हाथरस भगदड़ हादसे के बाद बिहार के जहानाबाद जिले से सावन की चौथी सोमवारी पर एक बड़े और दर्दनाक हादसे की खबर सामने आई है, जिसमें सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई। यह हादसा वाणावार सिद्धेश्वर धाम मंदिर में हुआ...
हाथरस के बाद जहानाबाद : वाणावार सिद्धेश्वर धाम में धक्का-मुक्की से भगदड़, सात लोगों की मौत, दर्जनों घायल
Aug 12, 2024 09:42
Aug 12, 2024 09:42
भगदड़ का कारण सीढ़ियों पर धक्का-मुक्की
वाणावार सिद्धेश्वर धाम मंदिर के पास पतालगंगा से जो सीढ़ियां जाती हैं, उन पर दर्जनों श्रद्धालु चढ़ और उतर रहे थे। चौथी सोमवारी होने के कारण मंदिर में जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। इसी दौरान, सीढ़ियों पर मौजूद कांवरियों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। देखते ही देखते स्थिति धक्का-मुक्की में बदल गई, और वहां भगदड़ मच गई। पुलिसकर्मियों ने हालात को काबू करने की कोशिश की, लेकिन भगदड़ इतनी तेजी से फैली कि श्रद्धालु इधर-उधर भागने लगे। अंधेरे में लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने लगे, जिससे कुछ लोग बुरी तरह घायल हो गए और सात श्रद्धालुओं ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
हादसे की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। जहानाबाद के थानेदार दिवाकर कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि घटना के बाद डीएम और एसपी ने भी घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि अब तक सात लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। प्रशासन मृतकों और घायलों के परिजनों से मिलकर पूछताछ कर रहा है। मृतकों की पहचान की जा रही है और उनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। घायलों का इलाज जहानाबाद सदर अस्पताल में चल रहा है, जहां उनकी स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।
स्थानीय लोगों के आरोप- प्रशासन की लापरवाही
हादसे के बाद स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मखदुमपुर निवासी कृष्णा कुमार ने दावा किया कि सात से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और प्रशासन ने घटनास्थल पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं की थी। उन्होंने कहा कि जहानाबाद सदर अस्पताल में भी उचित व्यवस्था नहीं है, और पहाड़ पर भी प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे। उनके अनुसार, मंदिर के पास केवल चार-पांच पुलिसकर्मी ही तैनात थे, जो कि इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। इस वजह से श्रद्धालुओं के बीच धक्का-मुक्की हो रही थी, जो कि अंततः भगदड़ में बदल गई।
कृष्णा कुमार ने बताया कि उनके परिवार से 20 साल की लड़की, निशा कुमारी, इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठी। उन्होंने बताया कि 35 साल के एक युवक की भी मौत हो गई है। उन्होंने प्रशासन की लापरवाही को हादसे का मुख्य कारण बताया और कहा कि अगर व्यवस्था दुरुस्त होती, तो यह हादसा टल सकता था।
प्रशासन की असफलता
प्रत्यक्षदर्शी मनोज ने बताया कि अगर प्रशासन ने सही समय पर हस्तक्षेप किया होता, तो यह हादसा नहीं होता। उन्होंने बताया कि फूल विक्रेता के साथ हुए विवाद के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। मनोज ने कहा कि जब भगदड़ मची, तो वह भी वहां फंसे हुए थे, लेकिन किसी ने उन्हें बाहर निकाला। अगर वह कुछ और समय वहां रहते, तो उनकी भी जान जा सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मौके पर कहीं नजर नहीं आ रही थी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासनिक कदम
जदयू के जिलाध्यक्ष ने भी हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सात लोगों की मौत हो चुकी है और घायलों का इलाज जारी है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
घटना के बाद, पुलिस और प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है। घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम जारी है और मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए मंदिर क्षेत्र में और अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।
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