10 लाख की आबादी, लेकिन पार्किंग का बुरा हाल : 200 वर्ग किलोमीटर में फैले नोएडा में जाम की वजह क्या है?

200 वर्ग किलोमीटर में फैले नोएडा में जाम की वजह क्या है?
UPT | नोएडा में जाम की वजह क्या है?

Jun 18, 2024 20:02

नोएडा को कई सुंदर सपने सजोकर बसाया गया था। लेकिन किसे पता था कि एक दिन इस शहर में आबादी और अतिक्रमण इतना हो जाएगा कि सड़कों पर जाम में फंसे-फंसे ही लोगों के कई घंटे बर्बाद हो जाएंगे।

Jun 18, 2024 20:02

Short Highlights
  • 10 लाख की आबादी वाला है शहर
  • आए दिन सड़कों पर लगता है जाम
  • निजी फर्मों के पास है पार्किंग प्रबंधन का जिम्मा
Noida News : नोएडा, जिसका पूरा नाम न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी है, को कई सुंदर सपने सजोकर बसाया गया था। लेकिन किसे पता था कि एक दिन इस शहर में आबादी और अतिक्रमण इतना हो जाएगा कि सड़कों पर जाम में फंसे-फंसे ही लोगों के कई घंटे बर्बाद हो जाएंगे। आज नोएडा में आप सुबह या शाम किसी भी वक्त सड़क पर निकलिए, जाम के लिए अतिरिक्त आधे से एक घंटा लेकर ही चलना पड़ता है। इतने बड़े शहर में पार्किंग का ऐसा अभाव है कि जैसा किसी छोटे शहर में भी न हो। लेकिन आखिर इसकी वजह क्या है?

निजी फर्मों के पास जिम्मेदारी
नोएडा जैसे बड़े शहरों में बढ़ते वाहनों की संख्या से सड़कों पर अनियंत्रित पार्किंग की समस्या गंभीर हो गई है। शहर के रिहायशी इलाकों में घरों के पास ही गाड़ियां खड़ी रहती हैं, जिससे सड़कें जाम हो जाती हैं और यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है। यह केवल रहवासियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर के विकास के लिए बाधा बन रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने कुछ निजी कंपनियों को पार्किंग प्रबंधन का जिम्मा सौंपा है। इन्फ्रा सॉल्यूशंस, माइलस्टोन सिक्योरिटी और आयुष पार्किंग सर्विसेज को क्रमशः क्लस्टर 1, 2 और 3 के पार्किंग का प्रबंधन करने को कहा गया है। उम्मीद है कि इससे अनियंत्रित पार्किंग पर लगाम लगेगी और यातायात सुचारू रूप से बहेगा।



स्ट्रीट वेंडर भी बड़ी वजह
आवासीय सोसाइटियों के संगठन का मानना है कि सिर्फ पार्किंग शुल्क वसूलना समस्या का समाधान नहीं होगा। उनका कहना है कि सड़कों पर खड़ी गाड़ियों के अलावा रेहड़ी-पटरी वाले भी यातायात जाम का कारण हैं। बड़ी सोसाइटियों में मेहमानों और निवासियों दोनों के लिए पर्याप्त पार्किंग की जरूरत है।

क्या कहती है यातायात पुलिस?
नोएडा ट्रैफिक पुलिस भी मानती है कि ओपन पार्किंग से यातायात जाम बढ़ता है। सोसाइटियों के बाहर सड़कों पर पार्किंग नहीं होनी चाहिए। उच्च इमारतों में पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन जुर्माना लगने पर निवासी यही आपत्ति करते हैं कि सोसाइटी में जगह कम है और बिल्डर गाड़ियां अंदर रखने नहीं देता। आज जब हर घर में दो गाड़ियां हैं, तो प्राधिकरण को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि जब बिल्डिंग प्लान पास होता है, तो डेवलपर्स को पर्याप्त पार्किंग स्पेस बनाना चाहिए।

मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र
इस मुद्दे पर देश के एक प्रमुख गैर सरकारी संगठन केयरिंग एसोसिएशन इंडिया के अध्यक्ष शिवांश श्रीवास्तव ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में प्राधिकरण द्वारा आरटीआई के जवाब का हवाला दिया गया है, जिसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आवासीय क्षेत्रों में पार्किंग अनुबंध किस मानदंड के तहत दिए गए थे।

नोएडा प्राधिकरण ने रखा अपना पक्ष
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने पार्किंग के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं, जो उपलब्ध पार्किंग स्थानों के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित या अनिवार्य कर सकते हैं, खासकर पुरानी सोसायटियों में जहां स्थान सीमित है। एक अधिकारी के अनुसार, बिल्डिंग उपनियमों में प्रति इकाई न्यूनतम पार्किंग आवश्यकताएं निर्दिष्ट की गई हैं, और पुरानी सोसायटियों में, निर्माण के समय मानदंडों के कारण ये आवश्यकताएं कम उदार हो सकती हैं। ऐसी इमारतों के लिए 'प्रति फ्लैट केवल एक कार' लागू होता है। अधिकारियों ने कहा कि प्राधिकरण निवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दे पर गौर करेगा।

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