पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की चपेट में है, जिसका सीधा असर भारत के अपैरल (रेडीमेड गारमेंट्स) कारोबार पर पड़ रहा है। नोएडा, मेरठ, आगरा, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों...
बांग्लादेश हिंसा से हिला कारोबार : रेडीमेड गारमेंट्स के कारोबारी बोले- संकट लंबा खिंचा तो सबकी जेब पर असर पड़ेगा
Aug 10, 2024 18:08
Aug 10, 2024 18:08
बांग्लादेश अपैरल इंडस्ट्री में क्यों महत्वपूर्ण
बांग्लादेश में तैयार होने वाले कपड़ों की फिनिशिंग और गुणवत्ता दुनिया में बेहतर मानी जाती है। कई प्रसिद्ध कंपनियों के कपड़े बांग्लादेश में ही बनते हैं। भारत के भी कई बड़े ब्रांड बांग्लादेश में कपड़े तैयार कराते हैं या वहां से कच्चा माल लाकर तैयार करवाते हैं। भारत बांग्लादेश को 12 अरब डॉलर का माल निर्यात करता है, जबकि वहां से केवल दो अरब डॉलर का आयात होता है। लेकिन अब वहां की खराब स्थिति के कारण दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार प्रभावित हो रहा है। कपड़ों के अलावा, भारत बांग्लादेश से मसाले, जूट, प्राकृतिक रबर, खाद्य तेल, सब्जी तेल और समुद्री उत्पाद आयात करता है। भारत भी 6052 वस्तुओं का निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने बांग्लादेश को 1220 करोड़ डॉलर का निर्यात किया है।
यह असर संभव
बांग्लादेश के हालात का दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात पर इसका असर पड़ने की संभावना है, जिससे भारतीय अपैरल निर्यातकों को नए अवसर मिल सकते हैं। भारतीय निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल सकता है। दूसरी ओर, बांग्लादेश में उद्योग लंबे समय से बंद हैं और वे अन्य देशों को माल की आपूर्ति करने से बच रहे हैं। यदि यह स्थिति लंबे समय तक जारी रहती है, तो भारत में कई उत्पादों की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। व्यापारियों का कहना है कि हिंसा के बाद से कुछ उत्पादों के आयात और निर्यात में असर दिख रहा है। बांग्लादेश में फैक्ट्रियों और मंडियों से कंटेनर डिपो (बंदरगाह) तक माल पहुंचाने में परेशानी हो रही है। इसी तरह, भारत से निर्यात किए जा रहे माल का उठान भी पूरी मात्रा में नहीं हो रहा है। यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो कुछ उत्पादों की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत द्वारा बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में सूती धागा, पेट्रोल उत्पाद, सूती कपड़े और तैयार कपड़े, रेडीमेड सूती कपड़े शामिल हैं।
अवसर भी बढ़ेंगे
दूसरी ओर रेडिमेड गारमेंट उद्योग को उम्मीद है कि अब विदेशी खरीदार बांग्लादेश के बजाय भारत का रुख करेंगे। बांग्लादेश में 25 प्रतिशत कपड़ा उद्यमी भारतीय हैं, जो वर्तमान परिस्थितियों में वहां से अपना कारोबार बंद करके भारत में अपनी इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। इससे भारत के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका के बाद बांग्लादेश से भारत का व्यापार अधिशेष में है। भारत और बांग्लादेश के बीच कुल 14 अरब डॉलर का कारोबार होता है। बताया जाता है कि वहां निर्माण लागत कम होने से उत्पाद सस्ता होता है, जिससे उद्यमियों को अच्छा मुनाफा होता है। अब अगर उत्पाद बांग्लादेश में फंस गया तो कीमतों में भी बदलाव हो सकता है। राजनीतिक उथल-पुथल के बाद उद्यमी काफी परेशान हैं। अपैरल पार्क क्लस्टर के चेयरमैन ललित ठुकराल ने बताया कि बांग्लादेश में नोएडा के मुकाबले मजदूर सस्ते हैं। इससे उत्पाद निर्माण की लागत कम आती है। बांग्लादेश से तैयार माल पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता है।
कॉटन यार्न का निर्यात प्रभावित
नार्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के प्रधान संजय गर्ग का कहना है कि बांग्लादेश संकट के कारण कॉटन यार्न का निर्यात प्रभावित हो रहा है। नए ऑर्डर नहीं आ रहे और पुराने ऑर्डर के माल की डिलीवरी नहीं हो रही। ऐसे में उद्यमी हालात सही होने का इंतजार कर रहे हैं। इसमें लंबा वक्त भी लग सकता है। अपैरल निटवियर गारमेंट्स एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के प्रधान हरीश दुआ का कहना है कि बांग्लादेश से मासिक अपैरल एवं टेक्सटाइल निर्यात तीस हजार करोड़ रुपये का है, जबकि भारत से यह साढ़े बारह हजार करोड़ रुपये मासिक का है। अब भारत से निर्यात बढ़ सकता है। विदेशी खरीदार यहां का रुख कर सकते हैं। इसका स्पष्ट संकेत शेयर बाजार में भी मिला है। बांग्लादेश में संकट के बाद से भारतीय शेयर बाजार में देश की गारमेंट एवं अपैरल कंपनियों के शेयरों में बीस प्रतिशत तक का उछाल देखा गया है।
यह है बड़ा कारण
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल ऑर्गनाइजेशन में टेक्सटाइल डिवीजन के प्रमुख अजीत लाकड़ा कहते हैं कि बांग्लादेश से अमेरिका एवं यूरोप के देशों में निर्यात शुल्क मुक्त है, जबकि भारत से इन देशों को निर्यात करने पर पंद्रह प्रतिशत शुल्क लगता है। ऐसे में अब प्रीमियम क्वालिटी के माल में भारत की हिस्सेदारी विश्व बाजार में बढ़ सकती है। विदेशी खरीदार भी अब भारत से माल लेंगे। बांग्लादेश का हर माह कपड़े का निर्यात 3.5 से 3.8 अरब डॉलर के बीच है। इसकी यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बाजारों में हिस्सेदारी दो अंकों में है।
अंतरिम सरकार बनने के बाद सुधार की आस
बांग्लादेश में हालात सामान्य होने के बाद ही कारोबार पटरी पर आने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि हालात ऐसे हैं कि कुछ बांग्लादेशी कारोबारी मौके का फायदा उठाकर माल रोक सकते हैं। ऐसे में शहर के उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। उद्यमी राकेश सचदेवा ने बताया कि वह पिछले दस साल से बांग्लादेश से कारोबार कर रहे हैं। हर साल कारोबार बढ़ रहा था। अब धीरे-धीरे बांग्लादेश से उनका कारोबार 65 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है।
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