पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा-सपा-बसपा में घमासान : नेताओं की अदावत कर रही सियासी नुकसान की ओर इशारा

नेताओं की अदावत कर रही सियासी नुकसान की ओर इशारा
UPT | पूर्व विधायक संगीत सोम, पूर्व मंत्री संजीव बालियान, सरधना विधायक अतुल प्रधान, पूर्व विधायक योगेश वर्मा।

Jun 27, 2024 02:31

पश्चिम यूपी की 14 सीटों में मात्र सात पर ही भाजपा जीत हासिल कर सकी। बाकी पर पार्टी के उम्मीदवार बुरी तरह से चुनाव हार गए। इसी तरह से समाजवादी पार्टी के साथ हुआ।

Jun 27, 2024 02:31

Short Highlights
  • लोकसभा चुनाव में सभी दलों हुए भीतराघात का शिकार
  • सबसे अधिक नुकसान भाजपा, सपा और बसपा को 
  • भाजपा में सोम-बालियान तो सपा में अतुल-योगेश की अदावत जग जाहिर 
     
Meerut News : विधानसभा चुनाव 2022 में दलों के नेताओं के बीच आई रिश्तों की खटास ने लोकसभा चुनाव में भी कड़वाहट घोल दी। जिसका नतीजा हुआ कि पश्चिम उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक दिग्गजों की ये अदावत चुनाव परिणाम पर भी असर डाल गई। जिसका नतीजा भाजपा के साथ ही सपा और बसपा भुगत रही हैं। भाजपा के भीतर मची नेताओं की आपसी प्रतिद्वंदिता के चलते सबसे अधिक नुकसान हुआ है। पश्चिम यूपी की 14 सीटों में मात्र सात पर ही भाजपा जीत हासिल कर सकी। बाकी पर पार्टी के उम्मीदवार बुरी तरह से चुनाव हार गए। इसी तरह से समाजवादी पार्टी के साथ हुआ। सपा के भीतर नेताओं के आपसी घमासान का असर लोकसभा चुनाव परिणाम में देखने को मिला। जहां मेरठ में मजबूती से लड़ने के बाद भी सपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। 

पश्चिमी यूपी में सियासत चरम पर
दिग्गजों की लड़ाई से पश्चिमी यूपी में सियासत चरम पर है। भाजपा में संगीत सोम और संजीव बालियान के बीच अदावत चल रही है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी में मेरठ से लोकसभा चुनाव 2024 की प्रत्याशी सुनीता वर्मा के पति योगेश वर्मा और सरधना विधानसभा से विधायक अतुल प्रधान एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। भाजपा के पश्चिम उत्तर प्रदेश के दो दिग्गजों का घमासान अब थाना, कोर्ट कचहरी से होता हुआ गृह मंत्रालय अमित शाह तक जा पहुंचा है।

रार आने वाले चुनाव में बहुत नुकसान पहुंचा सकती है
लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच की रार आने वाले चुनाव में बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर भाजपा, सपा और और बसपा को। बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी अपने बसपाइयों से नाराज हैं। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव 2024 ने कई नेताओं की आपसी और अंदरूनी लड़ाई को सार्वजनिक चौराहे पर ला दिया है। 

दोनों एक-दूसरे पर हमला बोल रहे थे
मुजफ्फरनगर सीट पर हार के बाद भारतीय जनता पार्टी में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और सरधना से पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच की बयानबाजी सार्वजनिक है। दोनों एक-दूसरे पर हमला बोल रहे थे। लोकसभा चुनाव के दौरान इसका खामियाजा संजीव बालियान को उठाना पड़ा। चुनाव के बाद दोनों के बीच का विवाद खुलकर सामने आए और दोनों नेता एक दूसरे पर जुबानी कीचड़ उछालने लगे।

हाईकमान के निर्देश पर दोनों तरफ से बयानबाजी फिलहाल बंद
खास बात ये कि इस विवाद को खत्म करने की कोशिश अभी तक नहीं हुई है। हां हाईकमान के निर्देश पर दोनों तरफ से बयानबाजी फिलहाल बंद है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल करने वाले हरेंद्र मलिक और मेरठ के एक प्रभावशाली विधायक के बीच तल्खी देखने को मिल रही है। हरेंद्र मलिक का कहना है कि हमारी पार्टी के नेताओं ने अगर भितरघात न किया होता तो जीत का अंतर एक लाख से अधिक होता। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कम से कम सरधना में संगीत सोम की नाराजगी का जितना नुकसान हुआ था, उसे पार्टी के कुछ नेताओं की भितरघात ने खत्म कर दिया। सरधना से समाजवादी पार्टी को संजीव बालियान के मुकाबले हरेंद्र मलिक को 45 वोट ही कम मिले थे।

सपा में भितरघात का आरोप
मेरठ में समाजवादी पार्टी की हार सिर्फ 10,535 वोटाें से हुई है। समाजवादी पार्टी के योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को को हार का सामना करना पड़ा। योगेश वर्मा का कहना था कि वह नाम लेकर किसी का कद नहीं बढ़ाना चाहते। लेकिन सब जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में किसने साथ दिया और किसने नहीं दिया। एक खास बिरादरी का ही वोट उन्हें नहीं मिला। दरअसल, समाजवादी पार्टी ने पहले भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया था।

गुर्जर समाज का जितना वोट समाजवादी पार्टी को जाना चाहिए
भानु प्रताप सिंह का चुनाव उठ नहीं पा रहा है तो उनका टिकट काटकर अतुल प्रधान को दिया गया। इसका दलितों में विरोध शुरू हुआ तो तो नामांकन के बिल्कुल अंतिम समय में समाजवादी पार्टी ने योगेश वर्मा की पत्नी व मेरठ की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बना दिया। इसे लेकर अतुल प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी। कहा जा रहा है कि गुर्जर समाज का जितना वोट समाजवादी पार्टी को जाना चाहिए था। वह सपा प्रत्याशी को नहीं मिला है। इसी तरह हापुड़ के सपा कार्यकर्ताओं ने किठौर से विधायक शाहिद मंजूर पर सुनीता वर्मा की हार का ठीकरा फोड़ दिया। सपा उम्मीदवार सुनीता वर्मा और उनके पति ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी ने जताई नाराजगी
मेरठ में सबसे बुरा हाल लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 5 लाख 81 हजार वोट मिले थे। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा मात्र 87 हजार वोटों पर सिमट गई। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी ने पार्टी के लोगों से अपेक्षित सहयोग न मिलने का आरोप लगाया। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के नेता अपना बूथ तक नहीं जितवा सके। इसमें याकूब कुरैशी और मुनकाद अली दोनों के बूथ पर बसपा बुरी तरह से हारी। कुल मिलाकर इस लड़ाई को संबंधित राजनैतिक दल ने समय रहते शांत नहीं किया तो आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में मेरठ और उसके आसपास की सीटों पर प्रभाव जरूर पड़ेगा। 

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