चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता (शीतला माता) की पूजा करने से दुखों से मुक्ति होकर मोक्ष प्राप्ति के योग बन पाते हैं। ज्योतिष वैज्ञानिक भारत भूषण के अनुसार, स्कन्दमाता...
Chaitra Navratri : मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ऐसे करें स्कन्दमाता की आराधना
Apr 13, 2024 10:27
Apr 13, 2024 10:27
- आज मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा का विधान।
- स्कन्दमाता की पूजा का प्रभाव शुभ फल प्रदान करने वाला।
- भोग व पूजा का विशेष समय शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक।
स्कन्दमाता को हलवे का भोग अतिप्रिय
ज्योतिष वैज्ञानिक भारत भूषण के अनुसार, स्कन्दमाता की पूजा से आध्यात्मिक जगत में परम पद प्राप्ति के योग भी बन पाते हैं। स्कन्दमाता को हलवे का भोग अतिप्रिय है। मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए स्कन्दमाता का प्रभाव शुभ फल देता है। शुक्र ग्रहों के कुप्रभावों से बचने के लिए तथा तांत्रिक क्रियाओं से बचने के लिए भोग व पूजा का विशेष समय शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक है। जिसमें विशेष भोग अमरूद, कच्चे दूध व दही का है। खस के इत्र का अर्पण मां की ममता प्रदान करता है। स्कन्दमाता का पूजन संतान के साथ बैठ कर किया जाना हर प्रकार का सुख सौभाग्य बढ़ाने का योग बनाता है।
इस राशि के जातक करें मां की आराधना
शनि ग्रह और मकर, कुम्भ राशि के व्यक्ति की करें महाकाली की आराधना
शनिवारीय पंचम नवरात्र को स्कन्दमाता की आराधना के साथ शनि ग्रह और मकर, कुम्भ राशि से सम्बंधित व्यक्ति महाकाली की आराधना भी अवश्य करें।
आज करें इन मंत्रों का जाप
आज नवरात्र के पांचवें दिन 'महा काल्यै नमः' और शनि मंत्र- 'ओम शं शनेश्चराय नम:' का जाप करें। इस दिन नीले काले अथवा गहरे रंग के वस्त्र धारण कर शिवलिंग पर आठ अखरोट चढ़ाकर शिवलिंग व शिवलिंग के नाग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। इसके अलावा अन्य व्यक्तियों को शनिजन्य पीड़ा दूर करने के लिए मां काली की आराधना तथा शनि के उपाय तथा शनि से सम्बन्धी अपने निर्धारित कर्म भी अवश्य करने चाहिए।
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