पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की जमीन का पट्टा रद्द कर दिया है।
आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से झटका : जौहर ट्रस्ट लीज रद्द, बीजेपी विधायक ने फैसले को बताया न्याय की जीत
Oct 15, 2024 15:29
Oct 15, 2024 15:29
आजम खान पर लगे आरोप
आजम खान पर आरोप है कि जब वे उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे, तो उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और एक सरकारी शोध केंद्र की बिल्डिंग को अपने निजी ट्रस्ट, मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के लिए लीज पर ले लिया। यह मामला 2019 में उजागर हुआ। जब इसकी शिकायत की गई थी। इसके बाद मई 2023 में योगी सरकार की कैबिनेट ने तुरंत जिला अधिकारी रामपुर आंजनेय कुमार सिंह की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए इस लीज को रद्द कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट में अपील
लीज रद्द होने के बाद आजम खान ने इस निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी। मार्च 2024 में हाईकोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए आजम खान की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग की थी।
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लीज रद्द होने पर आजम खान को लगा झटका
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी आजम खान की याचिका को खारिज कर दिया और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजम खान जब अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री थे। तब उन्होंने उसी विभाग की जमीन को अपने निजी ट्रस्ट को लीज पर दे दिया था। कोर्ट ने इस कदम को गलत ठहराया और इसे सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के रूप में देखा।
बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना का बयान
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह न्याय की जीत है। किसी भी सरकारी संपत्ति का इस तरह दुरुपयोग नहीं किया जा सकता और सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसे स्पष्ट करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब इस संपत्ति का उपयोग फिर से सरकारी कार्यों के लिए किया जाएगा। यह संपत्ति लगभग 15,000 वर्ग फीट में फैली हुई है और यह फैसला सरकारी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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जौहर ट्रस्ट और स्कूल का मामला
आजम खान के जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें रामपुर में जौहर स्कूल के लिए आवंटित जमीन के पट्टे को रद्द कर दिया गया था। याचिका में ट्रस्ट ने यह दलील दी थी कि स्कूल में 300 बच्चे पढ़ रहे हैं, इसलिए पट्टे को रद्द करने का आदेश वापस लिया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन छात्रों को अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला मिले।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में गंभीरता से विचार किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह तथ्य परेशान करने वाले हैं कि कैसे एक सरकारी संपत्ति को निजी ट्रस्ट को लीज पर दे दिया गया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि योगी सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो और उन्हें अच्छे शिक्षण संस्थानों में स्थानांतरित किया जाए।
आजम खान और उनके परिवार पर असर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आजम खान और उनके परिवार के लिए एक बड़ा झटका है। वर्तमान में आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं जबकि उनके बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम हरदोई की जेल में कैद हैं। इस फैसले के बाद आजम परिवार के लिए कानूनी और राजनीतिक मोर्चे पर चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं।
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