विटामिन बी-12 : बुजुर्गों में अवसाद कम करने का असरदार समाधान, केजीएमयू के अध्ययन से जगी नई उम्मीद

बुजुर्गों में अवसाद कम करने का असरदार समाधान, केजीएमयू के अध्ययन से जगी नई उम्मीद
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Dec 20, 2024 12:10

अध्ययन में यह पाया गया कि विटामिन बी-12 वाले समूह में अवसाद के स्तर में 78 प्रतिशत की कमी देखी गई। जबकि एंटीडिप्रेशन दवाओं वाले समूह में अवसाद का स्तर 47 प्रतिशत तक कम हुआ।

Dec 20, 2024 12:10

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के किए गए अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन बी-12 के सप्लीमेंट बुजुर्गों में अवसाद (लेट-लाइफ डिप्रेशन) को कम करने में कारगर हो सकते हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ जीरियाट्रिक मेंटल हेल्थ के दिसंबर अंक में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन ने यह भी दिखाया कि एंटीडिप्रेशन दवाओं की तुलना में विटामिन बी-12 तेजी से और अधिक प्रभावी परिणाम दे सकता है।

अध्ययन का उद्देश्य और प्रक्रिया
अध्ययन में 62 बुजुर्ग शामिल किए गए, जिनकी औसत उम्र 67 साल थी। इनमें अवसाद की स्थिति को 'जीरियाट्रिक मेंटल स्केल' से मापा गया। सभी प्रतिभागियों में विटामिन बी-12 का स्तर न्यूनतम सीमा के करीब था। इन बुजुर्गों को कंप्यूटर के जरिए दो समूहों में बांटा गया।
पहला समूह : इन्हें केवल एंटीडिप्रेशन दवाएं दी गईं।
दूसरा समूह : इन्हें नियमित रूप से विटामिन बी-12 के इंजेक्शन तीन दिन के अंतराल पर दिए गए।
एक साल तक दोनों समूहों की निगरानी की गई और परिणामों का विश्लेषण किया गया।



शोध में मिले प्रमुख निष्कर्ष
28वें दिन से ही दोनों समूहों में अंतर दिखाई देने लगा। अध्ययन में यह पाया गया कि विटामिन बी-12 वाले समूह में अवसाद के स्तर में 78 प्रतिशत की कमी देखी गई। जबकि एंटीडिप्रेशन दवाओं वाले समूह में अवसाद का स्तर 47 प्रतिशत तक कम हुआ। यह परिणाम विटामिन बी-12 की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है, विशेष रूप से बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य में।

अवसाद और बुजुर्गों का संघर्ष
शोध में पाया गया कि बुजुर्गों में अवसाद की व्यापकता लगभग 34 प्रतिशत है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि आत्महत्या, उदासी, और भ्रामक निर्णय जैसी प्रवृत्तियों को भी जन्म देता है। युवा वयस्कों की तुलना में बुजुर्गों में अवसाद के फिर से लौटने की संभावना अधिक होती है।

विटामिन बी-12 की कमी के सामान्य लक्षण
विटामिन बी-12 की कमी के कई संकेत होते हैं, जो अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
  • हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्न होना।
  • अत्यधिक थकावट और कमजोरी।
  • वजन कम होना और मुंह के छाले।
  • उदासी और उत्तेजित महसूस करना।
  • दृष्टि में कमी और त्वचा में पीलापन।
एंटीडिप्रेशन दवाओं की सीमाएं
शोध में पाया गया कि एंटीडिप्रेशन दवाएं बुजुर्गों के अवसाद को पूरी तरह से खत्म नहीं कर पातीं। विटामिन बी-12 की कमी मेथिओनिन के स्तर को कम करके डीएनए संश्लेषण में बाधा डालती है और होमोसिस्टीन के स्तर को बढ़ाती है। इससे तनाव और अवसाद की स्थिति और अधिक जटिल हो जाती है।

शोधकर्ताओं की टीम और योगदान
अध्ययन ने स्पष्ट किया कि विटामिन बी-12 सप्लीमेंट न केवल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, बल्कि दवाओं की तुलना में तेज़ और प्रभावशाली भी हैं। यह निष्कर्ष मानसिक स्वास्थ्य में विटामिन के महत्व को रेखांकित करता है। इस महत्वपूर्ण अध्ययन में केजीएमयू के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इनमें डॉ. पूजा मीजल, डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव, डॉ. आकांक्षा सोनल, डॉ. विवेक अग्रवाल, और डॉ. वाहिद अली शामिल थे। उनकी इस पहल ने बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए नए आयाम खोले हैं।

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