संभल में मिली ऐतिहासिक 'मृत्यु कूप' : खुदाई में खुलते जा रहे हैं पुराने रहस्य, स्कंद पुराण में है इसका उल्लेख

खुदाई में खुलते जा रहे हैं पुराने रहस्य, स्कंद पुराण में है इसका उल्लेख
UPT | संभल में मिली ऐतिहासिक 'मृत्यु कूप'

Dec 26, 2024 12:46

संभल में 68 तीर्थों और 19 कूपों की खोज के दौरान प्रशासन को इस ऐतिहासिक कूप की जानकारी मिली। "मृत्यु कूप" कई सालों पहले गुम हो गया था और उस पर कूड़ा डाला जा रहा था।

Dec 26, 2024 12:46

Sambhal News : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुए खुदाई कार्य में कई ऐतिहासिक खोजें हुई हैं। जिसमें मंदिर, कुएं और बावड़ी जैसी संरचनाएं उजागर हुई हैं। इन खोजों के बीच सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण खोज "मृत्यु कूप" की हुई है। जो शाही जामा मस्जिद से मात्र 280 मीटर दूर स्थित है। प्रशासन की खुदाई में यह कूप अचानक सामने आया। जिसे संभल के 19 महत्वपूर्ण कूपों में से एक माना जा रहा है।

मृत्यु कूप की खोज और महत्व
संभल में 68 तीर्थों और 19 कूपों की खोज के दौरान प्रशासन को इस ऐतिहासिक कूप की जानकारी मिली। "मृत्यु कूप" कई सालों पहले गुम हो गया था और उस पर कूड़ा डाला जा रहा था। यह कूप महादेव मंदिर के पास स्थित है और इसका नाम "मृत्यु कूप" इसलिए पड़ा क्योंकि यह एक धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता था। जहां स्नान और पूजा से सभी सिद्धियां प्राप्त होती थीं। कूप का उल्लेख स्कंद पुराण में भी किया गया है, जहां इसे विशेष रूप से एक पवित्र स्थल के रूप में वर्णित किया गया है। स्कंद पुराण में लिखा है, "विमलेशादुत्तरतः कूपो वै मृत्युसंज्ञकः, अत्र स्नात्वा महाकालार्चनं सकलसिद्धिदम्", जिसका अर्थ है कि विमलेश के उत्तर में मृत्यु नामक कूप स्थित है। जहां स्नान करने और महाकाल की पूजा करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।


खुदाई और अवशेषों की खोज
संभल प्रशासन ने इस कूप की खुदाई के दौरान कई अवशेषों की खोज की। पहले इस क्षेत्र में प्राचीन शिव मंदिर की खोज की गई थी, जिसे अब "संभलेश्वर मंदिर" के नाम से जाना जाता है। इसके बाद मंदिर के पास दो कुएं मिले, जिनमें खंडित मूर्तियां भी पाई गईं। यह खोजें साबित करती हैं कि यह इलाका एक समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ा हुआ था। सालों तक इस क्षेत्र में पूजा-पाठ बंद था, लेकिन अब इस मंदिर की सफाई कर पूजा-अर्चना की जा रही है। इसके अलावा एक मुस्लिम बहुल इलाके में राधा-कृष्ण का मंदिर भी पाया गया। जिसमें अब हिंदू समुदाय पूजा अर्चना कर रहा है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि संभल में धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का दौर शुरू हो चुका है।

1978 के बाद की स्थिति और कूपों की खोज
संभल में कुल 19 कूपों का उल्लेख किया गया है। जिनमें से "मृत्यु कूप" की खोज एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। दरअसल, 1978 के दंगों के बाद हिंदू समुदाय का इस क्षेत्र से पलायन शुरू हो गया था। जिससे मंदिरों और कूपों की स्थिति बिगड़ गई। मंदिर खंडहर हो गए और कूपों पर कूड़ा फेंका जाने लगा। अब प्रशासन ने इन कूपों और मंदिरों की फिर से खोज शुरू की है, जिससे इस क्षेत्र का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व एक बार फिर सामने आ रहा है।

श्रद्धालुओं की भीड़ और पूजा
मृत्यु कूप के अवशेष मिलने के बाद से इस स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो रही है। लोग इसे देखने और पूजा करने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं। यह कूप अब धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है और इसके पुनः उद्घाटन से क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ने की संभावना है।

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