पत्र में लिखा है कि उन्हें पूरी रकम ब्याज के साथ दिलाई जाए या फिर उसी क्षेत्रफल का प्लॉट इंदिरापुरम, वैशाली या कौशांबी में आवंटित किया जाए।
जीडीए का कारनामा : बिल्डर के प्लॉटों की कर दी नीलामी, कब्जा लेने का आवंटी काट रहा चक्कर
Jul 28, 2024 01:57
Jul 28, 2024 01:57
- 10 साल पहले वैशाली आवासीय योजना के तहत की थी नीलामी
- रजिस्ट्री होने के बाद ना तो प्लॉट ही मिला और ना रुपया वापस
- बिल्डर ने भी जीडीए के खिलाफ सिविल कोर्ट में मुकदमा किया दायर
प्लॉट पर गए तो पता चला कि ये तो जीडीए का नहीं
मामला 2013 का है। वैशाली सेक्टर एक में आर-1 से आर सात तक के प्लॉटों को जीडीए ने नीलाम किया था। 51.54 वर्ग मीटर के एक प्लॉट की कीमत 55 लाख थी। प्लॉट आर चार को वसुंधरा 14 निवासी अभिषेक सिंह ने जीडीए से नीलामी में खरीदा और उसकी रजिस्ट्री करा ली थी। कुछ दिनों में इन्होंने रिश्ते के चाचा भावनी शकंर जौहरी को प्लॉट की रजिस्ट्री की। भवानी शंकर ने बताया कि जब वह प्लॉट पर गए तो पता चला कि ये तो जीडीए का नहीं है। बल्कि गरिमा बिल्डर का है। पता चला कि बिल्डर ने सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया हुआ है।
दूसरा प्लॉट दिया जाएगा
इसके बाद अभिषेक सिंह और भवानी शंकर जीडीए कार्यालय पहुंचे। जहां पर उन्होंने अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की। अधिकारियों ने उनको तसल्ली दी कि वो चिंता न करें उन्हें दूसरा प्लॉट दिया जाएगा। अन्य आवंटियों ने जिन्होंने रजिस्ट्री नहीं कराई उन्होंने जीडीए से अपनी रकम वापस ले ली है।
10 साल से लगा रहे जीडीए के चक्कर
भवानी शंकर जौहरी जिला वनाधिकारी पद से सेवानिवृत्त हैं। वो पिछले 10 साल में जीडी के चक्कर लगा रहे हैं। जब वो आते हैं उन्हें कभी संपत्ति विभाग तो कभी बाबू के पास भेजा जाता है। हर बार अधिकारी इधर उधर करके उनको वापस भेज देते हैं। उन्होंने जीडीए वीसी को पत्र दिया है। पत्र में लिखा है कि उन्हें पूरी रकम ब्याज के साथ दिलाई जाए या फिर उसी क्षेत्रफल का प्लॉट इंदिरापुरम, वैशाली या कौशांबी में आवंटित किया जाए।
आवंटी की समस्या का जल्द ही समाधान
इस मामले में जीडीए वीसी अतुल वत्स का कहना है कि मामला संज्ञान में है। दस्तावेजों की जांच कराई जाएगी। यह गड़बड़ी कैसे हुई इसका पता लगाया जाएगा। आवंटी की समस्या का जल्द ही समाधान कराया जाएगा।
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