बागपत लोकसभा चुनाव : रालोद की चौधर बचाने को सांगवान ने ठोकी ताल, सामने हो सकते हैं अमरपाल

रालोद की चौधर बचाने को सांगवान ने ठोकी ताल, सामने हो सकते हैं अमरपाल
UPT | बागपत में भाजपा-रालोद गठबंधन प्रत्‍याशी राजकुमार सांगवान

Apr 02, 2024 22:05

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी चौसर बिछ चुकी है। यहां पहले दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 19 मार्च को सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर में मतदान होगा। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।

Apr 02, 2024 22:05

Short Highlights
  • भाजपा के साथ गठबंधन से असहज महसूस कर रहे रालोद कार्यकर्ता 
  • सपा-कांग्रेस और बसपा जातीय गणित पर लड़ रहीं अस्तित्व की लड़ाई 
Baghpat News (धीरज कुमार ढि‍ल्‍लो) : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी चौसर बिछ चुकी है। यहां पहले दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 19 मार्च को सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर में मतदान होगा। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। दूसरे चरण में गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, गाजियाबाद, बागपत, मेरठ और अमरोहा में मतदान होगा। दूसरे चरण के ‌लिए चार अप्रैल तक नामांकन होंगे। हालांकि प्रमुख सियासी दल कई लोकसभा सीटों पर अभी भी जातीय गणित लगा रहे हैं और इस गणित के हिसाब से प्रत्याशियों की फेरबदल का सिलसिला जारी है।

प्रत्‍याशी बदलकर चर्चा में आई सपा 
उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल मानी जा रही समाजवादी पार्टी इस मामले में सबसे आगे निकलती दिख रही है। मुरादाबाद और रामपुर में अपने प्रत्याशी बदलकर चर्चा में आई समाजवादी पार्टी ने मेरठ सीट पर पहले दलित समाज से आने वाले एडवोकेट भानुप्रताप के स्थान पर गुर्जर समाज से आने वाले अतुल प्रधान को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। बागपत लोकसभा सीट पर भी पार्टी इसी उधेड़बुन में लगी है, हालांकि सपा पहले ही मनोज चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, लेकिन अब साहिबाबाद सीट से 2012 में पहली बार विधायक चुने गए अमरपाल शर्मा भी समाजवादी पाटी -कांग्रेस गठबंधन से प्रत्याशी की दौड़ में शामिल हो गए हैं। बसपा प्रवीण बंसल के रूप में गुर्जर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार चुकी है। 

बागपत की जनता को इस बात का है मलाल
बागपत लोकसभा सीट पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की सीट होने के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खास मानी जाती है। उनकी राजनैतिक विरासत संभाल रहे चौधरी जयंत सिंह ने लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन कर बागपत और बिजनौर, दो लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बागपत से छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाने वाले डा. राजकुमार सांगवान चुनाव मैदान में हैं और बिजनौर लोकसभा सीट से मीरापुर विधायक चंदन सिंह। बेशक डा. राजकुमार सांगवान अपने व्यक्तित्व के चलते बागपत में अपनी स्वीकार्यता कबूल कराने में काफी हद तक कामयाब हो रहे हैं और चौधरी चरण सिंह की सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने से अभिभूत भी हैं, लेकिन राष्ट्रीय लोकदल के कैडर मतदाताओं को इस बार चौधरी चरण सिंह के परिवार से प्रत्याशी न पाने का मलाल भी है। 

चौधरी पर‍िवार के सदस्‍य को चाहता है बागपत 
सियासी जानकार भी इस बात को मानते हैं कि कम से कम बागपत लोकसभा सीट से तो चौधरी परिवार को इस तरह मुंह नहीं फेरना चाहिए था, जबकि भाजपा ने गठबंधन की शर्तों में एक राज्यसभा सीट भी इस परिवार के लिए आरक्षित रखने की बात स्वीकारी है। यानि जयंत चौधरी यदि खुद चुनाव लड़ते तो उनकी राज्यसभा सीट पत्नी चारू चौधरी को मिल जाती है, यदि ऐसा भी नहीं करना था तो चारू चौधरी को भी बागपत से प्रत्याशी बनाया जा सकता था। सोमवार को रालोद-भाजपा प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान ने नामांकन दाखिल कर दिया, लेकिन नामांकन के लिए जाने से पहले उन्होंने बड़ौत स्थित जिला मुख्यालय पर हमेशा किए जाने वाले हवन से भी किनारा कर लिया। 

प्रत्‍याशी के साथ नहीं द‍िखा रालोद का बड़ा चेहरा
डा. सांगवान भाजपा के बागपत जिला कार्यायल से पर्चा भरने निकले। इस मौके पर रालोद का कोई बड़ा चेहरा मौजूद नहीं रहा, भाजपा के साहिबाबाद विधायक और चुनाव से ऐन पहले केबिनेट में जगह‌ पाए सुनील शर्मा और मोदीनगर विधायक डा. मंजू शिवाच के अलावा भाजपा से बागपत लोकसभा प्रभारी बनाए गए डा. अशोक नागर के साथ भाजपा के तमाम नेता जरूर मौजूद रहे लेकिन भाजपा के ही निवर्तमान सांसद सत्यपाल सिंह इस मौके पर भाजपा कार्यालय पर नहीं दिखे। ऐसा किन पर‌िस्थितियों के चलते हुआ, यह बागपत में चर्चा का विषय है। 

द‍िलचस्‍प होगा बागपत में चुनाव
पिछले सप्ताह डा. राजकुमार सांगवान के एक गांव में पहुंचने पर रालोद और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई कहन-सुनन को भी ऐसी प‌रिस्थितियों के लिए जिम्मेदार होने की चर्चा है, हालांकि सांगवान समर्थक इस कहन-सुनन का कारण प्रधानी के चुनाव को बताते हैं।सपा-कांग्रेस गठबंधन से अमर शर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने पर बागपत में चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने के आसार बागपत वालों को भी लग रहे हैं। इसके पीछे ब्राहमण, मु‌स्लिम और यादव मतों को आधार बताया जा रहा है। दूसरी ओर 2014 और 2019 में बड़े चौधरी साहब की सीट पर रालोद को हार का मुंह देखने के कारण उपजी स‌हानुभ‌ूति का फायदा भी रालोद प्रत्याशी को मिलने की भी संभावना है।

इनका कहना है
बड़ौत निवासी राजेंद्र सिंह बताते हैं कि रालोद के पुराने कार्यकर्ताओं और मतदाता भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर थोड़े असहज हैं। उनके मन में कष्ट है। मेरठ में हुई प्रधानमंत्री की चुनावी रैली में जयंत चौधरी को उतना महत्व न मिलने की पीड़ा भी तंग कर रही है। रालोद से ही जुड़े बागपत निवासी सुनील कहते हैं - हमारे नेता ने कोई निर्णय लिया है तो हम मान तो रहे हैं लेकिन वो बात नहीं है। हालांकि डा. राजकुमार सांगवान का व्यवहार लोगों जोड़ने का काम कर रहा है। नतीजा तो समय ही बताएगा। 

बागपत लोकसभा सीट पर जातीय गणित
जाट        - लगभग चार लाख 
मुस्लिम    - लगभग साढ़े तीन लाख
पिछले और अति पिछड़े - लगभग दो लाख
ब्राहमण   - लगभग एक लाख
यादव      - लगभग 50 हजार
कश्यप    - लगभग 50 हजार
वैश्य       - लगभग 40 हजार
 

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