19 अप्रैल को हुए प्रथम चरण के मतदान में बीते लोकसभा चुनाव 2019 से 5.4% वोटिंग परसेंटेज की कमी आई है जिसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना गया है...
Lucknow News : प्रथम चरण के मतदान में वोटिंग परसेंटेज हुआ कम, कई कारण है जिम्मेदार
Apr 21, 2024 17:31
Apr 21, 2024 17:31
वोटिंग परसेंटेज में कमी के कई कारण- बीते 19 अप्रैल को हुए प्रथम चरण के मतदान में वोटिंग परसेंटेज में 5.4% की कमी आई है साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण के मतदान में 66% वोटिंग हुई थी जबकि इस बार 62% ही वोटिंग हुई है। वोटिंग परसेंटेज में हुई कमी के कई कारण सियासी पंडित बता रहे हैं। कहां जा रहा है कि देश में हुए बीते दो लोकसभा चुनाव में जो कार्यकर्ताओं में उत्साह था वह इस बार काफी कम नजर आ रहा है। वहीं कई जगह इस कमी का कारण सही प्रत्याशी को टिकट न मिलना भी बताया जा रहा है।
यह भी है कारण- जिस तरह से गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है यह भी एक कारण वोटिंग परसेंटेज में कमी का बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ खेतों में गेहूं की फसल की कटाई भी चल रही है साथ ही साथ सहालग का सीजन भी शुरू हो गया है। बहरहाल राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह सभी कारण इतना ज्यादा प्रभावशाली नहीं है जितना की उत्साह में कमी का होना देखा जा रहा है।
किसी ने मनाई छुट्टी कोई अपने काम में रहा व्यस्त- देश में होगा बीते दो लोकसभा चुनाव में जिस तरह का माहौल बना था कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता भी चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए काफी उत्साहित नजर आ रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोगों में भी चुनाव के प्रति उत्साह काफी कम नजर आ रहा है भले ही इलेक्शन कमीशन के द्वारा लोगों को अधिक से अधिक वोट डालने के लिए जागरूक किया जा रहा है लेकिन जागरूकता कार्यक्रमों का असर दिखाई नहीं दे रहा। वोटिंग के दिन मिलने वाली छुट्टी का सदुपयोग करते हुए मध्यवर्गीय परिवार ने उसे वोट न देकर अपने परिवार के साथ ही मनाया तो वहीं किसान भी खेतों में जूझते नजर आए।
बहरहाल लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण में वोटिंग परसेंटेज में आई कमी उस समय है जब गर्मी की शुरुआत मात्र है आने वाले समय में गर्मी अपना और प्रचंड रूप दिखाएगी वही होने वाले दूसरे और अन्य फेस के इलेक्शन में आखिर कैसा रहता है माहौल यह देखना दिलचस्प होगा।
Also Read
20 Nov 2024 05:47 PM
परिवार नियोजन के महाप्रबंधक सूर्यांशु ओझा ने बताया कि पुरुष नसबंदी को सुरक्षित, प्रभावी और स्थाई विधि के रूप में स्थापित करने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पिछले वर्ष 2022-23 में 2,968 पुरुषों ने नसबंदी कराई थी, जबकि इस वर्ष 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 3,834 हो गई है, जो 29 प... और पढ़ें