गौतमबुद्ध नगर में जिला कलेक्ट्रेट के सामने चल रहा किसान महापड़ाव सोमवार को सातवें दिन भी पूरी ताकत से जारी रहा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन को लगातार व्यापक समर्थन मिल रहा है।
ग्रेटर नोएडा में किसानों के धरने का सातवां दिन : कई संगठनों ने दिया समर्थन, कहा- अंतिम सांस तक लड़ेंगे
Oct 20, 2024 16:16
Oct 20, 2024 16:16
कई संगठनों का समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने बताया कि आंदोलन के छठे दिन भारतीय किसान यूनियन (महात्मा टिकैत) के जिलाध्यक्ष एडवोकेट श्यामवीर नागर, हरियाणा किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीके शर्मा, राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह (आरकेएसएस) के राष्ट्रीय संयोजक दशरथ कुमार कोटा (राजस्थान) और भाकियू कृषक शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमन ठाकुर सैकड़ों किसानों के साथ धरना स्थल पर पहुंचे। इन संगठनों ने महापड़ाव को अपना समर्थन देते हुए किसानों की मांगों के प्रति अपना सहयोग जताया।
अन्ना हजारे टीम ने भी दिया समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा में पंजाब से जुड़ी अन्ना हजारे टीम और जय जवान जय किसान मोर्चा कोर कमेटी के सदस्य करनवीर उर्फ शैंटी भी अपनी टीम के साथ महापड़ाव में शामिल हुए। उनकी उपस्थिति ने आंदोलन को और बल दिया। इसके साथ ही, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष डॉ. रूपेश वर्मा ने जानकारी दी कि किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरेन प्रधान के नेतृत्व में बड़ी संख्या में संगठन के पदाधिकारी भी धरना स्थल पहुंचे और उन्होंने किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया।
अंतिम सांस तक जारी रहेगा संघर्ष
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने आंदोलनकारियों के उत्साह को और बढ़ाते हुए स्पष्ट किया कि यह आंदोलन तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक नोएडा प्राधिकरण और एनटीपीसी जैसी परियोजनाओं से प्रभावित किसानों को न्याय नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, यह संघर्ष जारी रहेगा।
किसानों की मांगें और सरकार से अपील
इस मौके पर ऐछर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजेश भाटी ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो यह आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की एकजुटता और संघर्ष की ताकत से सरकार को झुकना पड़ेगा। किसानों की प्रमुख मांगों में भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा, विस्थापित किसानों का पुनर्वास, और उनकी आजीविका से जुड़े मुद्दों का समाधान शामिल है। किसानों का कहना है कि अगर उनकी जायज मांगों पर सरकार ध्यान नहीं देती, तो वे अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।
आंदोलन की व्यापकता और भविष्य की योजना
इस महापड़ाव को देखते हुए यह साफ है कि आंदोलन को बड़ा और लंबा खींचने की योजना है। किसानों का यह आंदोलन सिर्फ गौतमबुद्ध नगर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की आवाज बनता जा रहा है। अलग-अलग राज्यों से आकर किसानों ने इस महापड़ाव को अपना समर्थन दिया है, जिससे यह आंदोलन एक राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है।
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