उत्तर रेलवे ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए मुरादाबाद-लखनऊ रेलमार्ग को फोर लाइन में परिवर्तित करने की योजना बनाई है। इस योजना के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू हो चुका है।
बदलता उत्तर प्रदेश : मुरादाबाद-लखनऊ रेलमार्ग को फोर लाइन बनाने की तैयारी
Jul 29, 2024 18:25
Jul 29, 2024 18:25
डेढ़ किलोमीटर पर बनेगा सिग्नल
इस परियोजना के अंतर्गत 328 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग को दो भागों में विभाजित किया गया है - मुरादाबाद से बरेली और बरेली से लखनऊ। वर्तमान में इस मार्ग पर प्रतिदिन 300 से अधिक ट्रेनें चलती हैं, जो इसके महत्व को दर्शाता है। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया है कि रामपुर और बरेली क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी। फोर लाइन परियोजना के साथ-साथ, रेलवे ने गाजियाबाद-लखनऊ रेलखंड को ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सेक्शन में परिवर्तित करने की भी योजना बनाई है। इस योजना के तहत प्रत्येक डेढ़ किलोमीटर पर एक सिग्नल स्थापित किया जाएगा और अधिकांश रेल फाटकों को बंद कर दिया जाएगा। यह कदम उच्च गति वाली ट्रेनों के संचालन को सुगम बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
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गति में वृद्धि
वर्तमान में मुरादाबाद-लखनऊ खंड पर ट्रेनों की अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटा है। फोर लाइन परियोजना के पूरा होने के बाद यह गति बढ़कर 130 किमी प्रति घंटा हो जाएगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, मुरादाबाद रेल मंडल रोजा में नॉन इंटरलॉकिंग का कार्य कर रहा है। सिग्नल व्यवस्था को आधुनिक बनाया जा रहा है और पुराने पुलों को नए पुलों से प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
लूप लाइन का निर्माण
इस योजना का लाभ यह होगा कि वंदे भारत, राजधानी, और शताब्दी जैसी अर्ध-उच्च गति वाली ट्रेनों का संचालन अधिक सुगम हो जाएगा। साथ ही, मालगाड़ियों के कारण होने वाले विलंब को कम करने के लिए, रेलवे कई स्टेशनों पर अतिरिक्त लूप लाइनें बना रहा है। एगवां, रसुइया, और दुगनपुर स्टेशनों पर यह कार्य पूरा हो चुका है। इन लूप लाइनों पर 1500 मीटर लंबी ट्रेनों को खड़ा किया जा सकेगा, जिससे यात्री ट्रेनों के निर्बाध संचालन में मदद मिलेगी।
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