सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित 1967 के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान माना जा सकता है
AMU पर फैसले के बाद भाजपा पर बरसे ओवैसी : कहा- मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण दिन, बीएचयू का भी किया जिक्र
Nov 08, 2024 21:18
Nov 08, 2024 21:18
- AMU पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- भाजपा पर जमकर बरसे ओवैसी
- BHU को ज्यादा फंड देने का आरोप
भाजपा पर बोला हमला
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को भारतीय मुसलमानों के लिए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करता है और यह साबित करता है कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान माना जाना चाहिए, क्योंकि ये अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित किया गया था। ओवैसी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भाजपा के तर्कों को खारिज किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और संचालन का अधिकार है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 30 में कहा गया है।
जामिया का भी किया जिक्र
ओवैसी ने एएमयू के छात्रों और शिक्षकों को इस फैसले की बधाई दी और भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा एएमयू और जामिया जैसे अल्पसंख्यक संस्थानों पर हमले किए हैं, लेकिन अब कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि ये संस्थान अल्पसंख्यक अधिकारों के तहत आते हैं। ओवैसी ने यह भी कहा कि अब भाजपा को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन संस्थानों को समानता और न्याय मिले, न कि पक्षपाती दृष्टिकोण से।
BHU को ज्यादा फंड देने का आरोप
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर भेदभाव का आरोप भी लगाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया और एएमयू को प्रति छात्र कम वित्तीय सहायता मिलती है, जबकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को ज्यादा फंड मिलता है। उन्होंने कहा कि जामिया को प्रति छात्र 3 लाख रुपये मिलते हैं, एएमयू को 3.9 लाख रुपये मिलते हैं, जबकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को प्रति छात्र 6.16 लाख रुपये मिलते हैं। ओवैसी ने कहा कि अगर इन विश्वविद्यालयों को उचित समर्थन मिले, तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो सकते हैं। उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि वह इन विश्वविद्यालयों के प्रति भेदभाव को समाप्त करे।
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