बकरीद (ईद उल-अज़हा) 17 जून को मनाई जाएगी। बकरीद (ईद उल-अज़हा) को लेकर मुस्लिम समाज में तैयारियां चल रही हैं। उत्तर प्रदेश के जिलों में बकरीद (ईद उल-अज़हा) के मौके पर सड़क पर नमाज अदा न करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने धर्म गुरुओं से अपील की है।
Bakrid 2024 : मेरठ के शहर काजी ने शाही ईदगाह के बाहर सड़क पर नमाज की अनुमति के लिए सीएम योगी को लिखा पत्र
![मेरठ के शहर काजी ने शाही ईदगाह के बाहर सड़क पर नमाज की अनुमति के लिए सीएम योगी को लिखा पत्र](https://image.uttarpradeshtimes.com/ju1203-94199.jpg)
Jun 13, 2024 03:12
Jun 13, 2024 03:12
- 17 जून को मनाई जाएगी बकरा ईद
- मेरठ दिल्ली रोड पर स्थित है शाही ईदगाह
- जुलूस और शोभायात्रा निकाले जाने का दिया हवाला
पुलिस और प्रशासन ने धर्म गुरुओं से अपील की है
बता दें बकरीद (ईद उल-अज़हा) 17 जून को मनाई जाएगी। बकरीद (ईद उल-अज़हा) को लेकर मुस्लिम समाज में तैयारियां चल रही हैं। उत्तर प्रदेश के जिलों में बकरीद (ईद उल-अज़हा) के मौके पर सड़क पर नमाज अदा न करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने धर्म गुरुओं से अपील की है। इसके बाद मेरठ में शहर काजी जैनुस साजिदीन ने सीएम योगी आदित्यनाथ और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सड़क पर नमाज अदा करने की अनुमति मांगी है।
शाही ईदगाह के भर जाने अकीदतमंदों को सड़कों पर नमाज अदा करने की छूट दी जानी चाहिए
शहर काजी ने बताया कि जब अन्य धर्मों के लोगों के त्योहारों पर सड़काें पर जुलूस और शोभायात्रा निकाली जाती हैं और आयोजन होते हैं तो शाही ईदगाह के भर जाने अकीदतमंदों को सड़कों पर नमाज अदा करने की छूट दी जानी चाहिए। जब शासन प्रशासन उन पर कोई रोक नहीं लगाता तो ईद की नमाज सड़कों पर अदा करने पर रोक क्यों। उन्होंने कहा कि बकरीद (ईद उल-अज़हा) के मौके पर शाही ईदगाह के भर जाने अकीदतमंदों को सड़कों पर नमाज अदा करने की इजाजत दी जाए।
सड़क पर नमाज पढ़ने की अनुमति देने से कोई व्यवस्था नहीं
शहर काजी ने कहा बकरीद (ईद उल-अज़हा) की नमाज शाही ईदगाह में आधा घंटे की होती है। लिहाजा उस समय सड़क पर नमाज पढ़ने की अनुमति देने से कोई व्यवस्था नहीं बिगड़ेगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले वो इस तरह का पत्र पूर्व में राष्ट्रपति को लिख चुके हैं। जिसका जवाब आया है, उसमें कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों को उचित निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
बता दें 19 ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा कराने का प्रस्ताव प्रशासन की ओर से दिया था। उन्होंने ही साफ सफाई और पानी की व्यवस्था के बारे में बताया था। हम किसी से भी यह नहीं कह रहे कि सड़क पर नमाज अदा करें, या फिर नमाज न पढ़े। हम ये कह रहे हैं कि हमारी परम्परा के अनुसार बकरीद (ईद उल-अज़हा) की नमाज अदा कराई जाए।
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