पश्चिम यूपी के मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के जिलों में लगभग 30 लाख हेक्टेयर में गन्ना खेती होती है। मेरठ मंडल रीजन में करीब 3.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती होती है।
गन्ना समर्थन मूल्य : पश्चिमी यूपी की सियासत उफान पर, विपक्ष ने भरी हुंकार, किसानों का गुस्सा बरकरार
Dec 30, 2023 12:38
Dec 30, 2023 12:38
सत्ता संभालने के चार में 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया दाम
प्रदेश में 2017 में जब भाजपा की सरकार बनी तो किसानों की समस्याओं को हल करने के बड़े दावे किए गए थे। लेकिन 2017 में योगी सरकार के बनने के बाद 2021 में यानी चार साल में गन्ने के मूल्य में मात्र 10 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई थी। इसको लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी थी। वहीं उसके बाद यानी पेराई सत्र 2021—22 में सरकार ने गन्ने के मू्ल्य में 25 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि की थी। लेकिन गन्ने की इस मूल्य वृद्धि के बाद भी सरकार के प्रति किसानों का गुस्सा बरकरार रहा। अब पश्चिम यूपी का गन्ना किसान 425 रुपए प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि सरकार गन्ना मूल्य वृद्धि का जोखिम नहीं उठाना चाह रही। भाजपा के प्रति बगावती तेवर दिखाने वाले वरूण गांधी ने गन्ना मूल्य कम से कम 400 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर गन्ना राजनीति को हवा दे दी है।
13 साल में सिर्फ 140 रुपए बढ़े, गन्ना फसल पर लागत दो गुना
उत्तर प्रदेश में पिछले 13 वर्ष में गन्ना का समर्थन मूल्य 140 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ा है। लेकिन इस दौरान गन्ना फसल की लागत दोगुना से अधिक हो गई है। किसानों को गन्ने की खेती में नुकसान हो रहा है। वो गन्ना मूल्य वृद्धि की मांग कर रहे हैं। लेकिन गन्ना मूल्य को लेकर सरकार अभी तक चुप्पी साधे हुए है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में लगभग 40 लाख से अधिक किसान गन्ने की खेती करते हैं। पश्चिम यूपी के मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के जिलों में लगभग 30 लाख हेक्टेयर में गन्ना खेती होती है। मेरठ मंडल रीजन में करीब 3.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती होती है। इसमें मेरठ जिले में 1.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना बोया जाता है। किसानों का कहना है उन्हें लागत के मुताबिक दाम नहीं मिल रहे हैं। गन्ने की फसल बोना उनकी मजबूरी है। इसके अलावा वो और कुछ कर रही सकते।
पिछली सरकारों ने बढ़ाए सबसे अधिक दाम
भाजपा ने अपने छह साल के कार्यकाल में 35 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य की वृद्धि की है। वर्ष 2020-21 में गन्ने का मूल्य 315 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 325 रुपए प्रति क्विंटल किया गया था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में 25 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई। जबकि 2017 से पहले प्रदेश में सपा सरकार ने अपने आठ साल के कार्यकाल में कुल 95 रुपए गन्ना मूल्य में वृद्धि की थी। वर्ष 2012 में सपा की ओर से गन्ना मूल्य 250 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 290 किया गया था। इसके बाद 290 में 25 रुपए और बढ़ाए थे। बात बसपा सरकार की करें तो मायावती ने अपने पूरे कार्यकाल में 120 रुपए गन्ना मूल्य में वृद्धि की थी। भाजपा सरकार ने अभी 2023—24 पेराई सत्र के लिए कोई मूल्य वृद्धि नहीं की है।
पेराई सत्र से पहले होनी चाहिए मूल्य वृद्धि
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धमेंद्र टिकैत का कहना है कि जिस प्रकार केंद्र सरकार एमएसपी और एफआरपी समय से पहले तय करती है, उसी प्रकार राज्य सरकार को पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए। वर्तमान सत्र शुरू है गन्ना पर्चियों पर रेट नहीं है। इससे किसानों का बकाया मिल पर चढ़ रहा है। सरकार को गन्ना मूल्य में वृद्धि करनी होगी।
यह है पिछले 13 सालों में गन्ना मूल्य की स्थिति
वर्ष अगैती प्रजाति दर सामान्य प्रजाति दर अनुपयुक्त प्रजाति दर
2010-11 210 रुपए 205 रुपए 200 रुपए
2011-12 250 रुपए 240 रुपए 235 रुपए
2012-13 290 रुपए 280 रुपए 275 रुपए
2013-14 290 रुपए 280 रुपए 275 रुपए
2014-15 290 रुपए 280 रुपए 275 रुपए
2015-16 290 रुपए 280 रुपए 275 रुपए
2016-17 315 रुपए 305 रुपए 300 रुपए
2017-18 325 रुपए 315 रुपए 310 रुपए
2018-19 325 रुपए 315 रुपए 310 रुपए
2019-20 325 रुपए 315 रुपए 310 रुपए
2021-22 350 रुपए 340 रुपए 335 रुपए
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