राजभवन में गुरुवार को सडन कार्डियक अरेस्ट के विषय पर जागरूकता फैलाने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का संचालन संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई), लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. आदित्य कपूर और उनकी टीम ने किया।
राजभवन में सडन कार्डियक अरेस्ट पर कार्यशाला : अधिकारियों ने सीखा हार्ट अटैक के दौरान सीपीआर देने का तरीका
Oct 17, 2024 19:55
Oct 17, 2024 19:55
सडन कार्डियक अरेस्ट-हार्ट अटैक में अंतर पर चर्चा
कार्यशाला के दौरान डॉ. आदित्य कपूर ने बताया कि सडन कार्डियक अरेस्ट (एससीए) और हार्ट अटैक दो अलग-अलग स्थितियां हैं। हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जबकि सडन कार्डियक अरेस्ट में हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है, जिससे रक्त संचार रुक जाता है। उन्होंने कहा कि सही समय पर सहायता और त्वरित उपचार से सडन कार्डियक अरेस्ट के दौरान मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सीपीआर तकनीक-आपातकालीन उपकरणों का प्रशिक्षण
डॉ. कपूर और उनकी टीम ने कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को बताया गया कि आपातकालीन स्थिति में सीपीआर कैसे दिया जाता है और इसे किस प्रकार से जीवन रक्षक उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने सीपीआर की पूरी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझाते हुए इसे पीपीटी और वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित भी किया।
इस उपकरणों का दिया गया प्रशिक्षण
इसके अलावा, वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन, एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) और शॉक मशीन के उपयोग के बारे में भी जानकारी दी गई। डॉ. कपूर ने बताया कि इन उपकरणों का सही समय पर उपयोग करके सडन कार्डियक अरेस्ट के मरीज को बचाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आम लोग भी एईडी मशीन का प्रयोग कर सकते हैं, जो हृदय को सही लय में लाने में मदद करती है।
कानूनी प्रावधानों पर चर्चा
कार्यशाला में गुड समैरिटन लॉ और आपातकालीन परिस्थितियों में पीड़ितों की सहायता करने से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर भी चर्चा की गई। डॉ. कपूर ने बताया कि इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगर कोई व्यक्ति आपातकालीन स्थिति में किसी पीड़ित की सहायता करता है, तो उसे कानूनी कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस कानून के बारे में जानकारी देकर लोगों को प्रेरित किया गया कि वे ऐसे मामलों में मदद करने से पीछे न हटें।
व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रस्तुतीकरण
कार्यशाला के दौरान न केवल सैद्धांतिक जानकारी दी गई, बल्कि उपस्थित लोगों को व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया। अधिकारियों और कर्मचारियों ने सीपीआर की प्रक्रिया का अभ्यास किया और सडन कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में तुरंत कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए, यह सीखा। इस व्यवहारिक प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को आवश्यक कौशल हासिल करने का अवसर दिया, जिससे वे भविष्य में आपातकालीन स्थितियों में बेहतर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे।
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