ग्रेटर नोएडा में कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इसका मुख्य लक्ष्य है शहर के सारे कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाना है। 50 टन प्रतिदिन (टीडीपी) गीले कचरे के निस्तारण और उसे बायो सीएनजी में परिवर्तित करने की परियोजना को मंजूरी दी गई है।
ग्रेटर नोएडा में अपशिष्ट प्रबंधन की नई पहल : 50 टीडीपी गीले कचरे को बायो सीएनजी में परिवर्तित करने की योजना
Aug 06, 2024 16:32
Aug 06, 2024 16:32
- गीले कचरे को बायो सीएनजी में परिवर्तित करने की योजना
- अस्तौली में खास कचरा प्रबंधन केंद्र तैयार होगा जल्द
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना
इसके अतिरिक्त, ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-1 में एक अत्याधुनिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना का कार्य भी प्रारंभ हो गया है। यह प्लांट 'सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर टेक्नोलॉजी' पर आधारित होगा और इसकी अनुमानित लागत 79.57 करोड़ रुपये है। 45 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) की क्षमता वाला यह संयंत्र न केवल सीवेज का उपचार करेगा बल्कि जल पुनर्चक्रण सुविधा भी प्रदान करेगा। इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से, सरकार पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और बेहतर स्वच्छता प्रबंधन के लक्ष्यों को साथ-साथ हासिल करने की दिशा में काम कर रही है।
कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने पर जोर
ग्रेटर नोएडा में कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इसका मुख्य लक्ष्य है शहर के सारे कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाना है। वर्तमान में,ग्रेटर नोएडा में तीन जगहों पर कचरा प्रबंधन होता है। जिनमेंदो जगहों पर रोज 10 टन कचरे से खाद बनाई जाती है। इस नई पहल के तहत, पूरे क्षेत्र में 50 टन प्रतिदिन गीले कचरे का प्रसंस्करण कर उसे बायो-सीएनजी में परिवर्तित किया जाएगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए, प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा के अस्तौली में एक भूमि पार्सल चिह्नित किया है, जहां यह नवीन प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी। यह परियोजना न केवल अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाएगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी योगदान देगी, जो कि शहर के सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अस्तौली में खास कचरा प्रबंधन केंद्र
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण सरकार और निजी कंपनियों के साथ मिलकर पीपीपी मोड के तहत अपशिष्ट प्रबंधन व उसके साइंटिफिक प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए कई क्लस्टर स्थापित करने पर कार्य कर रहा है। इन केंद्रों का मकसद है शहर का सारा गीला कचरा वैज्ञानिक तरीके से निपटाना है। इस काम के लिए जल्द ही कंपनियों का चुनाव किया जाएगा, जिससे काम तेजी से शुरू हो सकेगा। अस्तौली नाम की जगह पर एक खास कचरा प्रबंधन केंद्र बनेगा यह केंद्र 25 साल तक चलेगा। इसे बनाने और चलाने का काम चुनी गई कंपनी करेगी।
बायो-सीएनजी का वाहनों में इस्तेमाल
परियोजना के अंतर्गत बनने वाली बायो-सीएनजी को सिटी बसों समेत विभिन्न वाहनों में प्रयुक्त किया जाएगा। वहीं इस ईंधन को बनाने और भरने में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के नियमों का पालन किया जाएगा।
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