दिल्ली-एनसीआर में बीते दो दिनों में मौसम इस कदर बदल गया है कि यहां रहने वाले लोग खुद हैरान हैं। पिछले दो दिनों में पारा 5 से 6 डिग्री तक गिर गया है।
दो दिन में 8 डिग्री तक गिरा पारा : मानसून नहीं आया तो अचानक नोएडा-गाजियाबाद में कैसे बदल गया मौसम?
Jun 21, 2024 15:11
Jun 21, 2024 15:11
- दो दिन में 8 डिग्री तक गिरा पारा
- अचानक बदल गया एनसीआर का मौसम
- पहाड़ों की बारिश का भी असर
पहले जानिए तापमान का हाल
नोएडा में बीते एक हफ्ते तक अधिकतम तापमान 45 डिग्री के ऊपर बना हुआ था। 15 जून को जहां नोएडा में अधिकतम तापमान 45.9 डिग्री दर्ज किया गया, तो 17 जून को यह 46.5 डिग्री हो गया। इसके बाद 19 जून को मामूली गिरावट के साथ अधिकतम तापमान 44.4 डिग्री हो गया। इतने अधिक तापमान और भीषण लू चलने के साथ-साथ रात में भी गर्म हवा के थपेड़े लोगों की जान के दुश्मन बन गए थे। 19 जून को तो न्यूनतम 37 डिग्री के लगभग था।
अब बदला गया मौसम
गुरुवार यानी 20 जून की आधी रात से सिर्फ नोएडा और गाजियाबाद ही नहीं, बल्कि पूरे दिल्ली-एनसीआर में मौसम ने अचानक से करवट ले ली है। आधी रात को चली धूल भरी आंधी, बादलों की छांव के बीच कड़कती बिजली ने मौसम ऐसा सुहाना कर दिया कि 20 जून को जब लोग सोकर उठे, तो सोचने पर मजबूर हो गए। एनसीआर में अभी मानसून के आने में कुछ दिन और शेष हैं। लेकिन बावजूद इसके 20 जून को पारा गिरकर 40 डिग्री पर आ गया। न्यूनतम तापमान 37 डिग्री से सीधा 28 डिग्री तक पहुंच गया। वहीं 21 जून को नोएडा में अधिकतम तापमान 37 डिग्री और न्यूनतम तापमान 28 डिग्री पर बना हुआ है। वहीं सूरज के साथ आंख-मिचौली खेलते बादलों से मौसम और तपिश कम हो गई है।
कैसे बदल गया अचानक मौसम?
दरअसल दिल्ली एनसीआर के मौसम में अचानक आए इस बदलाव का कारण पश्चिमी विक्षोभ है। वहीं बंगाल की खाड़ी से आने वाली पूर्वी हवाओं के कारण उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से में छिटपुट बारिश भी हुई है। हालांकि मौसम विभाग ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हीटवेव की आशंका जाहिर जरूर की है, लेकिन शुक्रवार की दोपहर नोएडा में धूल भरी आंधी चलने के बाद मौसम और बेहतर हो गया। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में मौसम ऐसा ही बना रहेगा।
पहाड़ों की बारिश का भी असर
दिल्ली से कुछ ही घंटों की दूरी पर पहाड़ शुरू हो जाते हैं। ऐसे में जब भी पहाड़ों पर बारिश होती है, एनसीआर में मौसम में बदलाव देखने को मिला है। पिछले 48 घंटों में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश से भी मौसम बदला है। देहरादून में 19 जून को इतनी बारिश हुई कि 4 चॉपर की ऋषिकेश में एमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। इसे अलावा प्री-मानसून इफेक्ट का असर भी एनसीआर पर पड़ रहा है। आम तौर पर दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में जून के 15 जून के बाद मानसून आ जाता है। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। मौसम विभाग ने 25 जून के बाद से एनसीआर में मानसून के आने की संभावना जारी की है।
Conditions are favourable for further advance of Monsoon into some more parts of North Arabian Sea, Gujarat State, remaining parts of Maharashtra, some more parts of MP, Chhattisgarh, Odisha, Gangetic West Bengal, Jharkhand, Bihar and some parts of East UP during next 3-4 days.
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 21, 2024
कितना तापमान सह सकता है इंसान?
एक इंसान अमूमन कितनी गर्मी बर्दाश्त कर सकता है, ये उसकी इम्यूनिटी पर निर्भर करता है। भारत के जलवायु में काफी विविधता पाई जाती है। इस कारण यहां के लोगों के लोगों की इम्युनिटी काफी बेहतर होती है। आमतौर पर सामान्य इंसान 42 डिग्री से ऊपर की गर्मी झेलने के लिए नहीं बना है। ज्यादा समय तक ऐसे तापमान में रहने से शरीर का मेटाबॉलिज्म खराब हो जाता है। इससे मल्टी ऑर्गन फेल होने का खतरा रहता है, जिससे मौत भी हो सकती है। लेकिन आपने देखा होगा कि देश के कुछ हिस्सों में तापमान 50 तक भी पहुंच गया था। उत्तर भारत में गर्मी से मौत की खबरें अभी भी आ रही हैं, लेकिन फिर भी हम इतने तापमान में सर्वाइव कर रहे हैं। इसकी वजह सिर्फ भारतीयों की बेहतर इम्युनिटी है।
क्यों पड़ रही है इतनी गर्मी?
गर्मी का कहर सिर्फ भारत ही नहीं, दुनियाभर में किस कदर बरपा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लंदन तक में हीटवेव के अलर्ट जारी किए गए हैं। इन सबका एक अहम कारण ग्लोबल वॉर्मिग है। ग्लोबल क्लाइमेट चेंज वजह से ही नॉर्थ इंडिया में हीटवेव की स्थिति बनी हई है। इसके अलावा अलनीनो, पर्यावरण डिसबैलेंस की वजह से भी मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहा है। अलनीनो की स्थिति में हवाएं उल्टी बहती हैं और महासागर के पानी का तापमान भी बढ़ जाता है, जो दुनिया के मौसम को प्रभावित करता है।
1.5 डिग्री तक बढ़ा धरती का तापमान
पहाड़ों पर बढ़ती भीड़, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, कंस्ट्रक्शन के काम, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, एसी और फ्रिज का लगभग हर घर में इस्तेमाल समेत अन्य कई वजहें हैं, जो धरती का तापमान बढ़ा रही हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से न सिर्फ ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, बल्कि समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ-साथ समुद्र का तापमान भी बढ़ रहा है। बीते 123 साल में 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा है। इस दौरान धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यही वजह सीमा है, जिसे रोकने के लिए दुनिया के सभी देश पेरिस समझौते के तहत प्रतिबद्ध हैं। धरती का तापमान बढ़ने की वजह से ही मौसम में इस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
कब तक बारिश के आसार?
नोएडा और गाजियाबाद समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर में भले ही धूल भरी आंधी चल रही हो और बारिश की संभावना लग रही हो, लेकिन फिर भी मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि तापमान में गिरावट के बावजूद गर्मी से राहत इतनी जल्दी नहीं मिलने वाली। अगर एनसीआर में छिटपुट बारिश हो भी गई, तो 1-2 दिनों में तापमान फिर बढ़ेगा। हालांकि राहत की बात ये है कि 25 जून के बाद से नोएडा और गाजियाबाद में मानसून के प्रवेश करने की संभावना है। जुलाई और अगस्त इन इलाकों में भरपूर बारिश होती है। यहीं दो महीने हैं, जब एनसीआर में प्रदूषण भी अपने निचले स्तर पर होता है।
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