पश्चिमी उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान अध्यक्ष मोहित बेनीवाल को विधान परिषद का टिकट मिल गया है। शनिवार को भाजपा ने सात उम्मीदवारों की घोषणा की। जिनमें चार नए चेहरे हैं। मोहित बेनिवाल भी शामिल हैं। मोहित के लिए यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। मोहित बेनीवाल को मजबूरन विधान परिषद जाना पड़ रहा है। दरअसल, वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। उनकी कोशिश बिजनौर से लोकसभा चुनाव लड़ने की थी।
विधान परिषद जाएंगे आईआईटी के प्रोडक्ट मोहित बेनीवाल : लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, बिजनौर सीट आरएलडी के खाते में जाने से लगा झटका
Mar 09, 2024 19:56
Mar 09, 2024 19:56
मोहित को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया
मोहित बेनिवाल इंजीनियर हैं और दिल्ली आईआईटी के एलुमनाई हैं। भारतीय जनता पार्टी के लिए मोहित पढ़ा-लिखा जाट चेहरा हैं। यही वजह है कि उन्हें 2019 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। तत्कालीन क्षेत्रीय अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी का दोहरा कार्यकाल समाप्त हुआ था। उन्हें पार्टी ने पहले एमएलसी और फिर योगी आदित्यनाथ सरकार में पंचायतराज मंत्री बनाया था। मोहित बेनीवाल करीब 4 वर्षों तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान विधानसभा, नगर निकाय, पंचायत और विधान परिषद चुनाव हुए। जिनमें पार्टी को जीत मिली। लेकिन मोहित बेनीवाल को सबसे बड़ा झटका पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान लगा। मोहित शामली जिले के रहने वाले हैं। उनके जिले में तीन विधानसभा सीट शामली, कैराना और थानाभवन हैं। भाजपा तीनों सीट हार गई। जिसके बाद विरोधियों ने मोहित बेनीवाल को निशाना बनाना शुरू किया। यही वजह रही कि मोहित बेनीवाल को बतौर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष दूसरा कार्यकाल नहीं मिला। उन्हें पार्टी हाईकमान कितना पसंद करता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि जाट प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद मोहित को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया।
लोकसभा चुनाव के उम्मीद खत्म हुई
वेस्टर्न यूपी से ज़िम्मेदारी ख़त्म होने के बाद मोहित बेनिवाल लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए। उनका फ़ोकस बिजनौर लोकसभा सीट पर था। उन्होंने कभी खुलकर इस बात का इजहार नहीं किया। लेकिन जिस तरह बिजनौर संसदीय क्षेत्र में वह सक्रिय थे और लगातार कार्यक्रमों में शामिल हो रहे थे, उससे साफ था कि मोहित लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अब यकायक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समीकरण पूरी तरह बदल गए। भारतीय जनता पार्टी ने जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोकदल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे दिया। रालोद और भाजपा के बीच गठबंधन परवान चढ़ गया। रालोद को राज्य सरकार में हिस्सेदारी मिल गई। दो लोकसभा सीट बागपत और बिजनौर भी आरएलडी कोटे में चली गईं। इससे मोहित बेनीवाल के लिए लोकसभा चुनाव लड़ना असंभव हो गया। दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, बिजनौर और बागपत के अलावा किसी और सीट से जाट उम्मीदवार का समीकरण नहीं बनता है। आगरा रीजन जाना मोहित बेनीवाल के लिए संभव नहीं है।
एमएलसी बनना ही विकल्प बचा
इस बदले राजनीतिक परिदृश्य में मोहित बेनीवाल ने विधान परिषद जाना मुनासिब समझा है। वैसे आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी में एक ट्रेंड है। भाजपा अपने क्षेत्रीय अध्यक्षों को विधान परिषद भेजती है। मोहित बेनीवाल के पूर्ववर्ती भूपेन्द्र चौधरी और अश्विनी त्यागी एमएलसी हैं। मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.कुलदीप त्यागी कहते हैं, "मोहित बेनीवाल युवा और अच्छी छवि के नेता हैं। उन्होंने बतौर वेस्ट यूपी अध्यक्ष अच्छा काम किया था। अगर उन्हें आगे बढ़ाया जाए तो भाजपा को नई पीढ़ी का अच्छा जाट नेता मिल सकता है। लेकिन मोहित बेनीवाल को विधान परिषद भेजकर 'मास लीडर' बनने की कोशिश को झटका है। दरअसल, भाजपा की जाट लीडरशिप में अंतर्द्वंद है।"
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