूपीपीसीएल को निजीकरण के बजाय बकाया राशि वसूली पर ध्यान देना चाहिए। इससे न केवल घाटा खत्म होगा, बल्कि कंपनियां आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

Nov 28, 2024 18:37

Lucknow News : प्रदेश की बिजली कंपनियों को लगभग 1.10 लाख करोड़ रुपये के घाटे का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के आंकड़ों के मुताबिक, बिजली उपभोक्ताओं पर 1,15,825 करोड़ का बकाया है। यदि यह राशि वसूल ली जाए, तो बिजली कंपनियां न केवल घाटे से उबर सकती हैं, बल्कि लाभ की स्थिति में आ सकती हैं। ऐसे में यूपीपीसीएल को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल जैसे कदम उठाने की जरूरत नहीं होगी।

डिस्कॉम पर बकाया राशि की स्थिति
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि यूपीपीसीएल के पास अभी भी समय है कि उसे जिन विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली बिल का भुगतान लेना है, उनसे इसे लिया जाए और उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की सेवा दें। निजीकरण की जरूरत ही नहीं है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में विभिन्न क्षेत्रीय डिस्कॉम पर उपभोक्ताओं से वसूली पर नजर डालें तो ये बात पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती है।
  • दक्षिणांचल (DVVNL) : 24,947 करोड़ रुपये
  • पूर्वांचल (PuVVNL) : 40,962 करोड़ रुपये
  • मध्यांचल (MVVNL) : 30,031 करोड़ रुपये
  • पश्चिमांचल (PVVNL) : 16,017 करोड़ रुपये
  • केस्को (कानपुर) : 3,866 करोड़ रुपये
  • कुल बकाया : 1,15,825 करोड़ रुपये


निजीकरण से बचने की सलाह
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण की आवश्यकता तब होती है, जब कंपनियां आर्थिक रूप से अक्षम हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि यूपीपीसीएल को निजीकरण के बजाय बकाया राशि वसूली पर ध्यान देना चाहिए। इससे न केवल घाटा खत्म होगा, बल्कि कंपनियां आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

आर्थिक लाभ की संभावना
उन्होंने कहा कि यूपीपीसीएल बिना मतलब के निजीकरण का राग अलाप कर पूरे प्रदेश में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है। जब उसके पास पब्लिक से बिजली बिल का भुगतान ही 1,15,825 करोड़ रुपये लेना है। यदि यूपीपीसीएल बकाया राशि वसूल कर लेता है, तो वह न केवल 5,825 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा सकता है, बल्कि अपने कर्ज की अदायगी भी कर सकेगा। उपभोक्ता परिषद के अनुसार, यह सही समय है कि यूपीपीसीएल उपभोक्ताओं से भुगतान सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए और अपनी वित्तीय स्थिति को स्थिर करे।

नो-टैरिफ इनकम पर ध्यान देने की जरूरत
परिषद ने यह भी सुझाव दिया कि बिजली निगमों को अपनी आय बढ़ाने के अन्य साधनों जैसे नो-टैरिफ इनकम पर भी ध्यान देना चाहिए। इस अतिरिक्त आय से निगम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। उपभोक्ता परिषद लगातार इसके लिए लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन, बिजली कंपनियां इस पर ध्यान देंगी तभी वह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं।

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