स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 में नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम. शहर को पह स्थान पर लाने के लिए लगातार प्रयास करने में जुटे हुए हैं, लेकिन...
कब मिलेगा नोएडा को गंदगी से छुटकारा : सफाई का जायजा लेने निकले सीईओ, लापरवाही मिलने जानिए क्या लिया एक्शन…
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Apr 02, 2024 19:50
Apr 02, 2024 19:50
डिवाइडर और फुटपाथ पर डस्ट, सफाई कर्मी नहीं आए नजर
सीईओ ने शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर निरीक्षण करते हुए सेक्टर-6 से होते हुए सेक्टर-3, हरौला लेबर चौक, टी-सीरीज चौराहा, सेक्टर-19 से होते हुए डीएससी रोड, सेक्टर-29, सेक्टर-37, ग्राम अगाहपुर, सेक्टर-49, सेक्टर-50, सेक्टर-51, मेट्रो स्टेशन, सेक्टर-62 , खोड़ा रोड, सेक्टर-57 और सेक्टर-11 का जायजा लिया। इस दौरान उन्हे कहीं भी कोई सफाई कर्मचारी सड़क पर या अन्य किसी स्थान पर काम करता हुआ दिखाई नहीं दिया। डिवाइडर और फूटपाथ पर डस्ट पड़ी थी। इस डस्ट को न तो मैकेनिकल स्वीपिंग के संविदाकार ने साफ किया और न ही उस क्षेत्र के सफाई कर्मियों की तरफ से साफ किया जा रहा है। इससे नाराज होकर उन्होने उप महाप्रबंधक को कार्यवाही के निर्देश दिए है।
सेक्टर-18 में सफाई नही मिलने से नाराज हुए सीईओ, एसपी सिंह को लगाई फटकार
इस दौरान उन्होने नोएडा सेक्टर-18 में साफ-सफाई का निरीक्षण किया। इस दौरान सेक्टर में सफाई नहीं मिलने पर सुपरवाइजर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। जन स्वास्थ्य विभाग के डीजीएम एसपी सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया। सीईओ ने डीजीएम से पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ शासन को संदर्भित किया जाए। सीईओ ने डीजीएम को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार समीक्षा बैठक और निरीक्षण के बाद भी शहर में साफ-सफाई सही तरीके से नहीं हो रही है। शहर के लोग लगातार साफ-सफाई को लेकर शिकायत कर रहे हैं। सड़कों पर सफाई कर्मचारी नदारद हैं। उन्होंने कहा कि अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यों का समुचित ढंग से सुपरवीजन नहीं किया है। डीजीएम शासकीय पदीय दायित्वों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसका जवाब दिया जाए।
949 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी रैंकिंग तीन पायदान गिरी
नोएडा की देश के स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 में ओवरऑल सभी शहरों में रैंकिंग निराशाजनक आई थी। नेशनल रैंकिंग में नोएडा 14वें स्थान पर रहा। साफ-सफाई के लिए 949 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद शहर की रैंकिंग तीन पायदान गिर गई है। चार निजी कंपनियों पर सफाई की जिम्मेदारी है। कहने को शहर में 5,600 सफाई कर्मी हैं, लेकिन जानकारी मिली है कि धरातल पर ठेकेदारों ने इनके आधे कर्मचारी भी काम पर नहीं लगा रखे हैं। बाकी का पैसा बंदरबांट किया जा रहा है। सफाई कर्मियों की डयूटी केवल रजिस्टर पर दर्शायी जाती है। हकीकत में चार सफाई कर्मियों का काम एक से लिया जा रहा है। इससे गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। जिसके बाद अब सीईओ ने स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिंग में के लिए खुद मॉनिटरिंग करनी शुरू कर दी है।
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