एनसीआरटीसी गाज़ियाबाद और मेरठ जिलों में किसानों की क्षमता विकसित करने कि लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिला किसान भी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रही हैं।
Ghaziabad News : एनसीआरटीसी का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक सीखाना, प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
Jan 23, 2024 18:24
Jan 23, 2024 18:24
- कृषि विशेषज्ञों की एक टीम के द्वारा किसानों को आधुनिक कृषि के नए तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं।
- एनसीआरटीसी गाज़ियाबाद और मेरठ जिलों में कार्यक्रम आयोजित
- नए तरीके सिखाने के लिए दुहाई डिपो में मॉडर्न फ़ार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर भी स्थापित
महिलाओं की भी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी
यह इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का दूसरा चरण है, जिसमें अब तक मेरठ के अंजौली सोहरका, कायस्थ गांवड़ी, मुजक्कीपुर शोपुरा और डिंडला गांवों में किसानों को कृषि विशेषज्ञों द्वारा आधुनिक कृषि तकनीकों में कौशल विकास का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में महिला किसान भी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रही हैं।
1500 से ज्यादा किसानों को दिया जा चुका प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण सत्र में आगामी तीन महीनों में मेहरौली, मोहिउद्दीनपुर, कलिंजरी, दिरमोली, जुर्रांपुर, सोलाना, पवनपुरी, वसुंधरा, बांदीपुर, शाहजहांपुर, किलोंदा, निवाड़ी, पतला, भजन-पटौला और मोदी बाग समेत 50 से अधिक गांवों के लगभग 1500 से अधिक किसानों के लिए एक शृंखला में 100 से ज्यादा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से इन सभी किसानों को कौशल विकास कार्यक्रम का लाभ मिलेगा। ये सभी संबन्धित गाँव दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के नजदीक स्थित हैं। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम के पहले चरण में गाजियाबाद और मेरठ जिले के भूडबराल, कादराबाद, नंगला मूसा, सारा और सिकरीखुर्द समेत 50 से अधिक गांवों के 1500 से ज्यादा किसानों को आधुनिक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
अधिक उत्पादन करने का बढ़ रहा दबाव
इसके साथ ही एनसीआरटीसी किसानों को आधुनिक कृषि के नए तरीके सिखाने के लिए दुहाई डिपो में मॉडर्न फ़ार्मिंग डेमोंस्ट्रेशन सेंटर भी स्थापित कर रहा है । जिनमें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक पर आधारित खेती की जानकारी प्रदान की जाएगी। तेजी से हो रहे शहरी विकास के साथ, खेती के लिए उपलब्ध भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है और ऐसा होने से बदली हुई जनसांख्यिकी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक उत्पादन करने का दबाव भी बढ़ रहा है। इसलिए, एनसीआरटीसी ने इस बदलते परिदृश्य और इस क्षेत्र के किसानों की आवश्यकताओं को समझकर, उन्हें आधुनिक, उच्च उपज वाली शहरी कृषि तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया, जो प्रति यूनिट भूमि पर उच्च रिटर्न दे सकती है। वर्तमान में किसान आमतौर पर पारंपरिक खेती के तरीके अपनाते हैं, जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में कम आमदनी होती है।
नए जमाने की कृषि आजीविका में लाएगी सुधार
पॉलीहाउस खेती, ड्रिप सिंचाई खेती, वापस लेने योग्य ग्रीनहाउस खेती, हाइड्रोपोनिक्स इत्यादि जैसी नए जमाने की कृषि पद्धतियां पर्यावरण और सामाजिक रूप से टिकाऊ होने के साथ-साथ शहरी फ़ार्मिंग तकनीक हैं। इसके अलावा, पारंपरिक कृषि तकनीकों के विपरीत, इन्हे कम पानी की जरूरत पड़ती है, ये मौसम की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं जो फसलों पर प्रतिकूल मौसम के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रोद्योगिकी संचालित इन कृषि पद्धतियों में कम लोगों की जरूरत पड़ती है और इस तरह महिला सशक्तिकरण में भी सहायक है। क्षेत्र में पोषक तत्वों से भरपूर और जैविक उपज की बढ़ती मांग किसानों के लिए अपनी गुणवत्तापूर्ण उपज बेचकर अपनी आजीविका में सुधार करने का अवसर पैदा करती है।
ऑर्गनिक खाद्य पदार्थों की बढ़ रही मांग
वर्तमान में पोषक तत्वों से भरपूर ऑर्गनिक खाद्य पदार्थों की मांग तेजी बढ़ रही है और ऐसे में इन इलाकों में रहने वाले किसान नई मॉडर्न कृषि तकनीकों को सीखकर ऑर्गनिक वस्तुओं की खेती करके, लोगों की मांग पूरी करके ज्यादा रिटर्न भी हासिल कर सकेंगे, जिससे उनकी आजीविका में सुधार के अवसर पैदा होंगे। ये कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम एनसीआरटीसी के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पोन्सिबिलिटी (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें कृषि वैज्ञानिक, हाइड्रोपोनिक्स जैसी आधुनिक कृषि तकनीक और संरक्षित कृषि कौशल के बारे में प्रशिक्षण दे रहे हैं।
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