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Meerut News : पश्चिम यूपी के जिलों में फसलों पर मंडराया सिंचाई संकट, रजबहों और माइनरों का पानी सूखा

पश्चिम यूपी के जिलों में फसलों पर मंडराया सिंचाई संकट, रजबहों और माइनरों का पानी सूखा
UPT | पश्चिम यूपी के रजबहे और माइनरों में पानी की स्थिति।

May 05, 2024 11:00

सिंचाई विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार सहारनपुर से लेकर मथुरा तक करीब तीन लाख 73 हजार हेक्टेयर खेती की जमीन पर सिंचाई का संकट...

May 05, 2024 11:00

Short Highlights
  • सहारनपुर से लेकर मथुरा तक किसानों के सामने खड़ा हुआ सिंचाई संकट 
  • गंगनहर में बचा मात्र 7300 क्यूसेक पानी, मांग 12,000 क्यूसेक
  • गंगनहर से पर्याप्त पानी नहीं आने से चिंता में पश्चिम यूपी के किसान 
Meerut : गंगनहर में पानी मात्रा कम होने से किसानों के सामने फसलों की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। हालात ये हैं कि अधिकांश रजबहे और माइनरों में या तो पानी नहीं है और अगर है भी तका नीचे तली तक पहुंच चुका है। पश्चिम यूपी के करीब 14 जिलों के सामने मई में फसलों पर सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। जिन जिलों में फसलों पर सिंचाई का संकट मंडरा रहा है वो सहारनपुर, मेरठ, आगरा और अलीगढ़ मंडल के जिले हैं। सिंचाई विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार सहारनपुर से लेकर मथुरा तक करीब तीन लाख 73 हजार हेक्टेयर खेती की जमीन पर सिंचाई का संकट मंडरा रहा है।  

जून के महीने में समस्या और अधिक विकराल
हालांकि सिंचाई विभाग इसका मुख्य कारण उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ का अपेक्षित रूप से नहीं पिघलना मान रहा है। जिसके कारण गंगनहर में पानी की मात्रा कम होती जा रही है। यहीं हालात रहे तो जून के महीने में समस्या और अधिक विकराल होगी। इन दिनों गेंहू की कटाई के बाद ईंख और चारा की बुवाई शुरू है। जिसमें सिंचाई के लिए पानी की जरूरत होगी। अगर खेतों को समय से नहीं सींचा गया तो इसका असर फसलों की उत्पादन पर पड़ेगा। गंगनहर में वर्तमान में 7376 क्यूसेक के लगभग पानी बताया जा रहा है। जबकि सिंचाई विभाग ने खेतों के लिए पानी की मांग 15 हजार क्यूसेक बताई है। इस समस्या के चलते पश्चिम यूपी के करीब 650 रजबहों और माइनरों में से कुछ में ही पानी बह रहा है।

किसानों को मात्र 25 प्रतिशत पानी मिल पा रहा
मुख्य अभियंता जीपी श्रीवास्तव के अनुसार वैसे हर साल मई महीने में सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ती है। लेकिन इस बार गंगनहर के रजबहों और माइनरों से किसान को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलने से चिंता में हैं। मांग के अनुरूप किसानों को मात्र 25 प्रतिशत पानी मिल पा रहा है।
उन्होंने इसकी सबसे बड़ी वजह उत्तराखंड के टिहरी बांध परियोजना के जलाशय से पानी नहीं मिलना बताया है। एक अप्रैल को 23878 क्यूसेक पानी मिला, जबकि 3 मई को 7376 क्यूसेक पानी रह गया है। मेरठ अधीक्षण अभियंता की माने तो उन्होंने 12 हजार क्यूसेक पानी की डिमांड भेजी हुई है। 

पश्चिम यूपी के इस जिले के किसान प्रभावित
पश्चिमी यूपी के जिलन जिलों के किसान पानी नहीं मिलने से सिंचाई से प्रभावित हो रहे हैं उनमें सहारनपुर मंडल के सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर हैं। जबकि मेरठ मंडल  के मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और गौतमबुद्धनगर के किसान शामिल हैं। इसक अलावा अलीगढ़, हाथरस, एटा, कासगंज, आगरा, फिरोजाबाद और मथुरा के किसान भी नहर के पानी की कमी के कारण सिंचाई नहीं होने से परेशान हैं। सिचाईं विभाग के सहायक रामवीर सिंह ने बताया कि मई माह में सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ती है। इस बार गंगनहर में पर्याप्त पानी नहीं आने से विभाग और किसानों की परेशानी बढ़ी है। ईंख और चारे की बुवाई के बाद फसल को पानी की जरूरत है। 

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