कार्यक्रम में एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री संसद वीके सिंह और प्रदेश सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद....
Ghaziabad News : वायुसेना की 4 इकाइयों को पहली बार प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड और कलर्स से राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
Mar 08, 2024 12:49
Mar 08, 2024 12:49
- हिंडन एयरबेस पर पहुंचीं राष्ट्रपति का भव्य स्वागत
- राज्यमंत्री सांसद वीके सिंह और मंत्री जितिन प्रसाद शामिल
- आत्मनिर्भर भारत के बढ़ते कदम में टेक्नोलॉजी का बखूबी प्रयोग
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा...
अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, 'उन्हें भारतीय वायुसेना के जाबांजों की बहादुरी पर काफी गर्व है, वायुसेना ने आजादी की लड़ाई से लेकर कई युद्ध में विजय हासिल कर देश का मान बढ़ाया। वायुसेना ने न सिर्फ युद्ध जीतकर अपना सर्वोच्च योगदान दिया, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के बढ़ते कदम में टेक्नोलॉजी का बखूबी प्रयोग कर स्पेस प्रोग्राम में भी योगदान दे रही हैं। इतना ही नहीं, करगिल युद्ध में ऑपरेशन सफेद चलाकर दुश्मन को परास्त किया। उन्होंने महिला दिवस पर भारतीय वायुसेना में महिला वायु योद्धाएं, कार्यक्रम में शामिल महिलाएं और सभी को शुभकामनाएं दीं।' राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बहुत खुशी होती है कि महिलाएं वायुसेना में शामिल होकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।
इन स्क्वाड्रन और सिग्नल यूनिट को सम्मान
राष्ट्रपति ने 45 स्क्वाड्रन और 221 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति मानक और 11 बेस रिपेयर डिपो और 509 सिग्नल यूनिट को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया। देश में राष्ट्रपति मानक और रंग किसी सशस्त्र बल की इकाई के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान होता है।
45 स्क्वाड्रन की खासियत
45 स्क्वाड्रन की स्थापना 1959 में हुई थीं। ये फ्लाइंग डैगर्स के नाम से विख्यात है। स्क्वाड्रन ने 1960 में पुर्तगाल शासन के खिलाफ गोवा मुक्ति आंदोलन के दौरान ऑपरेशन विजय की कमान संभाली थी। इसके बाद स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में निर्णायक भूमिक निभाई थी। स्क्वाड्रन पंजाब और राजस्थान सेक्टरों की वायु सीमा रक्षा के लिए जिम्मेदार थी। स्क्वाड्रन ने 258 मिशन उड़ाए थे।
वैम्पायर विमान से सुसज्जित बैरकपुर में 221 स्क्वाड्रन
14 फरवरी 1963 को वैम्पायर विमान से सुसज्जित बैरकपुर में 221 स्क्वाड्रन की स्थापना हुई। इसको वैलिएंट्स के नाम से जानते हैं। गठन के दो साल बाद स्क्वाड्रन को 1965 के भारत-पाक युद्ध में तैनात किया था। जहां स्क्वाड्रन ने गजब का सराहनीय काम किया। अगस्त 1968 में स्क्वाड्रन Su-7 सुपरसोनिक अटैक फाइटर से सुसज्जित होने वाले पहले स्क्वाड्रनों में से एक था। 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी पूर्वी थिएटर कमांड के साथ स्क्वाड्रन ने कंधे से कंधे मिलाकर काम किया। स्क्वाड्रन ने जवाबी कार्रवाई, हवाई सहायता और टोही मिशनों में शानदार काम किया।
11 बेस रिपेयर डिपो और 509 सिग्नल यूनिट की खासियत
11 बेस रिपेयर डिपो अप्रैल 1974 में अस्तित्व में आया। स्थापना ओझर, नासिक के रखरखाव कमान के तहत हुई। 11 बेस भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू विमान बेस रिपेयर डिपो है। डिपो ने सबसे पहले Su-7 विमान की मरम्मत की थी। इसके बाद डिपो ने मिग-21, मिग-23 और मिग-29 विमानों के वेरिएंटो सहित तमाम विमानों की मरम्मत की। 509 सिग्नल यूनिट की स्थापना एक मार्च 1965 में हुई थी। वर्तमान में यह मेघालय में वायु रक्षा दिशा केंद्र के रूप में काम कर रही है। 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में यूनिट का योगदान सराहनीय था।
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