उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय में वृद्धि के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है।
योगी सरकार की एक नई पहल : शहरी स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
![शहरी स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम](https://image.uttarpradeshtimes.com/uu-75-97505.jpg)
Jul 05, 2024 15:57
Jul 05, 2024 15:57
राज्य सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं की पहचान
इस योजना के तहत, राज्य सरकार ने 38 विभिन्न परियोजनाओं की पहचान की है, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। ये परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों को कवर करती हैं, जिनमें प्रशासनिक और उपयोगिता संरचनाएं, आजीविका केंद्र, आर्थिक बुनियादी ढांचा, सांस्कृतिक और विरासत संरचनाएं, सामाजिक और मनोरंजक सुविधाएं, सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा, और पर्यावरण उन्नयन शामिल हैं।
योजना के तहत ये परियोजना शामिल
प्रशासनिक और उपयोगिता संरचनाओं में कार्यालय भवन, शहरी कियोस्क, मशीनीकृत और अन्य प्रकार की पार्किंग, और सड़क जंक्शन जैसी सुविधाएं शामिल हैं। आजीविका केंद्रों और आर्थिक बुनियादी ढांचे में को-वर्किंग स्पेस, शहरी मेले, फूड स्ट्रीट हब और डिजिटल सड़कें जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। सांस्कृतिक और विरासत संरचनाओं में विरासत सड़कें, संरक्षण परियोजनाएं, संग्रहालय, प्रदर्शनी स्थल, कला दीर्घाएं, शहरी कला सजावट और मूर्तियां शामिल हैं।
योजना में सामाजिक और मनोरंजक सुविधाएं
सामाजिक और मनोरंजक सुविधाओं के अंतर्गत शहरी सामुदायिक केंद्र, विवाह हॉल, सेवानिवृत्ति गृह, वरिष्ठ देखभाल केंद्र, कामकाजी महिलाओं और पुरुषों के लिए छात्रावास, सभागार और शहरी कैफे की योजना है। सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में पालतू जानवरों के क्लिनिक, पार्क, खुले जिम और बहुउद्देशीय खेल सुविधाएं शामिल हैं। पर्यावरण उन्नयन के लिए, शहरी आर्द्रभूमि, शहरी वन, शहरी नर्सरी और बागवानी में निवेश की योजना है।
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ऐसे होगा धन का आवंटन
इन परियोजनाओं के लिए धन का आवंटन शहरी स्थानीय निकायों द्वारा किए गए कर संग्रह और उनके स्वयं के योगदान के अनुपात में किया जाएगा। बुनियादी ढांचे का चयन सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों और मानदंडों के अनुसार होगा, जिसमें शहरी स्थानीय निकाय के आकार को भी ध्यान में रखा जाएगा। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल की संभावना वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के विभिन्न स्रोत
इन परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के विभिन्न स्रोत होंगे। इनमें शहरी स्थानीय निकायों का अपना राजस्व, पीपीपी मॉडल, राज्य और केंद्र सरकार की योजनाएं, राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) और केंद्रीय वित्त आयोग (सीएफसी) के तहत प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा, सांसदों और विधायकों की निधि का भी उपयोग किया जा सकता है। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के माध्यम से नागरिक समाज संगठन और अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इन परियोजनाओं में निवेश कर सकते हैं।
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धन के वितरण के विकल्प
धन के वितरण के लिए दो विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं। पहले विकल्प में, 40 प्रतिशत धन नगर निगमों को, 40 प्रतिशत नगर पालिका परिषदों को और 20 प्रतिशत नगर पंचायतों को दिया जाएगा। दूसरे विकल्प में, 50 प्रतिशत नगर निगमों को, 25 प्रतिशत नगर पालिका परिषदों को और 25 प्रतिशत नगर पंचायतों को आवंटित किया जाएगा।
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