सूड़ी द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न हो जाती है तथा उसके नीचे की आंखों से फुटाव हो जाता है। फलस्वरूप शीर्ष भाग में मृतसार(डेड हर्ट) एवं बंचीटाप (झाड़ीनुमा संरचना) बन...
Meerut News : पश्चिम यूपी में गन्ने की फसल पर टॉप बोरर का हमला, किसानों को सतर्क रहने के निर्देश
Jun 01, 2024 00:01
Jun 01, 2024 00:01
- गन्ना और कृषि विभाग ने गन्ने की फसल को बचाने की संभाली कमान
- किसानों को प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट करने की सलाह
- गन्ना किसानों जैविक नियन्त्रण के लिए ट्राइकोकार्ड का उपयोग की सलाह
कीट की मादा शलभ चाॅदी जैसे सफेद रंग की
इस कीट की पहचान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस कीट की मादा शलभ चाॅदी जैसे सफेद रंग की होती है तथा पीछे की ओर नारंगी रंग की रोये दार संरचना पायी जाती है। यह रात में गन्ने की पत्तियों के मध्य शिरा के पास 75 से 250 अण्डों के समूह में अण्डे देती है। जो एक-दूसरे पर चढ़े हुए (ओवरलैप) तथा भूरे रंग के रोयेंदार पदार्थ से ढ़के रहते हैं। इस कीट की सूड़ी हल्के पीले रंग की होती है जो कि पत्ती की मध्य शिरा से होते हुए अगोले तक पहॅुच जाती हैं तथा अगोले की बिना खुली हुयी पत्तियों को खाती है जिससे अगोले की पत्तियों पर गोल छर्रे जैसे निशान दिखाई पड़ते है। सूड़ी द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न हो जाती है तथा उसके नीचे की आंखों से फुटाव हो जाता है। फलस्वरूप शीर्ष भाग में मृतसार(डेड हर्ट) एवं बंचीटाप (झाड़ीनुमा संरचना) बन जाता है। शुक्ल ने गन्ना किसानों को सलाह दी कि वह अपने गन्ना खेतों की सुबह-सुबह निगरानी जरूर करें। खेत में अगर दूसरी पीढ़ी के अण्ड समूह अथवा सूड़ियाॅ दिखाई पड़े तो ऐसी प्रभावित पत्तियों को तोड़ कर के नष्ट कर दें। अन्यथा की स्थिति में सूड़ियाॅ पत्ती की मध्य शीरा से प्रवेश कर गन्ने के गोफ में घुस जाती है और गन्ने की बढ़वार को रोक देती है। अधिक प्रभावित पौधों को खुरपी से पूरा काट कर नष्ट कर दें।
कीट की तीसरी पीढ़ी गन्ने को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है
निदेशक शुक्ल ने कहा कि इस कीट की तीसरी पीढी सर्वाधिक नुकसान पहुॅचाती है जो जून के तीसरे सप्ताह में आती है और इस समय के अण्ड समूहों एवं सूडियों को एकत्र कर के नष्ट कर देने से इस कीट की सूड़ी गन्ने के गोफ में नहीं घुस पाती है तथा अगली पीढ़ी से होने वाले नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है।
कीट नियंत्रण के लिए करें इनका उपाय
कीट के नियन्त्रण हेतु निदेशक शुक्ल ने बताया कि इस कीट की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से प्रभावित पौधों में मृतसार/डेडहर्ट बनने पर पौधों को जमीन की सतह से सूड़ी/प्यूपा सहित काटकर नष्ट कर दें तथा रसायनिक नियन्त्रण हेतु निदेशक ने बताया कि इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत रसायन को एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर थोड़ा सा सैम्पू मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने से पौधे के ऊपर पाये जाने वाले अण्ड समूह एवं सूड़ियाॅ एवं तितलियाॅ नष्ट हो जाती है।
अधिक प्रभावित फसल एवं गोफ के अन्दर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को नष्ट
अधिक प्रभावित फसल एवं गोफ के अन्दर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को नष्ट करने के लिए क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल (कोराजन/सिटीजन) 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. 400 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में नमी की स्थिति में गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करें और इसकी उपलव्धता न होने पर वर्टागो या फरटेरा का भी उपयोग किया जा सकता है। इस कीट के जैविक नियन्त्रण हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जापोनिकम की 20000 वयस्क (4 से 5 ट्राईकोकार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से 15 दिन के अन्तराल पर लगाये जाने से यह चोटी बेधक के अण्डों को खा जाता है तथा फसल चोटी बेधक के प्रकोप से बच जाता है।
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