कल रिटायर होंगे CJI : राम मंदिर से लेकर धारा 377 तक… जस्टिस चंद्रचूड़ के वो फैसले, जो हमेशा याद रखे जाएंगे

राम मंदिर से लेकर धारा 377 तक… जस्टिस चंद्रचूड़ के वो फैसले, जो हमेशा याद रखे जाएंगे
UPT | जस्टिस चंद्रचूड़ के वो फैसले, जो हमेशा याद रखे जाएंगे

Nov 09, 2024 15:55

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिसमें अयोध्या के राम मंदिर का फैसला भी शामिल है। आज हम आपको जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के लिखे कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

Nov 09, 2024 15:55

Short Highlights
  • कल रिटायर होंगे चीफ जस्टिस चंद्रचूड़
  • अपने कार्यकाल में सुनाए कई अहम फैसले
  • राम मंदिर पर फैसला सुनाकर खत्म किया विवाद
New Delhi : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है। 8 नवंबर को उनके अंतिम कार्यदिवस पर एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया गया। उन्होंने एस अजीज बाशा बनाम भारत संघ (1967) के फैसले को 4:3 के बहुमत से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। CJI चंद्रचूड़ ने इसे पलटते हुए एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में मान्यता दी। चीफ जस्टिस ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 612 फैसले लिखे। अपने अंतिम कार्यदिवस पर भी उन्होंने 45 केस की सुनवाई है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिसमें अयोध्या के राम मंदिर का फैसला भी शामिल है। आज हम आपको जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के लिखे कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

निजता का अधिकार
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें निजता के अधिकार से जुड़ा फैसला महत्वपूर्ण है। अगस्त 2017 में, 9 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया था कि निजता का अधिकार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है।



धारा 377
जस्टिस चंद्रचूड़ का एक और उल्लेखनीय फैसला धारा 377 को खत्म करना था। सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इसके तहत समलैंगिकता को अपराध माना जाता था।

गर्भपात का अधिकार
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात अधिकार पर भी एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। उन्होंने अविवाहित महिलाओं को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम के तहत 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी, जो पहले केवल विवाहित महिलाओं के लिए लागू था।

व्यभिचार का अपराधीकरण
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में चंद्रचूड़ का एक और अहम फैसला विवाहेतर संबंधों के अपराधीकरण से संबंधित था। सितंबर 2018 में, पांच जजों की संविधान पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित किया, जो पहले विवाहित पुरुषों को अपने विवाहेतर संबंधों के लिए दंडित करता था।

अयोध्या भूमि विवाद
उनके कार्यकाल का एक और महत्वपूर्ण फैसला अयोध्या भूमि विवाद से जुड़ा हुआ था। नवंबर 2019 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने यह निर्णय लिया कि अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा और मुसलमानों को मस्जिद के लिए उपयुक्त जगह पर पांच एकड़ भूमि दी जाएगी।

सबरीमाला मंदिर
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ का एक और महत्वपूर्ण फैसला सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित था। 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने उस नियम को रद्द कर दिया था, जो 10-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने से रोकता था।

दिल्ली सरकार और एलजी का मामला
इसके अलावा, जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में भी एक महत्वपूर्ण फैसला आया। मई 2023 में, पांच जजों की संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) की सेवाओं के प्रशासन में दिल्ली की सरकार का नियंत्रण है, लेकिन इसके अलावा अन्य विषयों पर उपराज्यपाल की प्राथमिकता रहेगी।

चुनावी बॉन्ड का केस
जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में भी केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ फैसला सुनाया। 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस योजना को असंवैधानिक करार दिया, यह निर्णय राजनीतिक फंडिंग की पारदर्शिता को लेकर महत्वपूर्ण था।

हाइब्रिड सुनवाई प्रणाली
इन फैसलों के अलावा, जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई तकनीकी सुधार किए। उन्होंने हाइब्रिड सुनवाई प्रणाली को लागू किया। अब वकील और याचिकाकर्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में अपनी बात रख सकते थे। इसके अलावा, कागज रहित न्यायालय की दिशा में कदम बढ़ाए गए और सुप्रीम कोर्ट में ई-फाइलिंग प्रणाली को लागू किया गया।

स्मार्ट कोर्टरूम्स की व्यवस्था
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) पर केस डेटा को भी जोड़ा, जिससे सभी पक्षों को अपनी याचिका की स्थिति का तुरंत पता चलता था। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम्स को स्मार्ट कोर्टरूम्स में बदल दिया गया, जहां डिजिटल स्क्रीन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध थीं।

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