उत्तर प्रदेश की तराई में शिमला का सेब ! हिमालय की ठंडी पहाड़ियों से लेकर उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों तक, सेब की खेती का यह सफर एक नई पहल का परिणाम है। इस अभिनव प्रयोग की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ...
मेहनत रंग लाई : गोरखपुर में पैदा हो रहा हिमाचल का सेब
Jul 11, 2024 15:23
Jul 11, 2024 15:23
जनवरी 2021 में की थी पहली पहल
केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि उन्होंने जनवरी 2021 में सेब की तीन प्रजातियों - अन्ना, हरमन-99, और डोरसेट गोल्डन - को हिमाचल प्रदेश से मंगवाकर केंद्र पर रोपित किया। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि ये तीनों प्रजातियां पूर्वांचल के कृषि जलवायु के अनुकूल पाई गई हैं। गोरखपुर के पिपराइच स्थित उनौला गांव के प्रगतिशील किसान धर्मेंद्र सिंह। केवीके की सफलता से उत्साहित होकर, धर्मेंद्र ने 2022 में हिमाचल से अन्ना और हरमन-99 प्रजातियों के 50 सेब के पौधे मंगवाकर अपने खेत में लगाए।
मेहनत रंग लाई
धर्मेंद्र सिंह की मेहनत रंग लाई और इस वर्ष उनके पौधों पर भी फल लग गए। अपनी इस सफलता पर टिप्पणी करते हुए धर्मेंद्र कहते हैं, "कुछ नया करना मेरा जुनून है।" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में खेतीबाड़ी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अनुदान की प्रक्रिया पारदर्शी और सरल है, साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र से मिलने वाली तकनीकी सलाह बहुत मददगार है। अपनी प्रारंभिक सफलता से उत्साहित होकर, धर्मेंद्र सिंह अब अपने प्रयोग को और विस्तार देने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने एक एकड़ में सेब का बाग लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने पौधों का ऑर्डर दे दिया है और अब हिमाचल से उनके आने का इंतजार कर रहे हैं।
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कैसे करें सेब की खेती
संस्तुत प्रजातियों का ही चयन करें। अन्ना, हरमन - 99, डोरसेट गोल्डन आदि का ही प्रयोग करें। बाग में कम से कम दो प्रजातियां का पौध रोपण करें। इससे परागण अच्छी प्रकार से होता है एवं फलों की संख्या अच्छी मिलती है। फल अमूमन 4/4 के गुच्छे में आते हैं। शुरुआत में ही कुछ फलों को निकाल देने से शेष फलों की साइज और गुणवत्ता बेहतर हो जाती है।
नवंबर से फरवरी रोपण का उचित समय
पौधरोपण के लिए नवंबर से फरवरी का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, जिसमें जनवरी-फरवरी को सबसे अच्छा समय माना गया है।
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इतनी दुरी पर लागाए पौध
पौधों को लगाते समय लाइन से लाइन और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 फीट रखनी चाहिए। इस प्रकार, एक एकड़ में लगभग 400 पौधे लगाए जा सकते हैं।
तीन-चार वर्ष में ही 80 फीसद पौधों में आने लगते फल
रोपाई के तीन से चार वर्ष में ही 80 प्रतिशत पौधों में फल आने लगते हैं, और छह वर्ष में पूर्ण फलन प्राप्त हो जाता है। यह सेब को अल्पकालिक बागवानी के लिए भी एक आकर्षक विकल्प बनाता है। फलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रबंधन तकनीकों का भी सुझाव दिया गया है। उदाहरण के लिए, फल आमतौर पर चार-चार के गुच्छे में आते हैं। शुरुआती चरण में ही कुछ फलों को निकाल देने से शेष फलों का आकार और गुणवत्ता बेहतर हो जाती है।
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