1978 संभल दंगा केस वापसी पर बवाल : तत्कालीन मुलायम सरकार के आदेश की कॉपी वायरल! जानें पूरा मामला

तत्कालीन मुलायम सरकार के आदेश की कॉपी वायरल! जानें पूरा मामला
UPT | 1978 संभल दंगा केस की वापसी का वायरल पत्र।

Jan 20, 2025 13:45

1978 के संभल दंगों के आठ केस वापस लेने का मामला चर्चा में है। मुलायम सरकार के समय जारी पत्र वायरल हुआ, जिसमें 16 में से 8 केस वापस लेने का आदेश था। दंगों में बलवा, आगजनी, और 20 हत्याओं के आरोप थे।

Jan 20, 2025 13:45

Sambhal News : संभल में 1978 में हुए दंगों के केस वापस लेने का मामला एक बार फिर चर्चा में है। सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हो रहा है, जो उस समय के विशेष सचिव न्याय विभाग द्वारा जारी किया गया था। इस पत्र में 16 में से 8 केस वापस लेने का आदेश दिया गया था। यह आदेश तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के समय का है। हालांकि, मुरादाबाद जिला प्रशासन ने अब तक इस पत्र की पुष्टि नहीं की है। 



दंगों के गंभीर आरोप और उनका प्रभाव
1978 में संभल में हुए दंगों में बलवा, आगजनी और लूटपाट जैसे गंभीर अपराध हुए थे। इन मामलों में मुख्य आरोपियों में रिजवान, मुनाजिर, मिंजार और इरफान जैसे नाम सामने आए थे। आरोप है कि बनवारी लाल गोयल के खंडसारी कारखाने में लूटपाट और आगजनी की गई। साथ ही, करीब 20 हिंदुओं की हत्या कर उनके शवों को जलाने का भी आरोप था।

वायरल पत्र के मुताबिक, 23 दिसंबर 1993 को विशेष सचिव न्याय आरडी शुक्ला ने मुरादाबाद के डीएम को पत्र लिखा, जिसमें दंगों के 8 केस वापस लेने का प्रस्ताव था। इसके बाद, इन मामलों में आरोपी कोर्ट से छूट गए।

दंगा पीड़ितों का दर्द
दंगों में प्रभावित हिंदू समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिला। विष्णु शरण रस्तोगी, जो उस समय दंगों के पीड़ित थे, ने कहा कि 29 मार्च 1978 को शुरू हुए दंगे ने हिंदू समुदाय को भारी नुकसान पहुंचाया। हत्या, लूटपाट और आगजनी के कारण कई परिवारों को अपने घर और कारोबार छोड़कर पलायन करना पड़ा।

पीड़ितों ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुलायम सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत आरोपियों को बचाया। साथ ही, उन्हें जो मुआवजा मिला, वह भी बहुत कम था।

तत्कालीन सरकार पर सवाल
पीड़ितों ने मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि दंगों के दौरान हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा में शामिल आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाय, सरकार ने केस वापस लेकर उन्हें बचाने का काम किया।

दंगों की दोबारा जांच की मांग
वर्तमान में, दंगा पीड़ितों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से 1978 के दंगों की दोबारा जांच कराने की मांग की है। विष्णु शरण रस्तोगी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि योगी सरकार इस मामले को फिर से खोलेगी और न्याय दिलाएगी।

तुष्टिकरण की राजनीति पर बहस
यह मामला तुष्टिकरण की राजनीति पर नई बहस को जन्म दे रहा है। पीड़ितों का मानना है कि धर्म के आधार पर राजनीतिक फायदे के लिए उस समय के दोषियों को बचाया गया।

वायरल पत्र से बढ़ी चर्चा
1993 में जारी पत्र की कॉपी वायरल होने के बाद, यह मामला न केवल पीड़ितों के बीच बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने इस पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इससे जुड़े आरोप गंभीर सवाल खड़े करते हैं।

सरकार से उम्मीद
पीड़ितों ने उम्मीद जताई है कि वर्तमान सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और दोबारा जांच कराएगी। वे चाहते हैं कि 1978 के दंगों में दोषियों को सजा मिले और पीड़ितों को न्याय।

संभल दंगों की कहानी: पीड़ा और अन्याय
1978 के दंगों ने संभल के हिंदू समुदाय को न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से भी तोड़ दिया। आज, इतने सालों बाद भी वे न्याय की आस लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक दंगे की बात नहीं है, बल्कि यह उस समय की सरकार की मंशा और प्राथमिकताओं को भी दर्शाता है।

यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था बल्कि राजनीतिक तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है
1978 के संभल दंगों का यह मामला न केवल न्याय व्यवस्था बल्कि राजनीतिक तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है। पीड़ितों का दर्द और उनकी न्याय की मांग यह साबित करती है कि पुरानी गलतियों को सुधारने का समय आ गया है। अब देखना यह होगा कि योगी सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या दंगा पीड़ितों को उनका खोया हुआ सम्मान और न्याय मिल पाता है या नहीं। 

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