प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए नजूल जमीन विधेयक पर जमकर घमासान हो रहा है। जब से यह विधेयक यूपी विधानसभा में पेश किया गया है, यूपी सरकार के अपने ही नेता विरोध करने लगे...
नजूल जमीन विधेयक : क्या है नए कानून में? किस पर चलेगा बुलडोजर, किसे मिलेगा फायदा, जानें सब कुछ
Aug 03, 2024 14:55
Aug 03, 2024 14:55
यह भी पढ़ें- यूपी की सियासत में हंगामा है क्यों बरपा : सीएम का नजूल विधेयक फिजूल! अपनों ने बढ़ाई सरकार की टेंशन, अनुप्रिया, राजा भैया भी खिलाफ
किसी भी व्यक्ति की बेदखली नहीं होगी
यूपी सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि नए नजूल विधेयक के तहत किसी भी व्यक्ति की बेदखली का इरादा नहीं किया है। इसके अलावा, यदि कोई पट्टाधारक लीज़ डीड के नियमों का पालन करता है, तो उसका पट्टा नियमों के अनुसार जारी रहेगा। इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट किया गया है कि इस अधिनियम के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में नजूल भूमि को किसी भी निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में फ्री होल्ड में नहीं दिया जाएगा। नजूल भूमि केवल केंद्र या राज्य सरकार की उन संस्थाओं को सौंपी जाएगी जो लोकहित के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सेवाओं में काम कर रही हैं। इसके साथ ही, जो नजूल भूमि खाली पड़ी है और जिसकी लीज़ अवधि समाप्त हो रही है, उसे सार्वजनिक उपयोग की परियोजनाओं जैसे अस्पताल, स्कूल, और सरकारी कार्यालयों के लिए आवंटित किया जाएगा।
जिन्होंने फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया है...
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिन पट्टाधारकों ने 27 जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया है और निर्धारित शुल्क का भुगतान कर दिया है, वे लीज़ की समाप्ति के बाद अगले 30 वर्षों के लिए नवीनीकरण की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि, यह सुविधा तभी उपलब्ध होगी जब उन्होंने लीज़ डीड की शर्तों का पालन किया हो। यदि किसी नजूल भूमि पर बने भवन को व्यापक जनहित के लिए हटाना आवश्यक हो, तो प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम-2013 के तहत उचित मुआवजा और पुनर्वास प्राप्त होगा। यह अधिनियम सरकार को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह नजूल भूमि पर काबिज गरीब तबके के हितों की रक्षा करते हुए उनके पक्ष में कानून बना सके और उन्हें पुनर्वासित कर सके।
पहली बार संसदीय कार्यमंत्री ने पेश किया विधेयक
यूपी विधानसभा में बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 प्रस्तुत किया। उन्होंने इस दौरान बताया कि जनहित की परियोजनाओं के लिए भूमि की व्यवस्था में अक्सर समस्याएं आती हैं, जिससे सार्वजनिक कार्यों में विलंब होता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद नजूल संपत्ति का इस्तेमाल सार्वजनिक हितों की योजनाओं के लिए किया जा सकेगा। लेकिन गुरुवार को विधेयक को लेकर बहुत हंगामा हुआ और विधेयक फंस गया।
पहली बार संसदीय कार्यमंत्री ने पेश किया विधेयक
यूपी विधानसभा में बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 प्रस्तुत किया। उन्होंने इस दौरान बताया कि जनहित की परियोजनाओं के लिए भूमि की व्यवस्था में अक्सर समस्याएं आती हैं, जिससे सार्वजनिक कार्यों में विलंब होता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद नजूल संपत्ति का इस्तेमाल सार्वजनिक हितों की योजनाओं के लिए किया जा सकेगा। लेकिन गुरुवार को विधेयक को लेकर बहुत हंगामा हुआ और विधेयक फंस गया।
यह है पूरा विवाद
विधेयक के पास होने के बाद विधानसभा में माहौल बदल गया। इसका नतीजा
यूपी सरकार की उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत निकला। योगी सरकार के अपने विधायक ही इसके खिलाफ हो गए। अनुप्रिया पटेल ने इस विधेयक को तुरंत वापस लेने की मांग की। वहीं राजा भैया ने भी विधेयक का खुलकर विरोध किया। यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद का बयान भी विधेयक के खिलाफ आया। इतना ही नहीं भाजपा के दो और विधायकों ने इसका खुलकर विरोध किया। इसके बाद विधेयक को लेकर एक मीटिंग का गई,जिसके बाद भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में खड़े होकर इस बिल पर आपत्ति जताई और इसे प्रवर समिति को सौंपने को कहा।
क्या है फ्री होल्ड
नजूल की किसी भूमि की सर्किल रेट के अनुसार मूल्य 50 करोड़ रुपये है, जबकि इसका बाजार मूल्य 100 करोड़ रुपये तक पहुंचता है। इस भूमि को फ्री होल्ड कराने के लिए सर्किल रेट का महज 10 प्रतिशत, यानी पांच करोड़ रुपये, का भुगतान किया जा रहा है। इसका मतलब है कि व्यक्ति केवल पांच करोड़ रुपये में 100 करोड़ रुपये की भूमि का मालिक बन जाता है। जबकि नजूल एक्ट में फ्री होल्ड का कोई प्रावधान नहीं है, फिर भी अब तक लगभग 25 प्रतिशत नजूल की भूमि को इस तरीके से फ्री होल्ड किया जा चुका है।
प्रदेश में चल रहा यह खेल
अब जानते हैं कि फ्री होल्ड कराने का क्या खेल है। प्रदेश में नजूल की मूल्यवान जमीनों को बहुत ही कम कीमत पर फ्री होल्ड कराने की गतिविधियां चल रही हैं। इन सरकारी जमीनों की कुल कीमत लगभग दो लाख करोड़ रुपये के करीब है, और फ्री होल्ड कराने के प्रयास में सर्किल रेट का महज 10 प्रतिशत शुल्क लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार हेक्टेयर नजूल की भूमि है। विभाग के अनुसार, अब तक लगभग 4 हजार एकड़ भूमि को फ्री होल्ड किया जा चुका है। वर्तमान में नजूल भूमि के मालिकाना हक से संबंधित 312 मामले उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं, और करीब 2500 मामले प्रक्रिया में हैं।
यह भी पढ़ें- Nazul land bill : क्या होता है नजूल जमीन? जिसको लेकर बीजेपी और सपा के बीच सदन में छिड़ी गई थी जंग
Also Read
23 Nov 2024 06:00 AM
बुधवार 20 नवंबर को मीरापुर (मुजफ्फरनगर), कुन्दरकी (मुरादाबाद), गाजियाबाद, खैर (अलीगढ), करहल (मैनपुरी), सीसामऊ (कानपुर नगर), फूलपुर (प्रयागराज), कटेहरी (अंबेडकरनगर) एवं मझवां (मिर्जापुर) विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। शनिवार को मतगणना के बाद 90 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ... और पढ़ें